नई दिल्ली: Guess The IVF Baby भारत में प्रजनन क्षमता (fertility) और असिस्टेड रिप्रोडक्शन (assisted reproduction) को लेकर कई तरह के मिथक (myths) और झिझक (hesitation) आज भी मौजूद हैं। इसी सामाजिक समस्या को दूर करने के लिए, वर्ल्ड IVF डे (World IVF Day) के मौके पर अपोलो फर्टिलिटी (Apollo Fertility) ने एक नया और दिलचस्प जागरूकता अभियान ‘#GuessTheIVFBaby’ शुरू किया है। इस कैंपेन का मकसद एक सरल लेकिन सोचने पर मजबूर करने वाला सवाल पूछना है – क्या आप वाकई पहचान सकते हैं कि कौन-सा बच्चा आईवीएफ से जन्मा है?
Guess The IVF Baby अभियान का उद्देश्य
यह अभियान IVF (In Vitro Fertilisation) से जुड़े उन पुराने मिथकों को तोड़ना चाहता है जो आज भी समाज में फैले हुए हैं। इस कैंपेन के ज़रिए अपोलो फर्टिलिटी न सिर्फ लोगों को सही जानकारी देना चाहता है, बल्कि उन्हें समय रहते जाँच कराने और वैज्ञानिक तरीक़ों को अपनाने के लिए भी प्रेरित करना चाहता है।
– पहुँच (Reach): अपोलो फर्टिलिटी ने इस अभियान के माध्यम से पूरे देश के माता-पिता (parents) और परिवारों तक पहुँचने की योजना बनाई है।
– प्लेटफॉर्म (Platform): यह अभियान भारत के 12 शहरों में ज़मीनी और डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म्स पर एक साथ चलाया जाएगा।
यह कैंपेन अपोलो फर्टिलिटी के पिछले प्रभावशाली अभियानों की ही एक कड़ी है, जैसे “स्कोर ओवर इंफर्टिलिटी” और “थिंक ईक्वल”।
अपोलो के पिछले अभियानों की सफलता
अपोलो फर्टिलिटी ने पहले भी कई सफल अभियान चलाए हैं:
– “स्कोर ओवर इंफर्टिलिटी” (Score over Infertility): इस कैंपेन ने युवा जोड़ों को समय पर अपनी प्रजनन क्षमता की जाँच कराने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके तहत, 4,000 से ज़्यादा जोड़ों को शुरुआती जाँच और काउंसलिंग (counselling) में मदद मिली।
– “थिंक ईक्वल” (Think Equal): इस कैंपेन ने समाज में यह संदेश फैलाया कि बांझपन (infertility) सिर्फ़ महिलाओं की समस्या नहीं है, बल्कि पुरुष भी इससे समान रूप से प्रभावित होते हैं।
जागरूकता फैलाने की बहुआयामी पहल
अपोलो फर्टिलिटी का यह नया अभियान सिर्फ़ IVF से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने तक सीमित नहीं है। इसमें कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी सही जानकारी दी जाएगी:
– एग फ्रीजिंग (Egg Freezing): महिलाओं को अपने अंडों को भविष्य के लिए सुरक्षित रखने की तकनीक के बारे में बताया जाएगा।
– पीसीओडी (PCOD): पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसी समस्याओं पर भी सही जानकारी दी जाएगी।
– फर्टिलिटी स्क्रीनिंग (Fertility Screening): लोगों को समय पर अपनी प्रजनन क्षमता की जाँच कराने के महत्व के बारे में बताया जाएगा।
इस अभियान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए एक प्रभावशाली विज्ञापन सीरीज़ और सोशल मीडिया आउटरीच (social media outreach) का भी सहारा लिया जाएगा।
क्यों है इस तरह के अभियान की ज़रूरत?
संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर (total fertility rate) घटकर 1.9 रह गई है, जो जनसंख्या स्थिरीकरण स्तर (population stabilization level) 2.1 से भी नीचे है। देश के दक्षिणी राज्यों में यह गिरावट सबसे ज़्यादा है।
इस घटती प्रजनन दर और IVF को लेकर फैली भ्रांतियों के बीच, अपोलो फर्टिलिटी का यह अभियान लोगों को सही जानकारी के साथ निर्णय लेने और बेवजह की चिंता से मुक्त होने में मदद करेगा।
अपोलो हेल्थ एंड लाइफस्टाइल लिमिटेड के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर, निशांत मिश्रा (Nishant Mishra) ने कहा, “हमारा मानना है कि जब हम मिथकों को तोड़ते हैं और खुले मन से बातचीत को प्रोत्साहित करते हैं, तो हम उन जोड़ों को उम्मीद और समझ से भरा रास्ता दिखा सकते हैं जो पैरेंटहुड की यात्रा पर हैं।”
इसी तरह, कंपनी के डायरेक्टर – मेडिकल सर्विसेज, डॉ. विजय अग्रवाल (Dr. Vijay Agarwal) ने कहा, “हमारा यह अभियान आईवीएफ से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों को सामने लाने और यह स्पष्ट संदेश देने की एक पहल है कि आईवीएफ से जन्मा बच्चा भी हर लिहाज से उतना ही स्वस्थ और सामान्य होता है, जितना किसी और तरीक़े से जन्म लेने वाला बच्चा।”
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