नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने सोमवार, 28 जुलाई 2025 को केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर तीखा हमला बोला है। पार्टी का दावा है कि भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Net Foreign Direct Investment – FDI) में भारी गिरावट आई है, जबकि घरेलू निवेशक (domestic investors) “भय और अनिश्चितता” की चपेट में हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश की अर्थव्यवस्था में निजी निवेश को लेकर बहस तेज़ हो गई है।
FDI : वित्त मंत्री की टिप्पणी के बाद कांग्रेस का हमला
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) का यह बयान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की उस कथित टिप्पणी के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत का निजी क्षेत्र का निवेश (private sector investment) बढ़ते सार्वजनिक व्यय (public expenditure) के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहा है। रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया, “वित्त मंत्री ने आखिरकार वही स्वीकार कर लिया है जो कांग्रेस लंबे समय से कहती आ रही थी। वो यह है कि निजी निवेश सुस्त बना हुआ है और वांछित और अपेक्षित गति से नहीं बढ़ रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह स्थिति सितंबर 2019 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पुनर्निर्वाचन के समर्थन में ह्यूस्टन में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम से ठीक पहले की गई महत्वपूर्ण कॉरपोरेट कर कटौती (corporate tax cut) के बाद भी बनी हुई है। कांग्रेस का यह आरोप सरकार की आर्थिक नीतियों पर सीधा सवाल उठाता है।
FDI में गिरावट और घरेलू निवेशकों में ‘कर आतंक’ का डर
जयराम रमेश ने अपने बयान में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Net FDI) में भारी गिरावट का दावा किया। नेट FDI किसी देश में आने वाले FDI और देश से बाहर जाने वाले FDI के बीच का अंतर होता है। इसमें गिरावट एक अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों के विश्वास में कमी का संकेत हो सकती है।
इसके साथ ही, रमेश ने यह भी कहा कि घरेलू निवेशक “भय और अनिश्चितता” की चपेट में हैं। उन्होंने इसका एक बड़ा कारण “कर आतंक (tax terrorism) और कुछ व्यावसायिक समूहों को लाभ पहुंचाने वाली नीतियां” बताया। ‘कर आतंक’ का तात्पर्य कर अधिकारियों द्वारा अत्यधिक आक्रामक या अनुचित कर मांग से है, जिससे व्यवसायों में डर का माहौल पैदा होता है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार की नीतियां कुछ चुनिंदा ‘मित्र पूंजीपतियों’ (crony capitalists) को फायदा पहुंचा रही हैं, जिससे छोटे और मझोले व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
कांग्रेस की मांगें: FDI आर्थिक सुधारों पर ज़ोर
जयराम रमेश ने सरकार से अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाने की मांग की है:
1. आय बढ़ाना (Increase income): सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे लोगों की आय बढ़े, जिससे उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिले।
2. ‘मित्र पूंजीवाद और कर आतंक’ नीतियों को समाप्त करना: कांग्रेस का कहना है कि सरकार को अपनी ऐसी नीतियों को बंद करना चाहिए जो कुछ खास समूहों को लाभ पहुंचाती हैं और व्यवसायों में डर पैदा करती हैं।
3. GST का सरलीकरण (Simplification of GST): वस्तु एवं सेवा कर (GST – Goods and Services Tax) की प्रक्रियाओं को सरल बनाने की मांग की गई, ताकि छोटे और मझोले व्यवसायों के लिए अनुपालन बोझ कम हो।
4. भारतीय उद्योगों को चीनी ‘डंपिंग’ से बचाना (Protect Indian industries from Chinese ‘dumping’): रमेश ने भारतीय उद्योगों को चीन से होने वाली ‘डंपिंग’ (dumping) से बचाने के लिए कदम उठाने की भी वकालत की। डंपिंग तब होती है जब कोई देश अपने उत्पादों को दूसरे देश में उनकी घरेलू कीमत से कम दाम पर बेचता है, जिससे स्थानीय उद्योगों को नुकसान होता है।
अर्थव्यवस्था पर राजनीतिक बहस तेज़
कांग्रेस के ये आरोप भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति पर राजनीतिक बहस को और तेज़ कर सकते हैं। सरकार लगातार भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियाद और विदेशी निवेश आकर्षित करने में सफलता का दावा करती रही है। हालांकि, विपक्ष की यह आलोचना बताती है कि निवेश, रोज़गार और आर्थिक समानता जैसे मुद्दों पर अभी भी बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं। आने वाले समय में आर्थिक आंकड़ों और सरकारी नीतियों पर यह बहस और गहरी हो सकती है।