बैंक धोखाधड़ी मामला: हाई कोर्ट ने Amtek Group के पूर्व चेयरमैन Arvind Dham को दिया झटका

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नई दिल्ली: एमटेक समूह (Amtek Group) के पूर्व अध्यक्ष अरविंद धाम Arvind Dham को कोर्ट ने करारा झटका दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ₹2,700 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में फंसे एमटेक समूह (Amtek Group) के पूर्व अध्यक्ष अरविंद धाम Arvind Dham को जमानत देने से साफ इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने धाम की नियमित जमानत याचिका (bail plea) को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें जमानत देने के लिए कोई पर्याप्त आधार नहीं दिखाई दिया। यह फैसला इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा देता है।

मामले की पृष्ठभूमि: क्या है पूरा घोटाला?

यह पूरा मामला कई बैंकों से लिए गए लोन और उसमें हुई धोखाधड़ी से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच में पाया कि एमटेक ऑटो लिमिटेड, एआरजी लिमिटेड, एसीआईएल लिमिटेड, मेटालिस्ट फोर्जिंग लिमिटेड, कास्टेक्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और एमटेक समूह के प्रवर्तकों ने मिलकर बैंकों के साथ धोखाधड़ी की है। जांच के अनुसार, कंपनी ने बैंकों से लिए गए कर्ज का गलत इस्तेमाल किया और उसे दूसरे कामों में लगाया, जिससे बैंकों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

इस मामले में IDBI Bank और Bank of Maharashtra की शिकायतों के आधार पर CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने FIR दर्ज की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ईडी ने भी 27 फरवरी, 2024 को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत अपनी जांच शुरू की थी।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई और संपत्तियों की कुर्की

इस मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, ईडी ने कड़ी कार्रवाई की है।

– गिरफ्तारी: ईडी ने पिछले साल जुलाई में अरविंद धाम Arvind Dham को गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ आरोप पत्र (charge sheet) सितंबर में दाखिल किया गया था।

– संपत्तियों की कुर्की: जांच के दौरान, ईडी ने एमटेक समूह की कई संपत्तियों को कुर्क किया है। पिछले साल सितंबर में, एजेंसी ने इस मामले में लगभग ₹5,115 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की थी। हाल ही में, ईडी ने ₹550 करोड़ से ज्यादा की कुछ नई संपत्तियों को भी अस्थायी रूप से कुर्क किया है। ये सभी कदम दिखाते हैं कि सरकार और जांच एजेंसियां वित्तीय अपराधों के खिलाफ कितनी गंभीर हैं।

उच्चतम न्यायालय से भी नहीं मिली राहत

इससे पहले, अरविंद धाम Arvind Dham ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी अप्रैल में उन्हें अंतरिम जमानत (interim bail) देने से इनकार कर दिया था। यह उच्च न्यायालय के ताजा फैसले के अनुरूप है, और इससे यही लगता है कि मामला काफी गंभीर है और जांच एजेंसियों के पास मजबूत सबूत हैं।

एमटेक समूह कभी ऑटोमोटिव उपकरण (automotive equipment) बनाने वाली एक बड़ी कंपनी थी, लेकिन यह वित्तीय दिक्कतों और कर्ज के कारण दिवालिया (bankrupt) हो गई है। इस मामले से पता चलता है कि कैसे कंपनियों के प्रवर्तक (promoters) गलत तरीके से लोन लेकर बैंकों को नुकसान पहुंचाते हैं, और जांच एजेंसियां ऐसे अपराधों को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो देश के वित्तीय सिस्टम के साथ धोखाधड़ी करने की कोशिश करते हैं।

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