नई दिल्ली: रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure) ने एक बड़ी घोषणा की है। कंपनी ने शुक्रवार को कहा कि उसकी दो सहायक कंपनियाँ, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (BSES Yamuna Power Limited) और बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (BSES Rajdhani Power Limited), सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद 28,483 करोड़ रुपये से ज़्यादा का बिजली बकाया वसूल करेंगी। यह बकाया 31 जुलाई 2025 तक की तारीख के अनुसार है और इसे अगले चार साल में वसूल किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 1 अप्रैल 2024 से मानी जाएगी।
यह फ़ैसला Reliance Infrastructure के लिए एक बड़ी जीत है। कंपनी की बीएसईएस की इन दोनों डिस्कॉम (Discoms – बिजली वितरण कंपनियाँ) में 51% हिस्सेदारी है, जबकि दिल्ली सरकार के पास शेष 49% हिस्सेदारी है। ये दोनों कंपनियाँ मिलकर दिल्ली के 53 लाख से ज़्यादा घरों को बिजली की सप्लाई करती हैं।
क्या है ‘नियामक परिसंपत्तियां’ और क्यों बढ़ा बकाया?
बकाया वसूली का यह फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा 27,200.37 करोड़ रुपये की नियामक परिसंपत्तियों (Regulatory Assets) का भुगतान तीन साल के भीतर करने के निर्देश के बाद आया है। लेकिन यह ‘नियामक परिसंपत्तियां’ क्या हैं?
– सरल भाषा में: यह उन खर्चों या राजस्व का एक हिसाब-किताब होता है, जिसे एक नियामक एजेंसी किसी कंपनी को अपनी बही-खाता में स्थगित करने की अनुमति देती है। यह अक्सर तब होता है जब बिजली की वास्तविक लागत, तय किए गए शुल्क से ज़्यादा हो जाती है।
– बकाया का विवरण: 31 मार्च 2024 तक यह बकाया बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (BRPL) के लिए 12,993.53 करोड़ रुपये, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (BYPL) के लिए 8,419.14 करोड़ रुपये और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (TPDDL) के लिए 5,787.70 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से मिला ‘ग्रीन सिग्नल’
Reliance Infrastructure ने 2014 में अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका और सिविल अपील दायर की थी। इस याचिका में कंपनी ने ‘गैर-लागत प्रतिबिंबित शुल्क’ और ‘नियामक परिसंपत्तियों का गैर-परिसमापन’ जैसे मुद्दों को उठाया था।
– विस्तृत सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों, जिसमें राज्य सरकारें और राज्य विद्युत नियामक आयोग भी शामिल थे, को सुनने के बाद यह ऐतिहासिक आदेश दिया। यह फ़ैसला न सिर्फ़ रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को बकाया वसूलने का अधिकार देता है, बल्कि पूरे बिजली क्षेत्र के लिए एक नज़ीर पेश करता है।
– भविष्य के निर्देश: आदेश में यह भी कहा गया है कि विद्युत नियामक आयोगों (ERCs) को मौजूदा नियामक परिसंपत्तियों के परिसमापन (liquidation of assets) के लिए एक खाका (roadmap) तैयार करना होगा। साथ ही, उन्हें उन परिस्थितियों की भी गहराई से जाँच करनी होगी, जिनमें बिजली वितरण कंपनियाँ पहले ये बकाया वसूल नहीं कर पाई थीं।
Reliance Infrastructure के लिए बड़ी जीत
यह फ़ैसला रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक बड़ी वित्तीय जीत है। ₹28,483 करोड़ का बकाया वसूल होने से कंपनी की वित्तीय स्थिति और मज़बूत होगी। यह फ़ैसला बिजली वितरण कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाएगा। साथ ही, यह उन कंपनियों के लिए भी एक उम्मीद जगाता है, जो इसी तरह के नियामक मुद्दों का सामना कर रही हैं।
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