नई दिल्ली: अरबपति उद्योगपति और खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी वेदांता (Vedanta) के चेयरमैनअनिल अग्रवाल ने भारत की युवा आबादी को देश की सबसे बड़ी ताकत और प्रतिस्पर्धी बढ़त (competitive advantage) बताया है। उन्होंने इस युवा शक्ति में बड़े पैमाने पर निवेश करने का आह्वान किया है, ताकि भारत वैश्विक मंच पर अपना परचम लहरा सके। अग्रवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर अपने विचार साझा किए, जिसमें उन्होंने भारत की अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) पर प्रकाश डाला।
दुनिया की सबसे युवा आबादी: भारत का सबसे बड़ा लाभ
अनिल अग्रवाल ने अपने ‘एक्स’ पोस्ट में कहा, “दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की जनसंख्या सबसे युवा है।” यह एक ऐसा तथ्य है जो भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत स्थिति में लाता है। उन्होंने वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू (World Population Review) का हवाला देते हुए बताया कि एक औसत भारतीय की उम्र सिर्फ28.7 वर्ष है, और देश की50 प्रतिशत आबादी इससे भी कम उम्र की है। यह आंकड़ा भारत के लिए एक बहुत बड़ा लाभ (huge advantage) है, जिसे अगर सही दिशा में उपयोग किया जाए तो यह देश की आर्थिक वृद्धि को अभूतपूर्व गति दे सकता है।
अग्रवाल ने अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से तुलना करते हुए भारत की युवा शक्ति को और भी स्पष्ट किया:
चीन में लोगों की औसत उम्र 38.4 वर्ष है। ब्राजील में यह 33.2 वर्ष है। ब्रिटेन में 38.5 वर्ष है। ऑस्ट्रेलिया में 37.5 वर्ष है।
इन आंकड़ों के मुकाबले भारत की 28.7 वर्ष की औसत आयु स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि हमारे पास एक विशाल और ऊर्जावान कार्यबल (workforce) है, जो आने वाले दशकों तक देश की अर्थव्यवस्था को गति देने की क्षमता रखता है।
युवाओं में निवेश का आह्वान: वे दुनिया में परचम लहराएंगे
अनिल अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि यह केवल संख्या का खेल नहीं है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण निवेश का मामला है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं, लड़कियों और लड़कों, महिलाओं और पुरुषों में निवेश करने का आह्वान किया। उनका मानना है कि अगर इस युवा आबादी को सही कौशल (skills), शिक्षा (education) और अवसर (opportunities) प्रदान किए जाएं, तो”वे दुनिया में परचम लहराएंगे।” यह सिर्फ आर्थिक विकास का सवाल नहीं है, बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण (social empowerment) और वैश्विक नेतृत्व का भी है।
आज के दौर में जहां कई विकसित देश बढ़ती उम्र की आबादी और घटते कार्यबल की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं भारत के पास एक युवा और मेहनती कार्यबल है। यह भारत को वैश्विक विनिर्माण (global manufacturing), सेवा क्षेत्र (service sector) और नवाचार (innovation) का केंद्र बनने की क्षमता देता है।
वेदांता का योगदान: कौशल विकास कार्यक्रमों पर ज़ोर
अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता, उनकी इस सोच को जमीनी स्तर पर साकार करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। खनन क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी ने अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (Corporate Social Responsibility – CSR) के तहत कौशल विकास (skill development) कार्यक्रमों में भारी निवेश किया है।
कंपनी के अनुसार, उनके कौशल विकास कार्यक्रमों ने पिछले पांच वर्षों में पूरे देश मेंलगभग 15 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया है। इन प्रशिक्षित युवाओं में ग्रामीण और वंचित समुदायों (underprivileged communities) से आने वाले युवा प्रमुख हैं, जिन्हें अक्सर ऐसे अवसरों तक पहुंच नहीं मिल पाती है। यह पहल उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित करती है जहां सशक्तिकरण की सबसे अधिक आवश्यकता है।
वेदांता ने देशभर में200 से अधिक कौशल विकास केंद्र स्थापित किए हैं, जो विभिन्न ट्रेडों और कौशलों में प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इन कार्यक्रमों की सफलता का प्रमाण उनकी91 प्रतिशत नियोजन दर (placement rate) है, जिसका अर्थ है कि प्रशिक्षित युवाओं में से अधिकांश को रोजगार मिल जाता है। यह पहल आकांक्षा और अवसर के बीच की खाई (gap between aspiration and opportunity) को पाटने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।
2030 तक 25 लाख लोगों को सशक्त बनाने का लक्ष्य
वेदांता ने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है: कंपनी2030 तक 25 लाख लोगों को सशक्त बनाने के मिशन में अग्रणी भूमिका निभा रही है। यह लक्ष्य युवा भारत को मजबूत बनाने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस तरह के बड़े पैमाने के कार्यक्रम न केवल व्यक्तियों के जीवन में बदलाव लाते हैं, बल्कि समुदायों और अंततः राष्ट्र के विकास में भी योगदान करते हैं।
यह दर्शाता है कि भारत के कॉर्पोरेट जगत को भी देश के जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने और उसे एक वास्तविक शक्ति में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। सरकार के प्रयासों के साथ-साथ निजी क्षेत्र का यह योगदान भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने के उसके लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।