नई दिल्ली: भारत की प्रमुख ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी (Swiggy) ने एक बड़ा और रणनीतिक कदम उठाया है। कंपनी ने बृहस्पतिवार, 31 जुलाई 2025 को घोषणा की कि वह टैक्सी सेवा प्रदाता (taxi service provider) रैपिडो (Rapido) में किए गए अपने निवेश की समीक्षा कर रही है। इस फैसले के पीछे मुख्य वजह ‘हितों का टकराव’ (conflict of interest) है। दरअसल, रैपिडो ने भी आने वाले समय में खानपान के सामान की आपूर्ति (food delivery) के कारोबार में उतरने की मंशा जताई है, जो सीधे तौर पर स्विगी के कोर बिज़नेस को चुनौती देगा।
Swiggy का बयान: ‘निवेश पर दोबारा विचार’
स्विगी ने अपने शेयरधारकों (shareholders) को लिखे एक पत्र में इस स्थिति को स्पष्ट किया है। कंपनी ने कहा, “रैपिडो अब भारत में राइड के हिसाब से सबसे बड़ी टैक्सी सेवा प्रदाता बन गई है। इस सफलता से हम खुश हैं, लेकिन खाद्य उत्पादों की आपूर्ति में कदम रखने की उसकी मंशा से हितों का टकराव हो सकता है।” यह बयान दोनों कंपनियों के बीच भविष्य में होने वाली संभावित प्रतिस्पर्धा की ओर इशारा करता है।
स्विगी ने आगे कहा कि हाल के घटनाक्रम को देखते हुए वह अपने निवेश पर दोबारा विचार (rethinking its investment) कर रही है। यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है क्योंकि स्विगी की रैपिडो में लगभग 12 प्रतिशत अल्पांश हिस्सेदारी (12% minority stake) है, जिसका मूल्य हालिया बाज़ार गतिविधियों के आधार पर काफी बढ़ गया है। ऐसे में, यह निवेश अब सिर्फ वित्तीय नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हो गया है।
फूड डिलीवरी बाज़ार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा
स्विगी ने यह भी स्वीकार किया कि खाद्य उत्पादों के आपूर्ति कारोबार (food delivery business) में नई प्रतिस्पर्धा लगातार आ रही है। लेकिन कंपनी ने भरोसा जताया कि वह नवाचार (innovation) और उपभोक्ता अनुभव (consumer experience) को केंद्र में रखकर आगे बढ़ती रहेगी। यह दर्शाता है कि स्विगी इस प्रतिस्पर्धा से घबराने के बजाय अपनी सेवाओं और तकनीकी सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है।
स्विगी का वित्तीय प्रदर्शन: बढ़ता घाटा
इस बीच, स्विगी ने अपने वित्तीय प्रदर्शन से जुड़ी एक और अहम जानकारी दी है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (Q1 – First Quarter), यानी अप्रैल-जून तिमाही में, कंपनी का एकीकृत घाटा (consolidated loss) बढ़कर ₹1,197 करोड़ हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में ₹611 करोड़ था।
घाटे में यह वृद्धि निवेशकों के लिए एक चिंता का विषय है, खासकर ऐसे समय में जब कंपनी बाज़ार में IPO लाने की तैयारी कर रही है। हालांकि, ऑनलाइन डिलीवरी सेक्टर में घाटा दर्ज करना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि कंपनियां बाज़ार हिस्सेदारी हासिल करने और विस्तार करने के लिए भारी निवेश करती हैं। लेकिन यह बढ़ता घाटा कंपनी के लिए अपनी लागत पर नियंत्रण रखने की चुनौती को भी दर्शाता है।
रैपिडो का फूड डिलीवरी में प्रवेश: क्या होगी रणनीति?
रैपिडो का फूड डिलीवरी बाज़ार में उतरने का इरादा बाज़ार के समीकरणों को बदल सकता है। रैपिडो के पास पहले से ही बाइक टैक्सी और ऑटो सेवा का एक मज़बूत नेटवर्क है, जिसका उपयोग वह फूड डिलीवरी के लिए भी कर सकती है। यह उसे स्विगी और ज़ोमैटो जैसे मौजूदा खिलाड़ियों के सामने एक मजबूत प्रतिस्पर्धी के रूप में खड़ा कर सकता है।
स्विगी का रैपिडो में निवेश की समीक्षा करना एक एहतियाती कदम है, ताकि वह अपने ही एक निवेशित साझेदार के साथ सीधे मुकाबले में न आ जाए। यह देखना दिलचस्प होगा कि स्विगी इस निवेश को बनाए रखती है या बाहर निकलती है, और इसका दोनों कंपनियों के साथ-साथ भारतीय डिलीवरी बाज़ार पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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