नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI – Reserve Bank of India) ने इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) की निगरानी समिति (oversight committee) का कार्यकाल एक महीने के लिए बढ़ाकर 28 अगस्त, 2025 तक कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब बैंक अपने पिछले प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सुमंत कठपालिया (Sumant Kathpalia) के इस्तीफे के बाद एक नए MD और CEO की तलाश में है।
क्यों बढ़ाई गई IndusInd Bank कमेटी की अवधि?
सुमंत कठपालिया ने 29 अप्रैल, 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके तुरंत बाद ही इस समिति का गठन किया गया था। समिति का प्रारंभिक कार्यकाल 28 जुलाई, 2025 तक निर्धारित था। कठपालिया के इस्तीफे का मुख्य कारण वायदा-विकल्प पोर्टफोलियो (futures and options portfolio) में हुई एक लेखांकन चूक (accounting discrepancy) की “नैतिक जिम्मेदारी” लेना था। इस चूक की वजह से बैंक को कथित तौर पर ₹1,960 करोड़ का वित्तीय नुकसान (financial loss) हुआ था।
आरबीआई द्वारा कार्यकाल का विस्तार इस बात का संकेत है कि नए MD और CEO की नियुक्ति प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है, और नियामक यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस महत्वपूर्ण संक्रमण काल के दौरान बैंक के संचालन सुचारू रूप से चलते रहें।
IndusInd Bank का बयान और कमेटी की भूमिका
इंडसइंड बैंक ने शुक्रवार को शेयर बाजार (stock exchange) को दी गई सूचना में बताया, “आरबीआई ने 25 जुलाई, 2025 के अपने पत्र के माध्यम से कार्यकारी समिति (executive committee) के कार्यकाल को एक महीने बढ़ाने की मंजूरी दी है। समिति का कार्यकाल 29 जुलाई, 2025 से बढ़ाकर 28 अगस्त, 2025 तक या नए MD और CEO की नियुक्ति और कार्यभार ग्रहण करने तक प्रभावी होगा।” यह स्पष्ट करता है कि समिति की भूमिका नए नेतृत्व के आने तक बैंक के दैनिक कार्यों की देखरेख करना है।
बैंक ने आरबीआई की मंजूरी से एक समिति का गठन किया था, जिसमें सौमित्र सेन (प्रमुख – उपभोक्ता बैंकिंग) और अनिल राव (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी) जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। यह समिति नए MD और CEO के कार्यभार संभालने तक या विस्तारित अवधि के अनुसार 28 अगस्त तक बैंक के परिचालन (operations) की देखरेख करती रहेगी। उनकी ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि बैंक के ग्राहकों और हितधारकों को किसी भी तरह की असुविधा न हो और बैंक की स्थिरता बनी रहे।
IndusInd Bank में भविष्य की दिशा
यह विस्तार इंडसइंड बैंक के लिए एक महत्वपूर्ण समय है, क्योंकि यह अपने नेतृत्व संरचना में एक बड़ा बदलाव कर रहा है। नियामक की कड़ी निगरानी यह सुनिश्चित करती है कि बैंक कॉर्पोरेट प्रशासन (corporate governance) के उच्चतम मानकों का पालन करे, विशेष रूप से ऐसे मामलों के बाद जो वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े हों।
नए MD और CEO की नियुक्ति बैंक के भविष्य के विकास प्रक्षेपवक्र (growth trajectory) और रणनीतिक दिशा के लिए महत्वपूर्ण होगी। यह देखना बाकी है कि बैंक कब तक उपयुक्त उम्मीदवार ढूंढ पाता है और कौन इस महत्वपूर्ण भूमिका को संभालेगा। इस बीच, निगरानी समिति की निरंतर उपस्थिति, बैंक के कामकाज में पारदर्शिता और स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगी।