मुंबई: भारत के माइक्रो फाइनेंस सेक्टर (micro finance sector) पर एक बड़ा संकट आ गया है, जिसके कारण इस क्षेत्र से जुड़े हजारों छोटे व्यवसाय (businesses) और लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री नेटवर्क (एमफिन) (MFIN), जो माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र का एक स्व-नियामक संगठन (self-regulatory organization) है, ने इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार से ऋण गारंटी सहायता (loan guarantee support) मांगी है। एमफिन का कहना है कि अगर सरकार मदद नहीं करती है, तो इस क्षेत्र में गंभीर नकदी की कमी (serious liquidity crunch) आ सकती है।
Micro Finance sector पर आया संकट: क्या कहते हैं आंकड़े?
एमफिन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) (CEO) आलोक मिश्रा ने बताया कि माइक्रो फाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) (MFIs) को फिलहाल बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
– घटता लोन पोर्टफोलियो: जून तिमाही में सभी सूक्ष्म यानी छोटी राशि के कर्ज (loans) देने वाले वित्तीय संस्थानों का सकल ऋण पोर्टफोलियो (gross loan portfolio) लगभग 17 प्रतिशत घटकर 3.53 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
– उधारकर्ताओं की संख्या में कमी: लोन कम होने से सीधा असर उधारकर्ताओं (borrowers) पर भी पड़ा है। इनकी संख्या छह प्रतिशत घटकर 7.5 करोड़ रह गई है।
ये आंकड़े साफ बताते हैं कि कम पैसा बाजार (market) में पहुंच रहा है और छोटे उद्यमियों (small entrepreneurs) को लोन मिलने में दिक्कत आ रही है।
बैंक क्यों नहीं दे रहे कर्ज? समझिए पूरी वजह
माइक्रो फाइनेंस संस्थान अपनी कुल पूंजी (capital) का लगभग दो-तिहाई बैंकों से कर्ज (loan) लेकर जुटाते हैं। इसके बाद यह पैसा छोटे-छोटे लोन के रूप में जरूरतमंदों तक पहुंचता है।
– बैंकों की अनिच्छा: श्री मिश्रा ने बताया कि कुछ बैंक इस क्षेत्र को कर्ज देने में अनिच्छा दिखा रहे हैं। इसका एक कारण पिछली बार की कुछ परेशानियां हो सकती हैं, जब कुछ लोन वापस नहीं आ पाए थे, जिससे बैंकों में जोखिम (risk) का डर पैदा हो गया है।
– नकदी की कमी: जब बैंकों से पैसा नहीं मिलता, तो माइक्रो फाइनेंस संस्थानों के पास पैसों की गंभीर कमी हो जाती है। इससे वे नए लोन नहीं दे पाते, जिसका असर सीधे आर्थिक गतिविधियों (economic activities) पर पड़ता है, खासकर ग्रामीण (rural) और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में।
मिश्रा ने कहा, “एक बार बैंकों से फंडिंग (funding) शुरू होने पर एमएफआई (MFI) द्वारा वितरण (disbursement) में सुधार होगा और यह एक अच्छा चक्र (good cycle) शुरू करेगा।”
सरकार से क्या है उम्मीद?
एमफिन (MFIN) ने सरकार को एक पत्र (letter) लिखकर 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना (loan guarantee scheme) की मांग की है।
– गारंटी का मतलब: ऋण गारंटी का मतलब है कि अगर माइक्रो फाइनेंस संस्थान किसी कारणवश लोन वापस नहीं कर पाते, तो सरकार बैंकों को वह पैसा देने की गारंटी लेगी। इससे बैंकों का जोखिम (risk) कम हो जाएगा और वे बिना झिझक एमएफआई को कर्ज देना शुरू कर सकते हैं।
यह योजना माइक्रो फाइनेंस सेक्टर को दुबारा पटरी पर लाने में मदद कर सकती है, जो कि छोटे कारोबारियों (small businesses), महिलाओं और गरीब लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाने का एक प्रमुख जरिया है।
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