Friday, August 1, 2025

IIT ग्रेजुएट सौरभ बोथरा ने कैसे Yoga के जुनून को 1.2 करोड़ लोगों की ग्लोबल वेलनेस कम्युनिटी में बदला: हैबिल्ड की प्रेरणादायक कहानी!

नई दिल्ली: एक छोटे से प्रयास ने एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया। IIT-BHU (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी – बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी) के स्नातक सौरभ बोथरा (Saurabh Bothra) ने जब COVID-19 (कोविड-19) महामारी के शुरुआती दिनों में अपनी मां को घुटनों के दर्द से राहत देने के लिए कुछ सरल योगासन करवाए, तब उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह एक क्रांतिकारी वेलनेस प्लेटफॉर्म की नींव रख रहे हैं। उनकी मां के घुटनों के दर्द को कम करने का यह दिल से किया गया प्रयास धीरे-धीरे ‘हैबिल्ड (Habuild)’ में बदल गया – एक आदत-निर्माण (habit-building) पर आधारित वेलनेस प्लेटफॉर्म, जिसके आज दुनिया भर में 1.2 करोड़ से अधिक सदस्य हैं। यह कहानी सिर्फ एक ऐप की नहीं, बल्कि निरंतरता, सरलता और जन-जन तक स्वास्थ्य पहुंचाने के जुनून की है।

सौरभ बोथरा की वेलनेस यात्रा: अस्थमा से योग तक

हैबिल्ड के सह-संस्थापक सौरभ बोथरा की खुद की वेलनेस यात्रा 19 वर्ष की उम्र में शुरू हुई, जब वे अस्थमा (asthma) से जूझ रहे थे और योग से उन्हें आश्चर्यजनक राहत मिली। उनके पास तकनीकी ज्ञान था, स्वास्थ्य के प्रति गहरा लगाव था और उनके दादा की आयुर्वेद में रुचि ने मिलकर एक अनोखी सोच को जन्म दिया। उन्होंने नागपुर से मुफ्त ऑनलाइन योग सत्र (free online yoga sessions) शुरू किए, जो शुरू में केवल उनकी मां के लिए थे। लेकिन जल्द ही, उनकी सरल और अनुशासित दिनचर्या से दूसरी माताओं को भी लाभ मिला और ‘वर्ड ऑफ माउथ (word of mouth)’ के ज़रिए यह तेज़ी से फैलता चला गया। यह दिखाता है कि कैसे एक सच्ची ज़रूरत और उसके सरल समाधान को लोग खुद-ब-खुद अपना लेते हैं।

हैबिल्ड का मंत्र: छोटी लेकिन नियमित आदतें (Small but Consistent Habits)

हैबिल्ड की सफलता का रहस्य उसकी अनूठी फिलॉसफी में छिपा है: छोटी लेकिन नियमित आदतों पर फोकस (focus on small but consistent habits)। सौरभ ने महसूस किया कि किसी भी आदत में निरंतरता तभी संभव है जब तुरंत इनाम (instant gratification) और विविधता (variety) के सिद्धांतों को अपनाया जाए – यह अवधारणा बिहेवियरल साइंस (behavioral science) से ली गई है। उन्होंने केवल पांच मिनट के अभ्यास (five-minute practice) और उपस्थिति ट्रैकिंग (attendance tracking) के माध्यम से यूज़र्स को लगातार जुड़ने में मदद की, चाहे उनकी शारीरिक स्थिति या उम्र कुछ भी हो। यह दृष्टिकोण उन लोगों के लिए बेहद आकर्षक साबित हुआ जिनके पास समय कम था या जो जटिल योग दिनचर्या का पालन नहीं कर सकते थे।

हैबिल्ड के विश्व रिकॉर्ड्स: वैश्विक पहचान का आधार

हैबिल्ड का प्रभाव तब वैश्विक बना जब इसने एक नहीं बल्कि कई वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Records) बनाए, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली:

* जनवरी 2024 में, YouTube पर योग लाइव स्ट्रीम के लिए 2.46 लाख दर्शकों के साथ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) बना।
* इसके बाद 5.99 लाख दर्शकों के साथ एक दिन में सबसे अधिक लाइव व्यूअरशिप (most live viewership in a day) का रिकॉर्ड।
* और 2.87 लाख प्रतिभागियों के साथ वर्चुअल ध्यान कक्षा (virtual meditation class) के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनियन (World Record Union) का टाइटल भी हासिल किया।
* 2023 में वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनियन के अनुसार सबसे बड़ी वर्चुअल योगा क्लास में 1.34 लाख प्रतिभागियों ने भाग लिया था।
* इसके बाद मई 2024 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) पर 7.52 लाख लाइव दर्शकों के साथ एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया।

ये रिकॉर्ड केवल संख्याएं नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण हैं कि हैबिल्ड ने लाखों लोगों को योग और वेलनेस से जुड़ने के लिए प्रेरित किया है।

1.2 करोड़ से अधिक सदस्य: भारत की सबसे तेज़ी से बढ़ती वेलनेस कम्युनिटी

हैबिल्ड की सबसे बड़ी उपलब्धि तब बनी जब इसके यूज़र्स की संख्या 1.2 करोड़ (12 million) पार कर गई। 2022 में सिर्फ 1000 सदस्यों से शुरू हुआ यह सफर आज भारत की सबसे तेज़ी से बढ़ती डेली वेलनेस कम्युनिटी (daily wellness community) बन चुका है। सौरभ बोथरा कहते हैं, “हमारा उद्देश्य कभी केवल संख्या नहीं था – बल्कि एक ऐसा आंदोलन बनाना था जो अनुशासन आधारित, समावेशी और सभी के लिए सुलभ हो।” यह समावेशी दृष्टिकोण ही हैबिल्ड की आत्मा है, जो इसे केवल एक व्यावसायिक उद्यम से कहीं अधिक बनाती है।

निरंतरता का दर्शन और प्रेरणादायक कहानियां

हैबिल्ड व्हाट्सएप रिमाइंडर (WhatsApp reminders), स्थानीय नेटवर्क और निरंतर जुड़ाव के माध्यम से उन लोगों के जीवन में वेलनेस को एकीकृत करता है जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। सौरभ का दर्शन – “परफेक्ट न सही, लेकिन रोज़ दिखो (Don’t be perfect, just show up daily)” – लोगों के दिलों को छूता है। यह उन लोगों को प्रेरित करता है जो अक्सर पूर्णता की तलाश में शुरुआत ही नहीं कर पाते। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें खुद भी किताबें पढ़ने की आदत डालने में संघर्ष करना पड़ा, और उन्होंने जेम्स क्लियर (James Clear) की प्रसिद्ध पुस्तक ‘एटॉमिक हैबिट्स (Atomic Habits)’ से प्रेरणा लेकर यह चुनौती पार की। चाहे माताओं को वेलनेस की ओर ले जाना हो या 94 वर्षीय महिला को दैनिक योग करने के लिए प्रेरित करना – उनका संदेश साफ है: निरंतरता (consistency), तीव्रता (intensity) से अधिक प्रभावी होती है।

हैबिल्ड की कम्युनिटी में कई प्रेरणादायक कहानियां हैं:

* अमेरिका में रहने वाली 77 वर्षीय रिटायर्ड फिज़िशियन (retired physician) की कहानी – जिनकी दोनों घुटनों की रिप्लेसमेंट सर्जरी और एक पैर की सर्जरी हो चुकी है – उन्होंने हैबिल्ड के योग से दोबारा ताकत और आत्मविश्वास पाया। अप्रैल में यात्रा से लौटने के बाद वे फिर से सौरभ बोथरा के मार्गदर्शन में योग करने लगीं। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही – एक कठिन ट्रेक (trek) को पूरा करना। उनका मानना है कि “सीनियर सिटीज़न्स के लिए कोई सीमा नहीं है, यदि इच्छाशक्ति और सही मार्गदर्शन हो।”
* एक अन्य प्रेरणादायक उदाहरण 69 वर्षीय मैराथन धावक (marathon runner) हैं, जो 284 दिनों तक योग अभ्यास के बाद पहले से कहीं अधिक सहजता से दौड़ने और साइकिल चलाने लगे हैं। वे अब तक 40 हाफ मैराथन, 4 टाटा मुंबई फुल मैराथन और कई प्रतिष्ठित दौड़ पूरी कर चुके हैं।
* वहीं, एक 94 वर्षीय महिला जो पहले फीमर फ्रैक्चर से उबर रही थीं, अब नियमित रूप से भुजंगासन (Bhujangasana) करती हैं।

ये कहानियां हैबिल्ड की मूल सोच को दर्शाती हैं – वेलनेस की कोई उम्र नहीं होती, केवल रोज़ की प्रतिबद्धता (daily commitment) मायने रखती है। सौरभ बोथरा और हैबिल्ड का सफर यह साबित करता है कि एक छोटे से विचार को जुनून और निरंतरता से एक विशाल सामाजिक आंदोलन में बदला जा सकता है।

 

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