नई दिल्ली: Congress अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% शुल्क (tariff) लगाने की घोषणा के बाद, केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। गुरुवार को उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की विदेश नीति पूरी तरह से लड़खड़ा गई है और उसे यह समझ नहीं आ रहा है कि इस नई स्थिति से कैसे निपटा जाए।
खरगे ने ‘एक्स’ (X) पर अपने पोस्ट में दावा किया कि जहाँ एक तरफ़ ट्रंप बार-बार भारत को धमका रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मुद्दे पर पूरी तरह से चुप हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस विदेशी नीति की तबाही के लिए सरकार 70 साल की कांग्रेस को भी दोष नहीं दे सकती।
ट्रंप की धमकियाँ और पीएम मोदी की चुप्पी -Congress
Congress अध्यक्ष खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि ट्रंप के बयानों पर उनकी चुप्पी हैरान करने वाली है।
– ब्रिक्स की घटना: खरगे ने ट्रंप के उस बयान का ज़िक्र किया, जब उन्होंने 30 नवंबर, 2024 को ब्रिक्स (BRICS) देशों पर 100% शुल्क लगाने की धमकी दी थी और कथित तौर पर प्रधानमंत्री मोदी उस समय मुस्करा रहे थे।
– कमज़ोर विदेश नीति: खरगे के अनुसार, ट्रंप ने 50% शुल्क लगाने की बात ऐसे समय कही है जब भारत की कूटनीति बहुत बुरी तरह लड़खड़ा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को महीनों से इस बात का अंदाज़ा था, फिर भी कोई तैयारी नहीं की गई।
भारत की विदेश नीति और सामरिक स्वायत्तता का इतिहास
मल्लिकार्जुन खरगे ने भारत की मज़बूत विदेश नीति के इतिहास की याद दिलाते हुए कहा, “भारत का राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है।” उन्होंने पुरानी घटनाओं का ज़िक्र किया जब भारत ने आत्मसम्मान और गरिमा के साथ अमेरिका के सामने अपनी नीति पर अटल रहकर दिखाया था।
– ऐतिहासिक संदर्भ: उन्होंने कहा कि चाहे वह ‘सातवें बेड़े की धमकियाँ’ हों या ‘परमाणु परीक्षणों पर लगे प्रतिबंध’, भारत ने हमेशा अपनी ‘सामरिक स्वायत्तता’ (strategic autonomy) की नीति को बनाए रखा है।
– वर्तमान स्थिति: खरगे ने दावा किया कि वर्तमान सरकार इस मज़बूत इतिहास के विपरीत काम कर रही है और ट्रंप के दबाव के आगे झुक रही है।
₹3.75 लाख करोड़ का आर्थिक बोझ और प्रभावित क्षेत्र
खरगे ने इस शुल्क के संभावित आर्थिक असर को भी विस्तार से समझाया।
– आर्थिक नुकसान: उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका को लगभग ₹7.51 लाख करोड़ का निर्यात (export) करता है। अगर 50% का एकमुश्त शुल्क लगा, तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर ₹3.75 लाख करोड़ का भारी-भरकम आर्थिक बोझ पड़ेगा।
– प्रभावित सेक्टर: उन्होंने उन क्षेत्रों की एक लिस्ट भी दी, जो सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे। इसमें एमएसएमई (MSME), कृषि, डेयरी, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, रत्न और आभूषण, दवा उत्पादन, जैविक उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद और सूती कपड़े जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।
खरगे का कहना है कि सरकार ने अपने बजट में भी इन क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया, जिससे उनकी लापरवाही साफ़ झलकती है।
तैयारी में विफलता और व्यापार समझौते में नाकामी
Congress अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के मंत्री महीनों से अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौते (trade deal) पर बातचीत करने की बात कह रहे थे। कुछ मंत्री तो कई दिनों तक वॉशिंगटन में डेरा भी डाले रहे थे, लेकिन फिर भी कोई भी समझौता करने में विफल रहे। खरगे ने कहा कि सरकार के पास 6 महीने से ज़्यादा का समय था, लेकिन वह इस मौक़े को भुनाने में नाकाम रही।
उन्होंने कहा कि इस नाकामी के चलते आज ट्रंप भारत को डरा-धमका रहे हैं, जबकि सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है। यह दिखाता है कि मोदी सरकार की विदेश नीति सिर्फ़ दिखावे की है और वह वास्तविक चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ है।
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