नई दिल्ली: Generic Drug Sector को लेकर भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और आर्थिक जीत हुई है! भारत और ब्रिटेन के बीच पिछले सप्ताह हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA – Free Trade Agreement) में पेटेंट अवधि (patent term) बढ़ाने या डेटा की विशिष्टता (data exclusivity) को अनिवार्य नहीं किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय के एक दस्तावेज़ से मिली इस जानकारी ने भारतीय जेनेरिक दवा उद्योग (generic drug industry) के लिए बड़ी राहत की खबर दी है, क्योंकि यह देश के लाखों मरीजों और वैश्विक दवा आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। यह कदम भारत के घरेलू जेनेरिक दवा उद्योग के हितों को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
Generic Drug Sector डेटा विशिष्टता और भारत का इनकार
ब्रिटेन एफटीए में ‘डेटा की विशिष्टता’ (data exclusivity) का प्रावधान शामिल करने की लगातार मांग कर रहा था। ‘डेटा की विशिष्टता’ का मतलब है कि एक दवा कंपनी द्वारा नए दवा विकास से संबंधित परीक्षण डेटा को एक निश्चित अवधि के लिए गोपनीय रखा जाए, जिससे अन्य कंपनियों को उस डेटा का उपयोग करके जेनेरिक संस्करण बनाने से रोका जा सके। यह फार्मा कंपनियों को अपने शोध डेटा पर एक विशेष अधिकार देता है और वे प्रतिद्वंद्वियों को कम लागत वाले संस्करणों को बाज़ार में लाने से रोक देती हैं। हालांकि, भारत ने इस मांग को मानने से दृढ़ता से इनकार कर दिया है।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि एफटीए में पेटेंट अवधि के विस्तार या डेटा की विशिष्टता को अनिवार्य नहीं किया गया है। ये दोनों तरीके दवा कंपनियां अक्सर छोटे-मोटे बदलावों के साथ किसी उत्पाद का पेटेंट अपने पास रखने के लिए अपनाती हैं, जिससे जेनेरिक दवाओं (generic medicines) के बाज़ार में आने में देरी होती है।
Generic Drug Sector भारतीय पेटेंट कानून की धारा 3(डी)
भारत और ब्रिटेन के बीच 24 जुलाई, 2025 को लंदन में मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि, इस समझौते को पूरी तरह से लागू होने में लगभग एक साल का समय लग सकता है।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारतीय पेटेंट अधिनियम (Indian Patents Act) की धारा 3(डी) (Section 3(d)) के तहत पेटेंट पात्रता मानकों पर भारत के पेटेंट कानून प्रावधान पूरी तरह से सुरक्षित हैं। यह धारा भारत के जेनेरिक दवा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है। यह धारा पहले से ज्ञात दवाओं के लिए पेटेंट को तब तक प्रतिबंधित करती है जब तक कि नए दावे प्रभावशीलता के मामले में (in terms of efficacy) बेहतर न हों। इसका मतलब है कि कोई कंपनी केवल एक दवा में छोटे-मोटे बदलाव करके नया पेटेंट नहीं ले सकती, जब तक कि वह सचमुच में कोई महत्वपूर्ण चिकित्सीय लाभ न दे।
Generic Drug Sector पर सकारात्मक प्रभाव
यह सुनिश्चित होगा कि जेनेरिक दवाएं बनाने वाली कंपनियां पेटेंट अवधि समाप्त होने पर अनावश्यक विलंब के बगैर बाज़ार में प्रवेश कर सकेंगी। यह भारत के जेनेरिक दवा उद्योग के लिए एक बड़ी जीत है, क्योंकि यह उन्हें बिना किसी बाधा के कम लागत वाली दवाओं का उत्पादन जारी रखने की अनुमति देगा। भारत का जेनेरिक दवा उद्योग लगभग 25 अरब डॉलर (25 billion USD) का है और देश अपने उत्पादन का 50 प्रतिशत निर्यात (50% export) करता है। यह दुनिया भर के विकासशील देशों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि डेटा विशिष्टता का प्रावधान विश्व व्यापार संगठन (WTO – World Trade Organization) के ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं’ (TRIPS – Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights) समझौते के प्रावधानों से परे है। भारत ने पहले भी चार देशों के समूह ईएफटीए (EFTA – European Free Trade Association) के साथ इसी तरह की मांग को खारिज कर दिया था, जो दर्शाता है कि भारत अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
Generic Drug Sector सार्वजनिक स्वास्थ्य की जीत
यह एफटीए समझौता भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति और जेनेरिक दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण को मजबूत करता है। पेटेंट नियमों में कोई बदलाव न होने से, भारत दुनिया का “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” बना रहेगा, जिससे लाखों लोगों को सस्ती और जीवन रक्षक दवाएं मिलती रहेंगी। यह कदम भारत की बातचीत की शक्ति और अपने नागरिकों के हितों को सर्वोपरि रखने की क्षमता को भी दर्शाता है।