Monday, August 18, 2025

Lupin ने स्विस कंपनी Sandoz के साथ मिलाया हाथ, Biosimilar Product से दुनिया में मचाएगी धूम

नई दिल्ली: प्रमुख दवा कंपनी ल्यूपिन (Lupin) ने अपने एक खास बायोसिमिलर उत्पाद (biosimilar product) के लिए स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी सैंडोज ग्रुप एजी (Sandoz Group AG) के साथ एक रणनीतिक साझेदारी (strategic partnership) की है। यह समझौता ल्यूपिन को वैश्विक बाजारों (global markets) में अपने उत्पाद की पहुंच (reach) बढ़ाने में मदद करेगा। भारतीय दवा उद्योग (Indian pharma industry) के लिए यह एक बड़ी और सकारात्मक खबर है।

क्या है यह समझौता? दोनों कंपनियों की भूमिकाएं

ल्यूपिन (Lupin) और सैंडोज के बीच हुआ यह समझौता एक खास बायोसिमिलर दवा रैनिबिजुमाब (Ranibizumab) के व्यावसायीकरण (commercialization) के लिए है।

– सैंडोज की जिम्मेदारी: समझौते की शर्तों के अनुसार, सैंडोज यूरोपीय संघ (European Union) (जर्मनी को छोड़कर), स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग, वियतनाम और मलेशिया जैसे प्रमुख बाजारों में इस उत्पाद का व्यावसायीकरण करेगी। सैंडोज को फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम और मलेशिया को छोड़कर ज्यादातर बाजारों में विशेष मार्केटिंग अधिकार (exclusive marketing rights) भी मिलेंगे।

– ल्यूपिन की जिम्मेदारी: वहीं, उत्पाद के निर्माण (manufacturing) और नियामक प्रस्तुतियां (regulatory submissions) देने की जिम्मेदारी पूरी तरह से ल्यूपिन की होगी। इसका मतलब है कि ल्यूपिन दवा को बनाएगी और उसे इन देशों के कानूनी मानकों (legal standards) के अनुसार स्वीकृति (approval) दिलाने का काम करेगी।

यह समझौता दोनों कंपनियों की ताकत (strength) का सही इस्तेमाल करता है: ल्यूपिन की उत्कृष्ट निर्माण क्षमता (excellent manufacturing capability) और सैंडोज का मजबूत बाजार नेटवर्क (strong market network)।

क्या होते हैं Biosimilar Product?

आम लोगों के लिए यह समझना जरूरी है कि बायोसिमिलर उत्पाद क्या होते हैं और वे जेनेरिक दवाओं (generic drugs) से कैसे अलग हैं।

– बायोसिमिलर क्या हैं?: बायोसिमिलर दवाएं उन जटिल दवाओं की नकल (copies) होती हैं जो जीवित जीवों (living organisms) से बनी होती हैं। इन दवाओं का इस्तेमाल कैंसर (cancer), मधुमेह (diabetes) और आंखों के रोगों (eye diseases) जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।

– जेनेरिक से अंतर: जेनेरिक दवाएं छोटे अणु (small molecule) आधारित दवाओं की सटीक प्रतिकृति (exact replica) होती हैं, जबकि बायोसिमिलर दवाओं को उनके मूल उत्पाद के बहुत करीब (very close) बनाया जाता है, लेकिन वे हूबहू एक जैसी (exactly the same) नहीं होतीं।

– कम कीमत का फायदा: बायोसिमिलर दवाएं मूल बायोलॉजिकल दवाओं के मुकाबले अक्सर कम कीमत (lower price) पर उपलब्ध होती हैं, जिससे रोगी अधिक आसानी से उनका लाभ उठा पाते हैं। ल्यूपिन का उत्पाद रैनिबिजुमाब मुख्य रूप से आंखों की बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होता है।

Lupin के लिए क्यों है यह डील इतनी खास?

यह समझौता ल्यूपिन के लिए कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है:

– ग्लोबल पहुंच: यह डील ल्यूपिन को यूरोप और एशिया के महत्वपूर्ण बाजारों में प्रवेश (entry) करने का मौका देगी, जिनमें सीधे प्रवेश करना मुश्किल हो सकता है। सैंडोज के विस्तृत नेटवर्क (extensive network) का लाभ उठाकर, ल्यूपिन अपने उत्पाद को तेजी से बाजार तक पहुंचा सकती है।

– बाजार में विश्वसनीयता: सैंडोज जैसी एक प्रतिष्ठित वैश्विक कंपनी के साथ साझेदारी ल्यूपिन की विश्वसनीयता (credibility) और ब्रांड वैल्यू (brand value) को बढ़ाएगी।

– राजस्व में वृद्धि: इस समझौते से ल्यूपिन के राजस्व (revenue) में बड़ी वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि बायोसिमिलर उत्पादों का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है।

ल्यूपिन का यह कदम भारतीय फार्मा कंपनियों की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं (global ambitions) को दर्शाता है। यह दिखाता है कि भारतीय कंपनियां अब सिर्फ जेनेरिक दवाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जटिल बायोसिमिलर क्षेत्र में भी अपनी जगह बना रही हैं। यह साझेदारी दोनों कंपनियों के लिए एक जीत की स्थिति (win-win situation) पैदा करती है।

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