नई दिल्ली: DHFL Scam: SEBI ने कंपनी के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कपिल वधावन और उनके भाई धीरज वधावन समेत कुल 6 लोगों पर प्रतिभूति बाजार से 5 साल तक का बैन (ban) लगाया है। इसके साथ ही उन पर कुल 120 करोड़ रुपये का बड़ा जुर्माना (fine) भी लगाया गया है। यह फैसला दिखाता है कि सेबी कॉर्पोरेट फ्रॉड (corporate fraud) को लेकर कितना गंभीर है।
क्या था DHFL घोटाला? ‘बांद्रा बुक एंटिटीज’ का खेल
सेबी की 181 पन्नों की जांच रिपोर्ट में इस पूरे घोटाले का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2006 से ही डीएचएफएल के प्रमोटर्स ने ‘बांद्रा बुक एंटिटीज’ (BBEs) नाम की कुछ फर्जी कंपनियों का एक जाल (network) बनाया था। ये कंपनियां ना तो कोई काम करती थीं और ना ही उनके पास कोई संपत्ति थी। इसके बावजूद, इन्हें डीएचएफएल ने कुल 14,040.50 करोड़ रुपये के बिना गारंटी वाले लोन (unsecured loans) दिए।
– फर्जीवाड़ा (Falsification): जांच में यह भी पता चला कि इन लोन्स (loans) को सही दिखाने के लिए कंपनी ने एक नकली ‘बांद्रा शाखा’ बनाई थी और फर्जी रिकॉर्ड्स (fake records) का इस्तेमाल किया था। इन्हें फर्जी तरीके से रिटेल हाउसिंग लोन के रूप में दर्ज किया गया था, जबकि ये वास्तव में प्रमोटर्स द्वारा फंड्स की हेराफेरी करने के लिए दिए गए थे।
– फंड्स की हेराफेरी: रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि 39 बीबीई कंपनियों को दिए गए 5,662.44 करोड़ रुपये में से 40 प्रतिशत राशि को प्रमोटर्स से जुड़ी 48 अन्य कंपनियों को भेज दिया गया था।
कौन-कौन हुआ बैन और कितना लगा जुर्माना?
सेबी SEBI ने इस घोटाले के मुख्य सूत्रधारों और इसमें शामिल अन्य लोगों पर कड़ी कार्रवाई की है। यह फैसला पिछले साल सितंबर 2020 में जारी किए गए अंतरिम आदेश का फाइनल कंक्लूजन (final conclusion) है।
– बैन (Ban):
– कपिल वधावन और धीरज वधावन: 5 साल के लिए प्रतिबंधित।
– राकेश वधावन और सारंग वधावन: 4 साल के लिए प्रतिबंधित।
– पूर्व सीईओ हर्षिल मेहता और पूर्व सीएफओ संतोष शर्मा: 3 साल के लिए प्रतिबंधित।
इन सभी लोगों को किसी भी लिस्टेड कंपनी में कोई भी अहम पद लेने से भी रोक दिया गया है।
– जुर्माना (Fine):
– कपिल वधावन और धीरज वधावन: 27-27 करोड़ रुपये का जुर्माना।
– राकेश वधावन और सारंग वधावन: 20.75-20.75 करोड़ रुपये का जुर्माना।
– हर्षिल मेहता: 11.75 करोड़ रुपये का जुर्माना।
– संतोष शर्मा: 12.75 करोड़ रुपये का जुर्माना।
इस तरह कुल 120 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
सेबी का कड़ा रुख: क्या है इस फैसले का असर?
सेबी SEBI का यह फैसला कॉर्पोरेट गवर्नेंस (corporate governance) और निवेशकों के विश्वास (investor trust) को बनाए रखने के लिए बेहद अहम है।
– कड़ी चेतावनी: यह फैसला उन सभी कंपनियों और प्रमोटर्स के लिए एक कड़ी चेतावनी है जो बाजार और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने की कोशिश करते हैं। यह साफ हो गया है कि रेगुलेटर की नजर से बचकर निकलना अब मुश्किल है।
– निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा: इस तरह की कार्रवाई से भारतीय शेयर बाजार में आम निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। जब उन्हें यह विश्वास होगा कि कानून अपना काम कर रहा है, तो वे बिना किसी डर के निवेश करेंगे।
यह फैसला ना सिर्फ DHFL मामले में न्याय लाता है, बल्कि यह पूरे कॉर्पोरेट इंडिया को एक मजबूत संदेश देता है कि गलत करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
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