TCS में छंटनी पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पैनी नज़र, कर्मचारी संगठन ने श्रम मंत्री से मांगा हस्तक्षेप!

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नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS – Tata Consultancy Services) द्वारा 12,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी (layoffs) की घोषणा के बाद स्थिति गरमा गई है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology – MeitY) इस पूरे मामले पर करीबी निगाह (close watch) रखे हुए है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार, 28 जुलाई 2025 को यह जानकारी दी, जिससे सरकार की चिंता साफ झलकती है।

TCS layoffs मंत्रालय की चिंता और कंपनी से संपर्क

सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय टीसीएस छंटनी मामले में पूरी स्थिति पर करीबी निगाह बनाए हुए है और लगातार कंपनी के संपर्क में है। सूत्रों के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस घटनाक्रम को लेकर चिंतित है और इस फैसले के पीछे की असली वजह को समझने के लिए इसकी पड़ताल करेगा। सरकार का यह रुख इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टीसीएस ने इस साल 12,261 कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की है, जो उसके कुल वैश्विक कार्यबल (global workforce) का लगभग दो प्रतिशत है। इस कदम का सबसे ज़्यादा असर मध्यम और वरिष्ठ स्तर के कर्मचारियों (mid and senior-level employees) पर पड़ने की आशंका है। इस घोषणा के बाद टीसीएस के शेयर का भाव बीएसई पर 1.76 प्रतिशत गिरकर ₹3,079.05 पर आ गया, जो निवेशकों की चिंता को दर्शाता है।

TCS layoffs  कर्मचारी संगठन ने की श्रम मंत्री से अपील

इस बीच, आईटी कर्मचारियों के प्रमुख संगठन ‘नैसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉईज सीनेट’ (NITES – NASSCOM Information Technology Employees Senate) ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) को एक पत्र लिखकर टीसीएस प्रबंधन से इस छंटनी पर स्पष्टीकरण (clarification) मांगने का अनुरोध किया है।

एनआईटीईएस ने टीसीएस के 12,000 कर्मचारियों की छंटनी के फैसले को “अनैतिक (unethical), अमानवीय (inhumane) और पूरी तरह से अवैध (illegal)” करार दिया है। कर्मचारी संगठन के मुताबिक, टीसीएस ने छंटनी के दौरान कानूनी प्रावधानों (legal provisions) का उल्लंघन भी किया है। भारतीय श्रम कानूनों के अनुसार, एक साल से अधिक सेवा देने वाले किसी भी कर्मचारी को हटाने से पहले कंपनी को:
* एक महीने का नोटिस (one-month notice) या उसके एवज में वेतन (salary in lieu of notice) देना अनिवार्य है।
* वैधानिक छंटनी मुआवजा (statutory retrenchment compensation) देना होता है।
* और सरकार को सूचित करना (inform the government) अनिवार्य है।

एनआईटीईएस का आरोप है कि टीसीएस ने इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया है।

TCS layoffs ‘कॉरपोरेट शब्दाडंबर में छिपी सामूहिक बर्खास्तगी’

एनआईटीईएस के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा (Harpreet Singh Saluja) ने टीसीएस के इस कदम को ‘कॉरपोरेट शब्दाडंबर (corporate rhetoric) में छिपी सामूहिक बर्खास्तगी (mass termination)’ बताते हुए कहा कि, “यदि टीसीएस जैसी बड़ी कंपनी को उचित प्रक्रिया के बगैर बड़े पैमाने पर छंटनी करने की अनुमति दी जाती है, तो यह उद्योग के लिए एक खतरनाक मिसाल (dangerous precedent) कायम करेगा।” सलूजा की यह टिप्पणी भारतीय आईटी क्षेत्र में कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर बढ़ती चिंता को दर्शाती है।

एनआईटीईएस ने सरकार से इस मामले का तत्काल संज्ञान लेने (take immediate cognizance), टीसीएस को नोटिस जारी करने (issue notice), और सभी छंटनी रोकने का आग्रह किया है।

TCS layoffs को लेकर कंपनी का तर्क:

इससे पहले रविवार को टीसीएस ने छंटनी के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि यह “भविष्य के लिए तैयार संगठन (future-ready organization)” बनने की उसकी रणनीति का हिस्सा है। कंपनी के अनुसार, इस रणनीति के केंद्र में प्रौद्योगिकी (technology), कृत्रिम मेधा (AI – Artificial Intelligence) को अपनाना, बाज़ार विस्तार (market expansion) और कार्यबल पुनर्गठन (workforce restructuring) में निवेश शामिल है। टीसीएस का दावा है कि वह अपने संचालन को अधिक कुशल और भविष्य की ज़रूरतों के अनुरूप बनाने के लिए ये कदम उठा रही है।

टीसीएस ने यह भी कहा है कि वह छंटनी का शिकार होने वाले कर्मचारियों को उचित लाभ (fair benefits) देने, नई नौकरी तलाशने में सहयोग (job search assistance) देने, परामर्श (counseling) और समर्थन (support) देने की बात कही है। हालांकि, कर्मचारी संगठन का दावा है कि ये वादे ज़मीनी स्तर पर पूरे नहीं हो रहे हैं।

 

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