नई दिल्ली: भारतीय पूंजी बाजारों में निवेशकों की बढ़ती संख्या के साथ कई नई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। बाजार नियामक सेबी (SEBI) के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण (Ananth Narayan) ने मंगलवार को कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव (market volatility) और वित्तीय परिवेश में विश्वास की कमी (lack of trust), पूंजी बाजारों में निवेश करने वालों की बढ़ती संख्या के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश कर सकती हैं।
बढ़ते निवेशक आधार और संभावनाएं
नारायण ने बताया कि देश में पूंजी बाजारों में निवेश करने वालों की संख्या बढ़कर वर्तमान में 13 करोड़ हो गई है, जो मार्च 2020 में 4.2 करोड़ थी। यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसके साथ ही कुछ जोखिम भी जुड़े हुए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि अभी इसमें और वृद्धि की काफी गुंजाइश है, लेकिन इस गति को बनाए रखने के लिए इन चुनौतियों का समाधान करना ज़रूरी है।
साइबर और डिजिटल धोखाधड़ी: गंभीर चिंता का विषय
सेबी अधिकारी ने साइबर और डिजिटल धोखाधड़ी (cyber and digital frauds) जैसे जोखिमों को एक गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी करने वाले अक्सर परिष्कृत (sophisticated) और संगठित (organized) होते हैं, और वे भोले-भाले निवेशकों को अपना शिकार बनाते हैं। इससे साइबर सुरक्षा (cyber security) ऐसा क्षेत्र बन जाता है, जिस पर विशेष रूप से ध्यान देने की ज़रूरत है।
हाल के दिनों में ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया के माध्यम से होने वाली धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं। निवेशकों को लुभाने के लिए आकर्षक योजनाओं और झूठे वादों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता है।
बाजार की अस्थिरता और जोखिम प्रबंधन
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने यह भी कहा कि निवेशकों को बाजार की अस्थिरता (market volatility) के बारे में पूरी तरह से जागरूक रहने की ज़रूरत है। उन्होंने जोर दिया कि बाजार में उतार-चढ़ाव तय है, और निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को अपनी व्यक्तिगत जोखिम क्षमता (individual risk appetite) के अनुरूप बनाना चाहिए।
नारायण ने कहा, “हमें अस्थिरता और जोखिम के अर्थ को बेहतर ढंग से समझना और आत्मसात करना होगा। यह ठीक उसी तरह होना चाहिए जैसे हमने प्रतिफल (returns) को बेहतर ढंग से समझना है।” इसका मतलब है कि निवेशकों को केवल संभावित लाभ पर ही नहीं, बल्कि संभावित नुकसान और उनसे जुड़े जोखिमों पर भी ध्यान देना चाहिए। जोखिम प्रबंधन (risk management) और सही वित्तीय नियोजन (financial planning) इन चुनौतियों का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
वित्तीय परिवेश में निवेशकों का भरोसा बनाए रखना
नारायण ने वित्तीय नियोजन पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्तीय परिवेश में निवेशकों का भरोसा (investor trust) बनाए रखने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि संचालन के स्तर पर विफलता या बाजार में गड़बड़ी की किसी भी घटना से भरोसे को चुनौती मिल सकती है।
इस संबंध में, नारायण ने कहा कि बाजार को मजबूत बनाए रखने में सेबी और अन्य पक्षों के साथ-साथ शेयर बाजारों और डिपॉजिटरी जैसे नियामकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इन संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बाजार में सभी गतिविधियां निष्पक्ष और पारदर्शी हों, ताकि निवेशकों का विश्वास बना रहे।
निवेश विविधीकरण और नए विकल्प
सेबी अधिकारी ने निवेश रणनीति के तहत निवेश परिसंपत्ति में विविधीकरण (diversification of investment assets) की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि कुछ छोटे निवेशकों में शेयरों में अधिक निवेश करने की प्रवृत्ति दिख रही है। यह प्रवृत्ति छोटे निवेशकों के लिए अधिक जोखिम भरी हो सकती है, क्योंकि शेयर बाजार में बड़े उतार-चढ़ाव का सीधा असर उनके पोर्टफोलियो पर पड़ता है।
इस समाधान के लिए, सेबी बॉन्ड (bond) और जिंस बाजारों (commodities markets) को मजबूत बनाने के लिए काम कर रहा है ताकि और अच्छे विकल्प उपलब्ध कराए जा सकें। विविधीकरण निवेशकों को विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में अपने निवेश को फैलाने में मदद करता है, जिससे जोखिम कम होता है। बॉन्ड और जिंस बाजार अक्सर शेयर बाजार की तुलना में अलग तरह से व्यवहार करते हैं, जो निवेशकों को अधिक संतुलित पोर्टफोलियो बनाने का अवसर देते हैं।