मुंबई: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चिंताजनक संकेत सामने आया है। RBI – Reserve Bank of India द्वारा जारी किए गए ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में उद्योग जगत को बैंकों से दिए जाने वाले ऋण (bank credit) की वृद्धि दर में भारी गिरावट आई है। यह दर पिछले साल की समान अवधि के 7.7 प्रतिशत से घटकर इस साल सिर्फ 5.5 प्रतिशत रह गई है। यह दर्शाता है कि उद्योगों में निवेश और विस्तार की गति धीमी हो रही है।
RBI – गैर-खाद्य ऋण और विभिन्न क्षेत्रों का प्रदर्शन
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि गैर-खाद्य बैंक ऋण (non-food bank credit) में सालाना आधार पर 10.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि यह आंकड़ा पिछले साल 13.8 प्रतिशत था। यह गिरावट एक व्यापक आर्थिक मंदी की ओर इशारा करती है। ये आंकड़े 27 जून, 2025 को समाप्त पखवाड़े तक के हैं। इन आंकड़ों को देश के 41 चुनिंदा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (scheduled commercial banks) से संकलित किया गया है, जो कुल गैर-खाद्य ऋण का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा देते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों के प्रदर्शन को भी विस्तार से बताया
– सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग (MSME – Micro, Small and Medium Enterprises): जून तिमाही में सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों को बैंक ऋण की वृद्धि बनी रही। सभी तरह की इंजीनियरिंग (engineering), निर्माण (construction) और कपड़ा (textile) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में ऋण वृद्धि दर तेज रही। यह दिखाता है कि इन क्षेत्रों में अभी भी विकास की उम्मीदें हैं।
– कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ: कृषि क्षेत्र के लिए बैंक ऋण वृद्धि में भारी नरमी आई है। यह दर 17.4 प्रतिशत से घटकर मात्र 6.8 प्रतिशत रह गई। यह गिरावट ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है और भविष्य में कृषि उत्पादन पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।
सेवा और व्यक्तिगत ऋण में भी गिरावट
उद्योग जगत के अलावा, अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी ऋण वृद्धि धीमी पड़ी है:
– सेवा क्षेत्र (Service sector): बैंकों से सेवा क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण में भी नरमी आई है और यह घटकर 9.6 प्रतिशत रहा, जो पिछले साल की समान तिमाही में 15.1 प्रतिशत था। इसका मुख्य कारण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC – Non-Banking Financial Companies) को ऋण देने की दर में गिरावट है। हालांकि, बीती तिमाही में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (computer software) और पेशेवर सेवाओं (professional services) को दिए गए ऋण में वृद्धि बनी रही, जो इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों में मजबूती को दर्शाता है।
– व्यक्तिगत ऋण (Personal loans): व्यक्तिगत ऋण खंड की वृद्धि दर भी घटकर 14.7 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 16.6 प्रतिशत थी। व्यक्तिगत ऋण में आई यह गिरावट सीधे तौर पर उपभोक्ता मांग (consumer demand) में कमी का संकेत दे सकती है, क्योंकि लोग अब बड़े खर्चों के लिए कम उधार ले रहे हैं।
अर्थव्यवस्था के लिए एक चेतावनी
आरबीआई की यह रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चेतावनी के समान है। उद्योग, कृषि, सेवा और व्यक्तिगत ऋण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एक साथ ऋण वृद्धि का धीमा होना, समग्र आर्थिक गतिविधियों में मंदी का संकेत देता है। सरकार और आरबीआई दोनों को इस स्थिति पर ध्यान देना होगा और ऐसे कदम उठाने होंगे जिनसे अर्थव्यवस्था में फिर से गति आए। उद्योग और उपभोक्ता विश्वास को बहाल करना एक बड़ी चुनौती होगी, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक आर्थिक परिदृश्य भी अनिश्चित है।
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