Friday, August 8, 2025

MTNL पर गहराया वित्तीय संकट: बैंक कर्ज चुकाने में चूक, कुल देनदारी 34,484 करोड़ रुपये

नई दिल्ली/स्टाफ टीम। सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है। कंपनी ने हाल ही में शेयर बाजार को सूचित किया है कि वह सात सरकारी बैंकों से लिए गए 8,585 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान करने में चूक गई है (defaulted on loan repayments)। यह खबर एक बार फिर घाटे में चल रही इस सरकारी टेलीकॉम कंपनी की कमजोर वित्तीय स्थिति को उजागर करती है।

बढ़ता कर्ज और वित्तीय बोझ

MTNL पर कुल कर्ज 30 जून, 2025 तक बढ़कर 34,484 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इस विशाल कर्ज में 8,585 करोड़ रुपये का बैंक ऋण (bank loan), 24,071 करोड़ रुपये का सरकारी गारंटी वाला बॉन्ड (government-guaranteed bond), और संप्रभु गारंटी बॉन्ड के ब्याज के भुगतान के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) से लिया गया 1,828 करोड़ रुपये का ऋण शामिल है। यह आंकड़ा दिखाता है कि कंपनी किस कदर वित्तीय बोझ तले दबी हुई है।

कंपनी ने जो ऋण भुगतान में चूक (loan default) की है, वह अगस्त 2024 से फरवरी 2025 के बीच हुई है। इससे पहले, MTNL ने 31 मार्च, 2025 के अंत में भी 8,346.24 करोड़ रुपये की चूक की सूचना दी थी, जो अगस्त 2024 से फरवरी 2025 की इसी अवधि के दौरान हुई थी। यह लगातार होती चूक कंपनी की कैश फ्लो (cash flow) समस्याओं और पुनर्भुगतान क्षमता (repayment capability) की कमी को दर्शाती है।

किन बैंकों का कितना बकाया?

MTNL ने जिन सात सरकारी बैंकों से कर्ज लिया है और जिनके भुगतान में चूक की है, उनका विवरण इस प्रकार है:

* यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India): 3,733.22 करोड़ रुपये
* इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank): 2,434.13 करोड़ रुपये
* बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India): 1,121.09 करोड़ रुपये
* पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank): 474.66 करोड़ रुपये
* भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India): 363.43 करोड़ रुपये
* यूको बैंक (UCO Bank): 273.58 करोड़ रुपये
* पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab & Sind Bank): 184.82 करोड़ रुपये

इन बकाया राशियों में मूलधन (principal) और ब्याज (interest) दोनों का भुगतान शामिल है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक पर MTNL का सबसे बड़ा बकाया है, जो उनके लिए भी चिंता का विषय हो सकता है।

लंबे समय से घाटे में चल रही कंपनी की स्थिति

MTNL पिछले कई सालों से घाटे में चल रही है। भारतीय दूरसंचार बाजार में निजी कंपनियों (private players) के आक्रामक विस्तार और तकनीकी प्रगति को अपनाने में देरी के कारण MTNL और बीएसएनएल (BSNL) जैसी सरकारी कंपनियां प्रतिस्पर्धा में पिछड़ गई हैं। सरकार ने इन कंपनियों को पुनर्जीवित (revive) करने के लिए कई पैकेज और फंड जारी किए हैं, लेकिन इसके बावजूद वे वित्तीय संकट से उबर नहीं पा रही हैं।

MTNL के शेयर भी वित्तीय संकट की इस खबर से प्रभावित हुए हैं। कंपनी के शेयर मूल्य में भी गिरावट दर्ज की गई, जो निवेशकों की चिंता को दर्शाता है।

आगे क्या?

MTNL पर लगातार बढ़ रहा कर्ज और भुगतान में चूक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए भी चुनौती बन रही है। चूंकि यह एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है, इसलिए सरकार पर इसके पुनरुद्धार और बैंकों के बकाया चुकाने का दबाव बना रहता है। ऐसी संभावना है कि सरकार को MTNL को बचाने के लिए और वित्तीय सहायता (financial assistance) या पुनर्गठन योजनाओं (restructuring plans) पर विचार करना पड़ सकता है, जिसमें परिसंपत्ति मुद्रीकरण (asset monetisation) या कर्ज-से-इक्विटी रूपांतरण (debt-to-equity conversion) जैसे विकल्प शामिल हो सकते हैं।

टेलीकॉम सेक्टर में 5G जैसी नई तकनीकों के आने से प्रतिस्पर्धा और बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में, MTNL के लिए खुद को प्रासंगिक बनाए रखना और वित्तीय रूप से मजबूत होना एक बड़ी चुनौती है। कंपनी का भविष्य सरकार की नीतिगत निर्णयों और दूरसंचार बाजार के बदलते परिदृश्य पर काफी निर्भर करेगा।

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