Friday, August 1, 2025

गैर-सब्सिडी वाले उत्पादों को जबरन बेचने पर सरकार सख्त, fertiliser कंपनियों को चेतावनी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने उर्वरक विनिर्माताओं (fertilizer manufacturers) को एक कड़ा संदेश भेजा है। सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि यूरिया (Urea) और डीएपी (DAP) जैसे सब्सिडी वाले मृदा पोषक तत्व (subsidized soil nutrients) बेचते समय किसानों को कीटनाशकों (pesticides), नैनो-आधारित फसल पोषक तत्वों (nano-based crop nutrients) जैसे गैर-सब्सिडी वाले उत्पादों (non-subsidized products) को जबरन बेचा गया, तो कड़ी कार्रवाई (strict action) की जाएगी। यह कदम किसानों पर पड़ रहे अनुचित वित्तीय बोझ को रोकने और सरकार की उर्वरक सब्सिडी योजना के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने जारी किया सख्त पत्र

सूत्रों के अनुसार, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय (Ministry of Chemicals and Fertilizers) के तहत आने वाले उर्वरक विभाग (Department of Fertilizers) ने 21 जुलाई, 2025 को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सभी उर्वरक कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों (top officials) को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है, “विभाग को पता चला है कि कुछ गैर-सब्सिडी वाले उत्पाद जैसे कीटनाशक, नैनो उर्वरक, जैव-उत्तेजक (bio-stimulants) और अन्य उत्पादों को यूरिया और डीएपी/एनपीके (NPK) जैसे सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ जोड़कर (bundling) किसानों को बेचा जा रहा है।” यह प्रथा किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है, क्योंकि उन्हें अपनी ज़रूरत से ज़्यादा या बिना ज़रूरत वाले उत्पाद खरीदने पड़ रहे हैं।

कानूनी उल्लंघन और अनुचित प्रथा

विभाग ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि यह प्रथा कानूनी रूप से गलत है। उर्वरक आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (Essential Commodities Act, 1955) के तहत आवश्यक वस्तुएं हैं। इसलिए, अन्य उत्पादों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ गलत तरीके से जोड़ना न केवल इस कानून का उल्लंघन है, बल्कि उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 (Fertiliser Control Order, 1985) का भी उल्लंघन होगा। सरकार ने पहले भी ऐसी प्रथाओं को हतोत्साहित करने के लिए परामर्श जारी किए थे।

बयान के मुताबिक, “हालांकि, यह देखा गया है कि कुछ कंपनियों के डीलर (dealers) और खुदरा विक्रेता (retailers) किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरक बेचते समय गैर-सब्सिडी वाले उत्पादों को जोड़ने की भी कोशिश करते हैं।” यह दर्शाता है कि पहले जारी किए गए परामर्शों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा था, जिससे सरकार को अब और सख्त रुख अपनाना पड़ा है।

किसानों पर अनुचित बोझ और सब्सिडी ढांचे को नुकसान

विभाग ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की गलत प्रथाओं से किसानों पर अनुचित वित्तीय बोझ (undue financial burden) पड़ता है। किसान, जिन्हें सस्ते सब्सिडी वाले उर्वरकों की ज़रूरत होती है, उन्हें अक्सर मजबूरन महंगे गैर-सब्सिडी वाले उत्पाद खरीदने पड़ते हैं, जिनकी उन्हें या तो ज़रूरत नहीं होती या वे उन्हें वहन नहीं कर सकते। विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही हैं, जिससे पता चलता है कि यह गलत प्रथा व्यापक तौर से जारी है और इससे सरकार के उर्वरक सब्सिडी ढांचे (fertilizer subsidy framework) के लक्ष्य को नुकसान पहुंच रहा है। सरकार का उद्देश्य किसानों को सस्ती दरों पर आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराना है, न कि उन्हें अन्य उत्पादों को खरीदने के लिए मजबूर करना।

कड़े निर्देश और भविष्य की कार्रवाई

उर्वरक विभाग ने सभी उर्वरक कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन (top management) को सख्ती से यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि किसानों के लिए गैर-सब्सिडी वाले उत्पादों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ किसी भी सूरत में न जोड़ा जाए। इस चेतावनी के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि कंपनियों को अपनी वितरण प्रथाओं पर अधिक ध्यान देना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके डीलर और खुदरा विक्रेता इन निर्देशों का सख्ती से पालन करें। यदि यह प्रथा जारी रहती है, तो सरकार द्वारा इन कंपनियों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कड़ी कानूनी और नियामक कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें लाइसेंस रद्द करना या भारी जुर्माना लगाना शामिल हो सकता है।

यह कदम भारतीय किसानों के लिए एक बड़ी राहत हो सकता है, जिन्हें अक्सर बाजार में ऐसी अनुचित प्रथाओं का सामना करना पड़ता था। यह सरकार की किसानों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

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