नई दिल्ली: भारतीय बैंकिंग सेक्टर (Indian banking sector) के लिए एक महत्वपूर्ण डेवलपमेंट में, भारतीय बैंक संघ (Indian Banks’ Association – IBA) ने सभी बैंकों से स्विफ्ट आईएसओ-20022 (SWIFT ISO-20022) मानदंडों के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने का आग्रह किया है। आईबीए ने चेतावनी दी है कि ऐसा न करने पर बैंकों को सीमापार भुगतान (cross-border payments) में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यह एक ऐसा मानक है जो वैश्विक वित्तीय लेनदेन (global financial transactions) के भविष्य को आकार देने वाला है।
क्यों ज़रूरी है अगस्त 2025 तक का ‘बफर टाइम’?
ऋणदाताओं (lenders) के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि वे अगस्त 2025 तक इस स्थानांतरण (migration) को शुरू कर दें। ऐसा करने से उन्हें आईएसओ-20022 लेनदेन की मात्रा (transaction volume) की निगरानी के लिए पर्याप्त बफर समय (buffer time) मिल पाएगा। आईबीए के मुख्य कार्यकारी अतुल कुमार गोयल (Atul Kumar Goel) ने हाल ही में सभी बैंकों के प्रमुखों को लिखे एक पत्र में इस बात पर जोर दिया।
क्या है ISO-20022 और इसके फायदे?
आईएसओ-20022 (ISO-20022) वित्तीय संदेश के लिए एक वैश्विक मानक (global standard) है। इसे सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (SWIFT – Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) सीमापार भुगतान और रिपोर्टिंग (reporting) के लिए अपना रहा है। यह एक ऐसा ढांचा है जो विभिन्न वित्तीय संस्थानों के बीच डेटा (data) के आदान-प्रदान के तरीके को मानकीकृत (standardize) करता है।
संदेश के लिए इस नए मानक का मकसद वित्तीय लेनदेन को कई मायनों में बेहतर बनाना है:
* तेज़ प्रसंस्करण (Faster Processing): यह लेनदेन को अधिक तेज़ी से प्रोसेस करने में मदद करेगा।
* दृश्यता (Visibility): भुगतान प्रवाह में बेहतर दृश्यता प्रदान करेगा, जिससे लेनदेन को ट्रैक करना आसान होगा।
* लागत में कमी (Cost Reduction): मैन्युअल हस्तक्षेप (manual intervention) को कम करके और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके लागत कम करने में मदद करेगा।
* बेहतर समाधान (Better Resolution): त्रुटियों (errors) और विसंगतियों (discrepancies) को कम करके बेहतर समाधान सुनिश्चित करेगा।
* भुगतान प्रवाह में सुधार (Improved Payment Flow): समग्र भुगतान प्रणाली को अधिक कुशल और सुचारू बनाएगा।
संक्षेप में, यह नया मानक वैश्विक वित्तीय संचार को अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और कुशल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत में प्रगति और चुनौतियाँ: नवंबर 2025 की वैश्विक समयसीमा
पत्र में गोयल ने बताया कि भारत में कम से कम तीन बैंकों ने पहले ही 85 प्रतिशत से अधिक की स्थानांतरण प्रतिशत दर (migration percentage rate) हासिल कर ली है। यह दर्शाता है कि कुछ बैंक इस बदलाव को तेजी से अपना रहे हैं। हालांकि, चिंता का विषय यह है कि अधिकांश बैंक अब भी नवंबर 2025 की वैश्विक समयसीमा (global deadline) के आसपास बदलाव का लक्ष्य बना रहे हैं।
गोयल ने बैंकों को आगाह किया कि इस नज़रिए से भारत के लिए एक देश के रूप में संदेश अस्वीकृति (message rejection) सहित कई महत्वपूर्ण परिचालन (operational) और तकनीकी जोखिम (technical risks) पैदा हो सकते हैं। यदि भारतीय बैंक वैश्विक मानक को समय पर नहीं अपनाते हैं, तो उनके द्वारा भेजे गए या प्राप्त किए गए वित्तीय संदेशों को अन्य अंतरराष्ट्रीय बैंकों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा, जिससे सीमापार भुगतानों में बड़ी बाधाएं आ सकती हैं। यह भारत की वैश्विक वित्तीय कनेक्टिविटी (global financial connectivity) और व्यापार (trade) पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
जोखिम और आगे का रास्ता: वित्तीय प्रणाली की स्थिरता
समय पर आईएसओ-20022 को लागू न करने से होने वाले जोखिमों में शामिल हैं:
* परिचालन संबंधी बाधाएँ (Operational Hurdles): बैंकों को मैनुअल प्रक्रियाओं पर अधिक निर्भर रहना पड़ सकता है, जिससे दक्षता कम होगी और त्रुटियों की संभावना बढ़ेगी।
* तकनीकी चुनौतियाँ (Technical Challenges): अंतिम समय पर बदलाव करने की कोशिश करने से सिस्टम इंटीग्रेशन (system integration) और तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
* प्रतिष्ठा को नुकसान (Reputational Damage): वैश्विक स्तर पर भुगतान स्वीकार न होने से भारतीय बैंकों और समग्र भारतीय वित्तीय प्रणाली की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है।
* वित्तीय नुकसान (Financial Losses): लेनदेन में देरी या अस्वीकृति से वित्तीय नुकसान हो सकता है, विशेष रूप से व्यापारिक लेनदेन के लिए।
आईबीए की चेतावनी भारतीय बैंकों के लिए एक वेक-अप कॉल (wake-up call) है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वे इस वैश्विक मानक को समय पर अपनाएं ताकि भारत की वित्तीय प्रणाली वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और कुशल बनी रहे। नियामक निकायों और बैंकों के बीच सहयोग इस संक्रमण (transition) को सुचारू और प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा।