SEBI chief तुहिन कांत पांडेय का बड़ा बयान: Independent Directors ‘जवाबदेही के संरक्षक’ माने जाएं

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नई दिल्ली: कॉर्पोरेट गवर्नेंस को और मज़बूत बनाने की दिशा में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के प्रमुख, तुहिन कांत पांडेय ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि कंपनियों के स्वतंत्र निदेशकों (independent directors) की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करने की ज़रूरत है। उनका मानना है कि इन निदेशकों को अब सिर्फ़ मानद सदस्य या मित्रवत आलोचक के तौर पर नहीं, बल्कि ‘जवाबदेही के संरक्षक’ (guardians of accountability) के रूप में देखा जाना चाहिए।

यह बात उन्होंने ‘वार्षिक निदेशक सम्मेलन 2025’ को संबोधित करते हुए कही। पांडेय का यह बयान भारतीय कंपनियों में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत है।

क्यों ज़रूरी है यह बदलाव?

SEBI chief ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस बदलाव के लिए लोगों की सोच को बदलना होगा।

– असहमति की स्वतंत्रता: उन्होंने कहा कि स्वतंत्र निदेशकों को अपनी राय रखने और ज़रूरत पड़ने पर असहमति (dissent) जताने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। एक ऐसा बोर्ड (board) जो कभी असहमत नहीं होता, वह वास्तव में निष्क्रिय होता है, एक राय वाला नहीं।

– बढ़ते जोखिमों की समझ: पांडेय ने कहा कि आज के दौर में कृत्रिम मेधा (AI), साइबर खतरों (cyber threats) और ESG (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) जैसे खुलासों से जुड़े नए और उभरते जोखिमों को समझना स्वतंत्र निदेशकों के लिए बेहद ज़रूरी है।

विविधतापूर्ण हो कंपनी का बोर्ड

तुहिन कांत पांडेय ने कंपनियों के निदेशक मंडल की संरचना (board structure) में विविधता लाने पर भी ज़ोर दिया।

– समावेशी दृष्टिकोण: उन्होंने सुझाव दिया कि बोर्ड में सिर्फ़ जाने-पहचाने नामों को ही शामिल न किया जाए। इसके बजाय, विभिन्न क्षेत्रों, युवा पेशेवरों, क्षेत्रीय आवाज़ों और परिचित नेटवर्क से बाहर के लोगों को भी जगह मिलनी चाहिए।

– सशक्त बोर्ड: पांडेय का मानना है कि जब अलग-अलग विचारों वाले लोग एक साथ आते हैं, तो आपसी सम्मान के साथ उनका उद्देश्य साझा होता है और इससे बोर्ड सशक्त बनता है।

‘भविष्य का बोर्ड’: कंप्लायंस नहीं, संस्कृति पर फोकस

SEBI chief ने ‘भविष्य के बोर्ड’ (board of the future) की कल्पना भी पेश की।

– संस्कृति और मूल्य: उन्होंने कहा कि भविष्य के बोर्ड को सिर्फ़ कंप्लायंस (compliance) के नियमों का पालन करने पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि कंपनी की संस्कृति (culture) और मूल्यों (values) पर भी फोकस करना चाहिए।

– डिजिटल समाधानों का उपयोग: पांडेय ने डिजिटल समाधानों को बोझ के बजाय बेहतर संचालन के साधन के रूप में अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह वित्तीय जानकारी नियमित रूप से जारी की जाती है, उसी तरह संचालन संबंधी जानकारी को भी नियमित बनाना होगा।

SEBI chief का यह बयान भारतीय कॉर्पोरेट गवर्नेंस में एक बड़े बदलाव का संकेत है। यह स्वतंत्र निदेशकों को एक मज़बूत और प्रभावी भूमिका देने की बात करता है, जिससे कंपनियों में पारदर्शिता, जवाबदेही और विविधता बढ़ेगी।

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