Thursday, July 31, 2025

PHDCCI की RBI से छोटे-मझोले उद्योगों को ज्यादा Loan देने की अपील: MSME सेक्टर को मिलेगी मदद?

नई दिल्ली: MSME Loan को लेकर भारतीय उद्योग मंडल PHDCCI (PhD Chamber of Commerce and Industry) के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक से गुहार लगाई है। भारतीय उद्योग मंडल ने (RBI – Reserve Bank of India) के गवर्नर संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) से मुलाकात की है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य भारत के सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (MSME – Micro, Small and Medium Enterprises) के लिए ऋण पहुंच (credit access), नियामकीय सहायता (regulatory support) और वित्तीय दक्षता (financial efficiency) बढ़ाने के लिए सुझाव देना था। यह महत्वपूर्ण बैठक पिछले शुक्रवार को मुंबई स्थित आरबीआई मुख्यालय में हुई, जो MSME सेक्टर की चुनौतियों पर सरकार और नियामक के बढ़ते ध्यान को दर्शाती है।

MSME Loan : PHDCCI की प्रमुख मांगें और सुझाव

PHDCCI ने एक बयान जारी कर बताया कि उन्होंने MSME सेक्टर को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:

1. ऋण गारंटी योजनाओं का विस्तार और प्रभावी कार्यान्वयन: निकाय ने केंद्र सरकार द्वारा ऋण गारंटी योजनाओं (credit guarantee schemes) के विस्तार के कदम की सराहना की। इसके साथ ही, PHDCCI ने आरबीआई से आग्रह किया कि वह इन योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन (effective implementation) सुनिश्चित करे, ताकि MSME को वास्तव में इसका लाभ मिल सके। अक्सर, योजनाएं तो बन जाती हैं लेकिन उनका ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन एक चुनौती बना रहता है।

2. MSME के लिए हेल्प डेस्क: आरबीआई को यह सुझाव दिया गया कि ऋण पाने में चुनौतियों का सामना कर रहे MSME क्षेत्र का समर्थन करने के लिए क्षेत्रीय कार्यालयों (regional offices) के स्तर पर ‘हेल्प डेस्क’ (help desks) बनाने चाहिए। ये हेल्प डेस्क MSME इकाइयों को ऋण आवेदन प्रक्रिया, दस्तावेज़ीकरण और अन्य नियामक आवश्यकताओं को समझने में मदद करेंगे, जिससे उन्हें आसानी से ऋण मिल सकेगा।

MSME Loan : सूक्ष्म वित्त सुविधा कार्ड और पारदर्शिता पर ज़ोर

PHDCCI ने आम बजट में घोषित सूक्ष्म वित्त सुविधा कार्ड (micro-finance facility card) को लागू करने का सुझाव भी दिया, जिनमें प्रत्येक की सीमा ₹5 लाख है। यह छोटे उद्यमियों और व्यवसायों के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है, जिससे उन्हें तुरंत वित्तीय सहायता मिल सकेगी।

इस सुविधा कार्ड के संबंध में, PHDCCI ने कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे:
* नाम बदलना: उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड (consumer credit cards) से अलग पहचान के लिए इनका नाम बदलने का सुझाव दिया गया, ताकि भ्रम की स्थिति न हो।
* प्रक्रियाओं का मानकीकरण: जारी करने की प्रक्रियाओं का मानक बनाना (standardization of processes), जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कार्ड पूरे देश में एक समान और कुशल तरीके से जारी किए जा सकें।
* ब्याज दर की सीमा: ब्याज दर की सीमा (interest rate cap) सुनिश्चित करना, ताकि MSME को अत्यधिक ब्याज दरों का बोझ न उठाना पड़े।
* केंद्रीकृत पोर्टल: कार्ड आवेदनों की निगरानी (monitoring of card applications) के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल (centralized portal) शुरू करना, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और प्रक्रिया में लगने वाला समय कम होगा।

MSME Loan : डिजिटलीकरण और NBFCs के माध्यम से ऋण

उद्योग जगत ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए कागजी कार्रवाई कम करने (reducing paperwork) और सभी संस्थानों में बैंकिंग दस्तावेज़ीकरण को डिजिटल करने (digitizing banking documentation) की आवश्यकता पर भी जोर दिया। डिजिटलीकरण न केवल दक्षता बढ़ाता है, बल्कि धोखाधड़ी (fraud) की संभावना को भी कम करता है और MSME के लिए ऋण प्राप्त करना आसान बनाता है।

PHDCCI ने एनबीएफसी (NBFCs – Non-Banking Financial Companies) के ज़रिए ऋण देने के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण वर्गीकरण (Priority Sector Lending – PSL) पर वर्तमान ₹20 लाख की सीमा को हटाने की भी वकालत की। वर्तमान में, बैंकों को अपनी कुल उधारी का एक निश्चित प्रतिशत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (जैसे कृषि, MSME, शिक्षा) को देना अनिवार्य है। यदि NBFC के माध्यम से दिए गए ऋण पर यह सीमा हटा दी जाती है, तो MSME को ऋण प्राप्त करने के अधिक अवसर मिलेंगे, क्योंकि NBFC की पहुंच अक्सर छोटे व्यवसायों तक अधिक होती है।

MSME Loan : MSME सेक्टर को सहारा देने की ज़रूरत

PHDCCI द्वारा दिए गए ये सुझाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए MSME सेक्टर के महत्व को दर्शाते हैं। MSME रोजगार सृजन, नवाचार और निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन सुझावों को लागू करने से न केवल MSME को लाभ होगा, बल्कि यह भारत की समग्र आर्थिक वृद्धि और वित्तीय समावेशन (financial inclusion) को भी बढ़ावा देगा। अब देखना यह है कि आरबीआई और सरकार इन सुझावों पर क्या कदम उठाते हैं ताकि देश के MSME को वास्तव में सशक्त किया जा सके।

 

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