नई दिल्ली: उपग्रह संचार सेवा प्रदाता कंपनी स्टारलिंक (Starlink), जो उद्योगपति एलन मस्क (Elon Musk) के नेतृत्व में है, भारत में केवल 20 लाख कनेक्शन ही दे सकती है। यह बात दूरसंचार राज्यमंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर (Pemmasani Chandrashekhar) ने सोमवार, 28 जुलाई 2025 को कही। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इस सीमित क्षमता के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल (BSNL) समेत अन्य दूरसंचार कंपनियों के लिए कोई जोखिम वाली बात नहीं है।
Starlink की क्षमता और दूरसंचार सेवाओं पर असर
पेम्मासानी चंद्रशेखर ने बीएसएनएल की समीक्षा बैठक के मौके पर यहां संवाददाताओं से कहा, “स्टारलिंक के भारत में केवल 20 लाख ग्राहक हो सकते हैं और वह 200 एमबीपीएस तक की गति प्रदान कर सकती है। इससे दूरसंचार सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।” यह बयान उन चिंताओं को दूर करने के लिए दिया गया है कि स्टारलिंक जैसी सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं भारत के मौजूदा दूरसंचार बाज़ार में एक बड़ा बदलाव ला सकती हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि स्टारलिंक कनेक्शन की यह सीमा उसकी मौजूदा क्षमता (existing capacity) के कारण है। ऐसी संभावना है कि सैटकॉम सेवाओं (Satcom services) का लक्ष्य ग्रामीण और दूरदराज के इलाके होंगे जहां बीएसएनएल की अच्छी उपस्थिति है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां फाइबर ऑप्टिक या मोबाइल टावर-आधारित इंटरनेट कनेक्टिविटी अक्सर अनुपलब्ध या unreliable होती है।
मंत्री ने यह भी कहा कि सैटकॉम सेवाओं की शुरुआती लागत (initial cost) बहुत ज़्यादा होगी और मासिक लागत (monthly cost) लगभग ₹3,000 हो सकती है। यह कीमत पॉइंट अधिकांश भारतीय उपभोक्ताओं के लिए काफी महंगा है, जिससे स्टारलिंक की पहुंच सीमित रहने की उम्मीद है।
Starlink vs BSNL की 4G सेवाओं में प्रगति
दूसरी ओर, मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने बीएसएनएल की प्रगति पर भी बात की। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल में 4G सेवा (4G service) शुरू करने का काम पूरा हो चुका है। यह बीएसएनएल के लिए एक महत्वपूर्ण milestone है, क्योंकि यह निजी दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेगा।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अभी शुल्क दर (tariff rate) बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, “हम पहले बाज़ार चाहते हैं। शुल्क दर बढ़ाने की कोई योजना नहीं है।” यह दर्शाता है कि बीएसएनएल का ध्यान ग्राहक आधार बढ़ाने पर है, न कि अल्पावधि में राजस्व बढ़ाने के लिए कीमतें बढ़ाने पर।
मंत्री ने कहा कि 4G सेवाओं की शुरुआत और तकनीक के स्थिर होने के कारण, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बीएसएनएल के राजस्व में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि (20-30% increase in revenue) हुई है। यह बीएसएनएल के पुनरुद्धार के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो लंबे समय से वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रही है।
Starlink तकनीकी सुधार और ग्राहक आधार बढ़ाने का लक्ष्य
पेम्मासानी ने बताया कि पहले बीएसएनएल को कुछ तकनीकी समस्याएं थीं, लेकिन उनमें से 90 प्रतिशत से ज़्यादा का समाधान हो चुका है। उन्होंने विशेष रूप से बिजलीघरों (powerhouses) से जुड़ी समस्याओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “लगभग ₹600-700 करोड़ की लागत से 30,000 बिजलीघरों में बदलाव किये गये हैं।” बिजली आपूर्ति में सुधार के परिणामस्वरूप बीएसएनएल नेटवर्क बेहतर हुआ है।
उन्होंने यह भी बताया कि ग्राहक आधार बढ़ाने के लिए प्रत्येक सर्किल (circle) को अलग-अलग लक्ष्य दिए जा रहे हैं। यह एक लक्षित दृष्टिकोण है जिससे बीएसएनएल अपनी सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता को विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर बना सके।
Starlink चीनी उपकरणों से दूरी और स्वदेशी तकनीक पर ज़ोर
बीएसएनएल में चीन के उपकरणों की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर, मंत्री ने कहा कि सरकार स्वदेशी तकनीकों (indigenous technologies) का उपयोग जारी रखने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल धीरे-धीरे 2G और 3G उपकरणों (2G and 3G equipment) को हटा देगी और उनके रखरखाव की आवश्यकता को समाप्त कर देगी। बीएसएनएल ने अतीत में जेडटीई (ZTE) सहित चीनी कंपनियों के कुछ उपकरणों का उपयोग करके 2G और 3G प्रौद्योगिकी स्थापित की थी।
यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Atmanirbhar Bharat) पहल के अनुरूप है और देश के दूरसंचार नेटवर्क में सुरक्षा चिंताओं को दूर करने में मदद करेगा। स्वदेशी तकनीक पर ज़ोर देने से भारत की दूरसंचार विनिर्माण क्षमता भी मजबूत होगी।