नई दिल्ली: सोलहवें वित्त आयोग के प्रमुख Arvind Panagariya ने भारत की आर्थिक वृद्धि (economic growth) को तेज़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि मौजूदा भू-राजनीतिक परिदृश्य (geopolitical scenario) में भारत को यूरोपीय संघ (EU) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) पर ‘तेज़ी से’ काम करना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने भूमि और श्रम बाज़ार सुधारों (land and labour market reforms) को लागू करने पर भी ज़ोर दिया।
पनगढ़िया ने यह बात ‘बिजनेस टुडे इंडिया@100’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयातों पर कुल 50% शुल्क लगाने की घोषणा के संदर्भ में यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक ‘महत्वपूर्ण मोड़’ है, जहाँ एक बाज़ार सीमित हो रहा है, तो दूसरे को व्यापक रूप से खोलने की ज़रूरत है।
Arvind Panagariya- EU के साथ FTA क्यों जरूरी?
Arvind Panagariya ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊँचे शुल्क के बाद भारत अपने निर्यात को कम शुल्क वाले यूरोपीय संघ की तरफ मोड़ सकता है।
– बड़ा बाज़ार: उन्होंने कहा, “इस महत्वपूर्ण क्षण में हमें यूरोपीय संघ के साथ FTA पर गंभीर प्रयास करने चाहिए। यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे एक बड़ा बाज़ार हमारे लिए खुल जाएगा।”
– भू-राजनीतिक जवाब: यह सिर्फ़ एक व्यापारिक फ़ैसला नहीं है, बल्कि अमेरिका के संरक्षणवाद (protectionism) का एक मज़बूत भू-राजनीतिक जवाब भी है। FTA से भारतीय निर्यातकों को एक बड़ा, स्थिर और कम शुल्क वाला बाज़ार मिलेगा।
1991 के संकट जैसा समय: अब सुधारों का एजेंडा बढ़ाना होगा
Arvind Panagariya ने मौजूदा स्थिति की तुलना 1991 के आर्थिक संकट से करते हुए कहा कि यह समय भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है।
– पीछे मुड़कर देखने की ज़रूरत: उन्होंने कहा, “यह संकट भारत के लिए 1991 जैसा समय है।…हमें अतीत पर नज़र डालकर यह सोचने की ज़रूरत है कि क्या किया जा सकता है।”
– सुधारों की प्राथमिकता: उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि बहुत कुछ किए जाने की ज़रूरत है। उन्होंने श्रम संहिता के क्रियान्वयन, भूमि सुधार और केंद्र व राज्यों में नियमों की संख्या घटाने को प्राथमिकता देने की बात कही। ये ऐसे घरेलू सुधार हैं, जिनकी लंबे समय से चर्चा हो रही है, लेकिन अब उन्हें लागू करने का सही समय आ गया है।
घरेलू सुधारों से बढ़ेगी आर्थिक विकास की रफ्तार
Arvind Panagariya ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मज़बूती पर विश्वास जताया। उन्होंने कहा कि भारत की इकोनॉमी (economy) मज़बूत है और इसमें तेज़ी से बढ़ने का पूरा पोटेंशियल (potential) है।
– कोई बाधा नहीं: उन्होंने कहा कि अगर घरेलू सुधार पूरे किए जाएँ, तो वृद्धि की रफ़्तार को तेज़ करने में कोई बाधा नहीं होगी। इसका मतलब है कि भारत को बाहर की चुनौतियों से निपटने के लिए पहले अपने अंदर की कमियों को दूर करना होगा।
– विकास का इंजन: FTA और घरेलू सुधारों का संयोजन भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए एक शक्तिशाली इंजन के रूप में काम कर सकता है।
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