नई दिल्ली: भारत में Online Gaming का बाजार जिस तेजी से बढ़ा है, उसी तेजी से इसकी चुनौतियां भी सामने आई हैं। इन चुनौतियों को देखते हुए, केंद्र सरकार ने एक बहुत ही अहम और बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित और नियमित (regulate) करने के लिए एक नए विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस बिल के तहत, सरकार के पास यह अधिकार होगा कि वह उन सभी प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा सके, जो असली पैसे (real money) से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग की सेवा देते हैं।
क्यों जरूरी है Online Gaming को रेगुलेट करना?
इस बिल को लाने के पीछे सरकार के कई गंभीर कारण हैं। यह फैसला मुख्य रूप से उन खतरों को देखते हुए लिया गया है, जो ऑनलाइन मनी गेमिंग के साथ जुड़े हैं।
– मानसिक स्वास्थ्य पर असर: कई विशेषज्ञों ने यह बताया है कि पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेम खेलने से लोगों में, खासकर युवाओं में, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हो रही हैं, जिससे वे आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
– धोखाधड़ी और साइबर क्राइम: ये प्लेटफॉर्म कई बार धोखाधड़ी (fraud), धन शोधन (money laundering), और साइबर अपराध (cybercrime) को बढ़ावा देने का माध्यम बनते हैं। इस तरह के खेल में पैसों का कोई हिसाब नहीं रहता, जिससे काले धन को सफेद बनाने का खतरा बढ़ जाता है।
यह भी एक सच है कि अभी भारत में अवैध सट्टेबाजी और जुए (gambling) पर रोकथाम और जांच की जिम्मेदारी मुख्य रूप से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की है। लेकिन यह नया बिल केंद्रीय स्तर पर एक समान कानूनी ढांचा (legal framework) तैयार करेगा।
गेम ऑफ स्किल या गेम ऑफ चांस? यही है असली खेल
अब तक, पैसे से जुड़ी गेमिंग कंपनियां खुद को सट्टेबाजी या जुए के प्लेटफॉर्म से अलग बताने के लिए खुद को ‘कौशल का खेल’ (Game of Skill) कहती रही हैं। उनका तर्क है कि इन Online Gaming में जीत पूरी तरह से खिलाड़ी की क्षमता और दिमागी समझ पर निर्भर करती है ना कि सिर्फ किस्मत पर ।
वहीं, ‘संभावना का खेल’ (Game of Chance) वो होते हैं, जो पूरी तरह से भाग्य पर आधारित होते हैं, जैसे कि लॉटरी या जुआ। भारत के कानून के अनुसार, कौशल का खेल खेलना जुए की श्रेणी में नहीं आता है। यही वजह है कि यह पूरी बहस इसी अंतर पर टिकी हुई है।
हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: सरकार के अधिकार को मिली मंजूरी
इस बहस को और मजबूती तब मिली, जब मद्रास उच्च न्यायालय ने जून में एक बड़ा फैसला सुनाया । कोर्ट ने रियल मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म Online Gaming जैसे कि प्ले गेम्स 24X7, हेड डिजिटल वर्क्स और जंगली गेम्स की याचिका को खारिज कर दिया था। ये कंपनियां तमिलनाडु सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दे रही थीं।
अदालत ने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार को ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म को विनियमित करने का पूरा अधिकार है। इसके साथ ही, कोर्ट ने उन कंपनियों के तर्क को भी खारिज कर दिया, जिसमें वे कौशल और संभावना के खेल को अलग बता रहे थे। यह फैसला केंद्र सरकार के लिए एक मजबूत कानूनी आधार तैयार करता है।
Online Gaming सेक्टर का भविष्य: क्या होगा आगे?
इस नए बिल के आने से पूरे ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर का भविष्य बदल सकता है। यह बिल गेमिंग कंपनियों के लिए नियम और कायदे तय करेगा और उन्हें एक जिम्मेदारी के तहत काम करने के लिए मजबूर करेगा। हालांकि, इससे उन कंपनियों को मुश्किल हो सकती है, जो अब तक अनियंत्रित तरीके से काम कर रही थीं। लेकिन दूसरी ओर, जो कंपनियां नए नियमों का पालन करेंगी, उनके लिए एक साफ और सुरक्षित बाजार बनेगा, जिससे निवेशकों और उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा।
अब सबकी नजरें संसद पर टिकी हैं कि यह बिल कब पेश होता है और इसमें क्या नए नियम शामिल किए जाते हैं। यह समय ही बताएगा कि यह बिल गेमिंग सेक्टर के लिए एक बड़ा नुकसान साबित होता है या फिर एक नए और नियमित युग की शुरुआत करता है।
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