Friday, August 8, 2025

India-UK FTA: 75,000 भारतीय IT पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा अंशदान में छूट, TCS, Infosys को फायदा!

नई दिल्ली: भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) के तहत भारतीय पेशेवरों और कंपनियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। अब ब्रिटेन में परिचालन करने वाली टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और इन्फोसिस (Infosys) जैसी देश की प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनियों को वहां स्थानांतरित किए गए अपने कर्मचारियों के लिए तीन साल तक सामाजिक सुरक्षा अंशदान (social security contributions) करने की ज़रूरत नहीं होगी। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रावधान से 75,000 से अधिक भारतीय पेशेवरों और 900 से अधिक नियोक्ताओं (employers) को लाभ मिलने का अनुमान है।

India-UK FTA; क्यों अहम है यह छूट?

यह कदम भारतीय पेशेवरों और उनके नियोक्ताओं को ब्रिटेन में 36 महीने (तीन साल) तक रहने के लिए इन अंशदानों से छूट प्रदान करेगा। यह रियायत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्रिटेन $283 अरब (283 billion dollars) के भारतीय आईटी उद्योग के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार (second largest export market) है। भारत के कुल आईटी निर्यात में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है। ऐसे में, यह छूट भारतीय आईटी कंपनियों के लिए परिचालन लागत को कम करेगी और उन्हें ब्रिटेन में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी।

India-UK FTA केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सराहा

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (X) पर इस छूट को एक ‘महत्वपूर्ण सफलता’ (significant success) बताया। उन्होंने कहा कि दोहरे अंशदान समझौते (dual contribution agreement) के तहत ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा अंशदान से तीन साल की यह छूट भारतीय पेशेवरों और उनके नियोक्ताओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

गोयल ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के बीच इस ‘ऐतिहासिक’ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने से सूचना प्रौद्योगिकी, सेवा एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत की प्रतिभाओं को ब्रिटेन के उच्च मूल्य वाले बाज़ारों (high-value markets) तक आसान पहुंच का लाभ मिलेगा। यह समझौता भारतीय सेवाओं और पेशेवरों के लिए नए रास्ते खोलेगा।

India-UK FTA द्विपक्षीय व्यापार और अन्य लाभ

भारत और ब्रिटेन ने इस एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे ब्रिटिश व्हिस्की, कारों और कई अन्य वस्तुओं पर शुल्क में कटौती का प्रस्ताव है। इसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना (double bilateral trade) है, जो वर्तमान में $56 अरब (56 billion dollars) है। यह व्यापार समझौता दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को एक नई दिशा देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर की उपस्थिति में गुरुवार को लंदन में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

गोयल ने ‘एक्स’ पर लिखा, “आईटी, सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में भारत की प्रतिभा को ब्रिटेन के उच्च मूल्य वाले बाजारों तक आसान पहुंच का लाभ मिलेगा।” उन्होंने ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा अंशदान से तीन वर्ष की छूट को भारतीय पेशेवरों एवं उनके नियोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।

स्टार्टअप्स और इलेक्ट्रॉनिक निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

पीयूष गोयल ने यह भी कहा, “भारत-ब्रिटेन एफटीए हमारे स्टार्टअप के लिए ब्रिटेन के ग्राहकों, निवेशकों और नवाचार केंद्रों के द्वार खोलेगा जिससे उन्हें वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति बढ़ाने में मदद मिलेगी।” यह भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम (startup ecosystem) के लिए एक बड़ी खबर है, क्योंकि उन्हें अब ब्रिटेन के विकसित बाज़ार और निवेश के अवसरों तक सीधी पहुंच मिलेगी।

यह समझौता भारत के इलेक्ट्रॉनिक निर्यात (electronic exports) को भी बढ़ावा देने के लिए तैयार है। शून्य-शुल्क पहुंच (zero-duty access) से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में तेज़ी आने की उम्मीद है। साथ ही ब्रिटेन के ऑप्टिकल फाइबर केबल (optical fiber cable) और इन्वर्टर (inverter) बाज़ार में भारत की पकड़ मजबूत होगी।

यह सॉफ्टवेयर सेवाओं के विकास को भी बढ़ावा देगा, क्योंकि सॉफ्टवेयर और आईटी-सक्षम सेवाओं (IT-enabled services) के लिए ब्रिटेन की महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताओं से नए बाजार खुलते दिख रहे हैं। वहीं, इससे रोज़गार सृजन को बढ़ावा मिल रहा है और भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए अवसर बढ़ रहे हैं। सॉफ्टवेयर विकास और नेटवर्क अवसंरचना (network infrastructure) के लिए प्रतिस्पर्धी पहुंच से भी डिजिटल व्यापार में वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

कुल मिलाकर, यह एफटीए भारतीय पेशेवरों, आईटी कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए ब्रिटेन में अवसरों के नए द्वार खोल रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध और गहरे होंगे।

 

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