नई दिल्ली: HSBC India ‘इंडिया बिजनेस केस प्रोग्राम’ : कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी ढूंढना भारत में लाखों स्नातकों के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। अक्सर छात्रों के पास डिग्री (degree) तो होती है, लेकिन उद्योग जगत (industry) की जरूरतों के हिसाब से कौशल (skills) और अनुभव (experience) की कमी होती है। इसी कमी को पूरा करने के लिए एचएसबीसी इंडिया (HSBC India) ने एक खास पहल की घोषणा की है। कंपनी ने स्नातक छात्रों को रोजगार के काबिल (employable) बनाने के मकसद से अपने ‘इंडिया बिजनेस केस प्रोग्राम’ के 12वें संस्करण की शुरुआत की है।
क्यों है इस प्रोग्राम की जरूरत?
आजकल नौकरी के लिए सिर्फ शैक्षणिक ज्ञान (academic knowledge) ही काफी नहीं है। आज के आधुनिक और प्रतिस्पर्धी कार्यस्थल (workplace) में सफल होने के लिए छात्रों को और भी बहुत कुछ चाहिए होता है।
– स्किल गैप: HSBC India के बयान में बताया गया है कि देश के स्नातकों के पास मौजूद कौशल और उद्योग जगत की आवश्यकताओं के बीच एक बड़ा अंतर (gap) है। नियोक्ता (employers) अब एआई (AI) और डेटा विश्लेषण (data analysis) जैसी तकनीकी विशेषज्ञता (technological expertise) के साथ-साथ अलग सोच (out-of-the-box thinking), संचार कौशल (communication skills) और रचनात्मकता (creativity) जैसे कौशल को भी प्राथमिकता (prioritize) दे रहे हैं।
– वास्तविक अनुभव की कमी: पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में छात्रों को वास्तविक व्यावसायिक दुनिया (real business world) का अनुभव बहुत कम मिल पाता है। यह प्रोग्राम इसी कमी को पूरा करने का प्रयास है।
क्या है ‘बिजनेस केस प्रोग्राम’? जानें इसका खास मॉडल
HSBC India का यह कार्यक्रम छात्रों को व्यवहारिक शिक्षा (practical learning) देने के लिए डिजाइन (design) किया गया है। इसका सबसे खास हिस्सा ‘बिजनेस केस स्टडीज’ (business case studies) हैं।
– केस स्टडीज के माध्यम से सीख: इसमें छात्रों को वास्तविक कंपनियों की समस्याओं को केस स्टडी के रूप में हल करने का मौका दिया जाता है। यह उन्हें किताबी ज्ञान को वास्तविक परिस्थितियों (situations) में लागू करना सिखाता है।
– हाइब्रिड लर्निंग मॉडल: यह कार्यक्रम हाइब्रिड (hybrid) यानी ऑनलाइन (online) और ऑफलाइन (offline) दोनों माध्यमों का उपयोग करता है। इसमें ई-लर्निंग (e-learning), विशेष वर्कशॉप (workshops), इंडस्ट्री मेंटॉरशिप (industry mentorship) और सी-सूट अधिकारियों (C-Suite executives) के साथ सीधे संवाद (dialogue) शामिल हैं। यह मॉडल छात्रों को जटिल व्यावसायिक चुनौतियों (complex business challenges) को समझने में मदद करता है।
इस कार्यक्रम को यूनाइटेड वे ऑफ मुंबई (United Way of Mumbai) और सत्त्व कंसल्टिंग (Sattva Consulting) द्वारा लागू किया जा रहा है।
छोटे शहरों तक पहुंचेगा यह कार्यक्रम
HSBC India की प्रबंध निदेशक (एमडी) (MD) और ‘सस्टेनेबिलिटी’ (Sustainability) प्रमुख आलोका मजूमदार ने कहा कि यह कार्यक्रम भारत के युवाओं की अपार क्षमता (immense potential) को पोषित करने का एक मंच (platform) है।
– प्रतिभा को बढ़ावा: उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यक्रम को छोटे व मझोले शहरों और कस्बों के कॉलेज तक विस्तारित (expanded) करके उनका लक्ष्य पूरे देश के छात्रों को समान अवसर (equal opportunities) प्रदान करना है। यह पहल महानगरों के बाहर छिपी हुई प्रतिभा (hidden talent) को सामने लाने में मदद करेगी।
यह पहल दर्शकों को आश्वस्त करती है कि भारत में कामकाजी बल (workforce) भविष्य की तकनीकी उथल-पुथल (technological upheaval) और वैश्विक प्रतिस्पर्धा (global competition) के लिए तैयार हो रहा है।
शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई पाटने का प्रयास
कुल मिलाकर, HSBC India का यह कदम शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को पाटने के लिए एक व्यावहारिक समाधान (practical solution) प्रदान करता है। यह सिर्फ एक ट्रेनिंग प्रोग्राम नहीं, बल्कि यह भारत के भविष्य में एक निवेश (investment) है। यह सुनिश्चित करेगा कि आने वाली पीढ़ी केवल अच्छी तरह से शिक्षित ही नहीं, बल्कि रोजगार और व्यापार जगत की जटिलताओं को समझने के लिए भी पूरी तरह से तैयार हो। इससे देश के आर्थिक विकास को भी मजबूती मिलेगी।
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