नई दिल्ली: उद्योग निकाय एसीएमए (ACMA – Automotive Component Manufacturers Association of India) ने गुरुवार को कहा कि इस फ़ैसले से ऑटो कंपोनेंट विनिर्माताओं के लिए निकट भविष्य में चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। अमेरिका ने मौजूदा 25% शुल्क के अतिरिक्त 25% शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे 27 अगस्त से कुल शुल्क 50% हो जाएगा। अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर उच्च शुल्क (high tariffs) लगाने के फ़ैसले ने भारत के वाहन कलपुर्जा उद्योग में चिंता बढ़ा दी है।
ACMA की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने एक बयान में कहा कि अमेरिका का यह क़दम वैश्विक व्यापार (global trade) के बदलते परिदृश्य को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह घटनाक्रम भारतीय निर्यातकों के लिए प्रतिकूल परिस्थितियाँ पैदा करेगा, लेकिन साथ ही यह हमारे उद्योग के लिए अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता (competitiveness) बढ़ाने, मूल्य संवर्धन (value addition) को मज़बूत करने और नए बाज़ारों की खोज करने का महत्व भी दिखाता है।
ACMA: क्यों चिंतित है ऑटो कंपोनेंट उद्योग?
अमेरिका, भारतीय वाहन कलपुर्जा उद्योग का एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार (trading partner) है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में, भारत से कुल $22.9 अरब अमेरिकी डॉलर के वाहन कलपुर्जा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 27% थी। इस हिस्सेदारी पर सीधे तौर पर असर पड़ेगा।
– लागत में वृद्धि: 50% का भारी-भरकम शुल्क लगने से भारतीय उत्पादों की कीमत अमेरिकी बाज़ार में बहुत ज़्यादा बढ़ जाएगी। इससे भारतीय एक्सपोर्टर (exporters) अन्य देशों के प्रतिस्पर्धियों (competitors) की तुलना में पीछे रह जाएँगे।
– बाजार में हिस्सेदारी का नुकसान: कीमत बढ़ने से अमेरिका में भारतीय कलपुर्जों की मांग में कमी आने की संभावना है, जिससे भारत के निर्यात और बाज़ार में हिस्सेदारी को भारी नुक़सान हो सकता है।
आगे की राह:ACMA ने दी ये सलाह
श्रद्धा सूरी मारवाह ने इस चुनौती को एक अवसर में बदलने के लिए कुछ रणनीतियाँ भी सुझाई हैं।
– प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना: भारतीय कंपनियों को अपनी लागत कम करने और उत्पाद की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे इस शुल्क के बावजूद बाज़ार में टिके रह सकें।
– मूल्य संवर्धन को मजबूत करना: कंपनियों को कम मूल्य वाले उत्पादों के बजाय उच्च मूल्य वाले उत्पादों (high-value products) के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए। इससे वे अधिक मार्जिन (margins) कमा पाएँगी।
– नए बाज़ार खोजना: भारत को केवल अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाय, यूरोप, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के अन्य देशों जैसे नए और विविध बाज़ारों की तलाश करनी चाहिए।
सरकार के सक्रिय रुख से उम्मीदें
ACMA ने इस मुद्दे पर भारत सरकार के सक्रिय रुख की सराहना की है। संगठन को उम्मीद है कि सरकार द्विपक्षीय सहयोग (bilateral cooperation) के माध्यम से इस समस्या का रचनात्मक समाधान निकालेगी।
मारवाह ने कहा कि एसीएमए सरकार और उद्योग के सभी हितधारकों (stakeholders) के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि भारतीय ऑटो कंपोनेंट उद्योग प्रतिस्पर्धी, मज़बूत और भविष्य के लिए तैयार रहे। यह संकट भारतीय उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, जो उसे एक ही बाज़ार पर निर्भरता कम करने के लिए प्रेरित करेगा।
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