नई दिल्ली: Indian Railways के लिए वित्त वर्ष 2022-23 आर्थिक रूप से काफी शानदार रहा है। `नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक` (कैग) द्वारा संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल रेलवे की आय में रिकॉर्ड `25.51%` की वृद्धि दर्ज की गई है। यात्री और माल परिवहन से कुल `2,39,982.56 करोड़ रुपये` की कमाई हुई है। यह उपलब्धि रेलवे के लिए एक बड़ा वित्तीय मील का पत्थर है।
Indian Railways घाटे से मुनाफे तक का शानदार सफर
CAG की रिपोर्ट का सबसे बड़ा और सकारात्मक पहलू यह है कि भारतीय रेल ने घाटे से उबरकर मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है।
– वित्तीय प्रदर्शन: जहाँ वित्त वर्ष 2021-22 में रेलवे को `15,024.58 करोड़ रुपये` का भारी `घाटा` (loss) हुआ था, वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में यह घाटा `2,517.38 करोड़ रुपये` के `शुद्ध अधिशेष` (net surplus) में बदल गया।
– माल ढुलाई की भूमिका: इस मुनाफे के पीछे मुख्य वजह `माल ढुलाई` (`freight`) से हुआ लाभ है। यात्री परिचालन में हुए `5,257.07 करोड़ रुपये` के घाटे की भरपाई पूरी तरह से `माल ढुलाई` से हुए मुनाफे से की गई।
खर्चों में भी हुई वृद्धि, कोयले की रही अहम भूमिका
हालांकि, Indian Railways की आय में बढ़ोतरी हुई, लेकिन इसके खर्चों में भी इज़ाफा हुआ है।
– कुल खर्च: रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में रेल मंत्रालय का कुल व्यय (`expenditure`) `4,41,642.66 करोड़ रुपये` रहा, जो पिछले साल के मुक़ाबले `11.34%` ज़्यादा है।
– व्यय का विवरण: इस खर्च का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों पर गया। रेलवे के कुल कार्यशील व्यय (`working expenditure`) का `72.22%` हिस्सा `कर्मचारियों के वेतन`, `पेंशन` और `पट्टे पर लिए गए कोच/इंजन` के किराए पर ख़र्च हुआ।
– कोयले का योगदान: `माल भाड़े` से हुई आय में `कोयले` की हिस्सेदारी `50.42%` रही, जो यह दिखाता है कि माल ढुलाई में कोयला रेलवे के लिए सबसे बड़ा राजस्व (`revenue`) स्रोत बना हुआ है।
CAG ने अनियमितताओं की ओर भी किया इशारा
अच्छी वित्तीय तस्वीर के बावजूद, कैग ने अपनी रिपोर्ट में कुछ अनियमितताओं (`irregularities`) को भी उजागर किया है।
– बजट और लेखांकन में खामियाँ: रिपोर्ट में उत्तर पश्चिम, दक्षिण पूर्व मध्य और दक्षिण पश्चिम जैसे कुछ रेलवे खंडों (`zones`) में `बजट और लेखा नियंत्रण` से जुड़ी अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है।
– प्रमुख मुद्दे: इन मुद्दों में `बंद हो चुकी परियोजनाओं` के लिए धन का आवंटन (`allotment of funds`) और अनुमानों से अधिक खर्च (`over-expenditure`) शामिल हैं। यह दर्शाता है कि रेलवे को अपने वित्तीय प्रबंधन में अभी भी सुधार की ज़रूरत है।
कैग की यह रिपोर्ट एक मिली-जुली तस्वीर पेश करती है। एक तरफ यह दिखाती है कि भारतीय रेल आर्थिक रूप से सही रास्ते पर है और उसने मुनाफ़ा कमाना शुरू कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ यह बताती है कि `वित्तीय नियंत्रण` और `लेखांकन प्रक्रियाओं` को और मज़बूत करने की अभी भी ज़रूरत है।
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