नई दिल्ली: देश की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड (Hyundai Motor India Limited – HMIL) को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से जुड़ा एक बड़ा नोटिस मिला है। मंगलवार को कंपनी ने घोषणा की कि कुछ एसयूवी (SUV) मॉडल पर माल एवं सेवा कर (GST) क्षतिपूर्ति उपकर (compensation cess) के कथित कम भुगतान के लिए उससे जुर्माने सहित ₹517.34 करोड़ की मांग की गई है। यह नोटिस सितंबर 2017 से मार्च 2020 की अवधि से संबंधित है।
पूरा मामला क्या है?
हुंडई मोटर इंडिया ने स्टॉक एक्सचेंज (stock exchange) को दी गई अपनी सूचना में बताया कि उसे तमिलनाडु के सीजीएसटी (CGST) विभाग के आयुक्त (अपील) से एक आदेश प्राप्त हुआ है। इस आदेश में सितंबर 2017 से मार्च 2020 की अवधि के लिए कुछ एसयूवी मॉडल पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर का कम भुगतान (short payment) करने का आरोप लगाया गया है।
एचएमआईएल ने जानकारी दी कि उससे ₹258.67 करोड़ के जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की मांग और इसी राशि पर जुर्माने (penalty) की पुष्टि की गई है। इसका मतलब है कि जितनी राशि का कथित तौर पर कम भुगतान किया गया है, उतनी ही राशि जुर्माने के तौर पर भी मांगी गई है, जिससे कुल मांग ₹517.34 करोड़ हो जाती है।
हुंडई का रुख: सीबीआईसी के स्पष्टीकरण कंपनी के पक्ष में
इस आदेश पर कंपनी के प्रवक्ता ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “एचएमआईएल का मानना है कि इस मामले में उद्योग के सामने आने वाले मुद्दे को हल करने के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes and Customs – CBIC) द्वारा दिए गए संशोधन और स्पष्टीकरण कंपनी के पक्ष में हैं।” इसका सीधा अर्थ है कि हुंडई का मानना है कि उसने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और सीबीआईसी के मौजूदा नियम उनके पक्ष में हैं।
यह अक्सर होता है कि नए टैक्स कानूनों, जैसे कि जीएसटी, के लागू होने के शुरुआती चरणों में विभिन्न प्रावधानों की व्याख्या को लेकर उद्योगों और कर अधिकारियों के बीच मतभेद होते हैं। हुंडई भी इसी तरह के एक उद्योग-व्यापी मुद्दे का सामना कर रही है।
कंपनी करेगी कानूनी उपाय: वित्तीय प्रभाव की आशंका नहीं
प्रवक्ता ने आगे कहा कि एचएमआईएल इस आदेश की समीक्षा कर रही है और “उचित मंच के ज़रिए कानूनी उपाय करने के अधिकार का प्रयोग करेगी।” इसका मतलब है कि कंपनी इस नोटिस को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रही है, चाहे वह उच्च न्यायालय हो या कोई अन्य अपीलीय प्राधिकरण।
कंपनी ने यह भी दावा किया कि इस आदेश के कारण उसकी वित्तीय (financial), परिचालन (operational) या अन्य गतिविधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह बयान निवेशकों को आश्वस्त करने के लिए दिया गया है, ताकि इस नोटिस के कारण कंपनी के शेयर मूल्यों पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। यह भी दिखाता है कि कंपनी को अपने कानूनी स्थिति पर भरोसा है।
जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर क्या है?
जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर (GST Compensation Cess) एक ऐसा टैक्स है जो जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए लगाया जाता है। यह कुछ विशेष वस्तुओं, जैसे लग्जरी कारों और तंबाकू उत्पादों, पर लगाया जाता है। एसयूवी वाहनों पर लगने वाले इस उपकर की दरें और उनकी गणना का तरीका अक्सर विवाद का विषय रहा है, क्योंकि वाहन निर्माताओं और सरकार के बीच वर्गीकरण को लेकर मतभेद हो सकते हैं।
हुंडई को मिला यह नोटिस दर्शाता है कि सरकार और नियामक एजेंसियां जीएसटी नियमों के अनुपालन को लेकर कितनी सख्त हैं। यह घटनाक्रम भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकता है, क्योंकि अन्य वाहन निर्माताओं को भी इसी तरह के मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है।