नई दिल्ली: भारत ने स्मार्टफोन निर्यात (Smartphone Exports) के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है! 2025 की दूसरी तिमाही में, भारत ने पहली बार अमेरिका को स्मार्टफोन निर्यात (smartphone exports to the US) के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। शोध कंपनी कैनालिस (Canalys), जो अब ओमडिया (Omdia) का हिस्सा है, के अनुसार, यह उपलब्धि मुख्य रूप से शुल्क वार्ताओं (tariff negotiations) के बीच चीन की व्यापार हिस्सेदारी (trade share) घटने के कारण हुई है, जिससे भारत अमेरिका पहुंचने वाले स्मार्टफोन का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र (manufacturing hub) बनकर उभरा है। यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए एक बड़ी सफलता है।
Smartphone Exports और बदलता परिदृश्य
कैनालिस के शोध से पता चला कि शुल्क संबंधी चिंताओं के बीच विक्रेताओं के अपने भंडार को बढ़ाने के चलते चालू कैलेंडर वर्ष की दूसरी तिमाही में अमेरिका में स्मार्टफोन का आयात एक प्रतिशत बढ़ गया। यह दर्शाता है कि कंपनियां संभावित टैरिफ परिवर्तनों से पहले स्टॉक कर रही हैं, जिससे आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) में कुछ अस्थिरता आ रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के साथ व्यापार वार्ता को लेकर अनिश्चितता के कारण आपूर्ति श्रृंखला को तैयार करने का काम तेज़ हुआ है। अमेरिका पहुंचने वाले स्मार्टफोन में चीन की हिस्सेदारी अप्रैल-जून में तेज़ी से घटकर 25 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले 61 प्रतिशत थी। यह चीन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि अमेरिका उसके सबसे बड़े निर्यात बाज़ारों में से एक है।
भारत को मिला बड़ा फायदा: 240% की वृद्धि!
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की इस गिरावट का ज़्यादातर हिस्सा भारत को मिला। भारत में बने स्मार्टफोन की कुल मात्रा में सालाना आधार पर 240 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि (massive 240% increase) हुई है। अब अमेरिका पहुंचने वाले स्मार्टफोन में भारत की 44 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह आंकड़ा विशेष रूप से प्रभावशाली है, क्योंकि वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा केवल 13 प्रतिशत था। यह दर्शाता है कि भारत ने बहुत कम समय में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाई है।
कैनालिस के प्रमुख विश्लेषक संयम चौरसिया (Sanyam Chaurasia) ने कहा, “भारत 2025 की दूसरी तिमाही में पहली बार अमेरिका में बिकने वाले स्मार्टफोन का प्रमुख विनिर्माण केंद्र बन गया है, जिसकी मुख्य वजह अमेरिका और चीन के बीच अनिश्चित व्यापार परिदृश्य के बीच एप्पल द्वारा भारतीय आपूर्ति श्रृंखला को तेजी से बढ़ाना है।” एप्पल (Apple) जैसी बड़ी कंपनियों का भारत में उत्पादन बढ़ाना ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए एक बड़ा बूस्ट है।
भारत के लिए ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता
यह उपलब्धि भारत सरकार की उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI – Production-Linked Incentive) योजना और अन्य पहलों की सफलता को दर्शाती है, जिनका उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है। स्मार्टफोन जैसे हाई-टेक उत्पादों के निर्यात में यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रोजगार सृजन, विदेशी मुद्रा आय और तकनीकी क्षमताओं के विकास में योगदान करती है।
चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार तनाव ने कई वैश्विक कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए मजबूर किया है। भारत इस अवसर का लाभ उठाने में सफल रहा है, जिससे वह वैश्विक विनिर्माण परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है।
भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां
इस सफलता के बावजूद, भारत को अपनी विनिर्माण क्षमता को बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इनमें बुनियादी ढांचा (infrastructure) विकास, कुशल श्रम शक्ति (skilled workforce) की उपलब्धता और व्यापार नियमों को और सरल बनाना शामिल है। हालांकि, मौजूदा रुझान बताते हैं कि भारत एक आकर्षक विनिर्माण गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
यह उपलब्धि न केवल स्मार्टफोन उद्योग के लिए, बल्कि भारत के पूरे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की बढ़ती भूमिका और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता को दर्शाता है।