Coal Sector में बड़ी हलचल! Commercial Coal Mines की 13वीं नीलामी पर सभी की निगाहें

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नई दिल्ली: सरकार गुरुवार, 21 अगस्त, 2025 से वाणिज्यिक (commercial) कोयला खदानों Coal Mines की नीलामी का 13वां दौर शुरू होने जा रहा है। कोयला मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि यह नीलामी देश में कोयले के उत्पादन (production) को बढ़ावा देने के लिए एक अहम पहल है । इस कार्यक्रम में कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी मुख्य अतिथि होंगे।

Auction क्यों है खास? उदार शर्तें और निवेश को बढ़ावा

कोयला मंत्रालय के अनुसार, यह ऑक्शन (auction) भी पहले की तरह ही कुछ बेहद आसान और उदार शर्तों (liberal terms) के साथ आयोजित किया जा रहा है। इसका मकसद है कारोबार में सुगमता (ease of doing business) को बढ़ावा देना और देश-विदेश से ज्यादा से ज्यादा निवेश (investment) को आकर्षित करना ।

इस दौर में पूरी तरह से अन्वेषित (fully explored) और आंशिक रूप से अन्वेषित (partially explored) दोनों तरह के नए ब्लॉक (new blocks) शामिल किए जाएंगे। इसका सीधा मतलब है कि इस नीलामी में अनुभवी खनन कंपनियों (experienced mining companies) के साथ-साथ, नए प्लेयर्स (new players) और आधुनिक टेक्नोलॉजी (technology) पर आधारित उद्यमों को भी अपनी किस्मत आजमाने का मौका मिलेगा।

‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और कदम

भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर (self-reliant) बनाने के मकसद से वाणिज्यिक कोयला नीलामी ढांचा (commercial coal auction framework) 2020 में शुरू किया गया था। मंत्रालय का कहना है कि इस पहल से कोयला सेक्टर में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं।

– पारदर्शिता (Transparency): इस ढांचे ने कोयला क्षेत्र में कामकाज को ज्यादा पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी (competitive) बनाया है।

– उपलब्धता में बढ़ोतरी: घरेलू उद्योगों के लिए कोयले की उपलब्धता बढ़ी है।

– आयात में कमी: घरेलू उत्पादन बढ़ने से विदेशों से कोयला मंगवाने की जरूरत कम हुई है, जिससे देश का पैसा बच रहा है।

सिर्फ नीलामी ही नहीं, और भी बहुत कुछ

इस बार का कार्यक्रम सिर्फ नीलामी तक ही सीमित नहीं रहेगा। यह कोयला क्षेत्र Coal Sector के भविष्य के बारे में चर्चा करने का भी एक मंच (platform) बनेगा। यहां भूमिगत (underground) और सतही (surface) कोयला गैसीकरण (coal gasification) की संभावनाओं पर भी बात की जाएगी । कोयला गैसीकरण एक ऐसी तकनीक है जिसमें कोयले को गैस में बदलकर ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अलावा, पिछले दौर में आवंटित किए गए 11 खदानों के लिए खदान विकास एवं उत्पादन समझौते (Mine Development and Production Agreements) यानी सीएमडीपीए (CMDPA) पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह दिखाता है कि नीलामी की पूरी प्रक्रिया कितनी तेजी और दक्षता (efficiency) के साथ आगे बढ़ रही है।

यह 13वां दौर भारत के कोयला क्षेत्र के लिए एक अहम पड़ाव है। यह सिर्फ कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा (energy security) को मजबूत करने और एक नए आत्मनिर्भर भविष्य की नींव रखने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

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