मुंबई: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अमेरिकी शुल्क को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच अपनी मौद्रिक नीति (monetary policy) में कोई बदलाव नहीं किया है। बुधवार को RBI की छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो दर (repo rate) को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया। इस फ़ैसले का मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों का आकलन करना है।
RBI ने इस फ़ैसले के साथ अपनी मौद्रिक नीति का रुख भी “तटस्थ” (neutral) बनाए रखा है। इसका मतलब यह है कि केंद्रीय बैंक भविष्य में आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार दरों में बदलाव करने के लिए लचीला रहेगा।
अमेरिकी शुल्क के डर से RBI ने नहीं बदला रेपो रेट
RBI के इस फ़ैसले के पीछे सबसे बड़ा कारण वैश्विक बाज़ार में बनी अनिश्चितता है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित सभी उत्पादों पर 25% का शुल्क लगाने और रूस से तेल ख़रीदने के लिए “जुर्माना” लगाने की घोषणा की है। ये क़दम भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं।
हालाँकि RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सीधे तौर पर अमेरिकी शुल्क का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। मल्होत्रा ने कहा, “चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिवेश के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था मूल्य स्थिरता के साथ वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।” यह दिखाता है कि RBI ने तुरंत दरों में कटौती करने के बजाय, स्थिति को पूरी तरह से समझने के लिए ‘वेट एंड वॉच’ (wait and watch) की रणनीति अपनाई है।
RBI ने मुद्रास्फीति का अनुमान घटाया, चिंताएं बरकरार
RBI ने चालू वित्त वर्ष (FY26) के लिए खुदरा मुद्रास्फीति (inflation) के अनुमान को घटाकर 3.1 प्रतिशत कर दिया है, जो जून में 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान था। यह एक सकारात्मक संकेत है।
– भविष्य की चिंता: हालाँकि, मल्होत्रा ने आगाह करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की चौथी तिमाही और उसके बाद मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत से ऊपर जाने की आशंका है। इसके पीछे मुख्य कारण प्रतिकूल तुलनात्मक आधार प्रभाव (adverse comparative base effect) और बढ़ती मांग (demand) को माना जा रहा है।
इसका मतलब है कि फ़िलहाल तो महंगाई नियंत्रण में है, लेकिन आगे चलकर यह फिर से बढ़ सकती है, इसलिए RBI ने दरों में बदलाव न करने का फ़ैसला लिया है।
मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था: विकास दर का अनुमान स्थिर
ख़ुशख़बरी यह है कि RBI ने 2025-26 के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखा है। यह आंकड़ा दिखाता है कि केंद्रीय बैंक को भारतीय अर्थव्यवस्था की मज़बूती पर पूरा भरोसा है।
मल्होत्रा ने कहा, “बदलती विश्व व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी अंतर्निहित ताकत, मज़बूत बुनियादी ढाँचे और अन्य मोर्चों पर संतोषजनक स्थिति के दम पर उज्ज्वल संभावनाओं से भरी हुई है।”
पिछली दरों में कटौती का फ़ायदा अभी बाकी
RBI ने इस साल फ़रवरी से जून तक रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कटौती की थी। इस फ़ैसले में मल्होत्रा ने एक और महत्वपूर्ण बात कही कि पिछली बार की गई रेट कट का पूरा फ़ायदा अभी ग्राहकों तक नहीं पहुँचा है। बैंकों को इन कटौती का लाभ ग्राहकों तक पूरी तरह से पहुँचाना बाक़ी है। इसलिए, RBI ने और ज़्यादा कटौती करने के बजाय मौजूदा दरों के असर को देखने का फ़ैसला लिया है।
कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने भी कहा कि मुद्रास्फीति के आगे चलकर बढ़ने की आशंका है, इसलिए निकट भविष्य में दरों में और कटौती करना मुश्किल है। उनकी राय में, अगर आर्थिक वृद्धि में कोई बड़ी कमी आती है, तो ही आगे दरों में कटौती की गुंजाइश बन सकती है।
RBI की अगली MPC बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर को होगी, जिस पर अब सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।
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