शहरी गैस कंपनियों पर रेगुलेटर PNGRB ने कसा शिकंजा, पाइप वाली रसोई गैस की होगी एक समान कीमत

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नई दिल्ली: अब घरों में पाइप से आने वाली रसोई गैस (PNG) के लिए आपको अलग-अलग खपत पर अलग-अलग कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी। पेट्रोलियम क्षेत्र के नियामक पीएनजीआरबी (PNGRB – Petroleum and Natural Gas Regulatory Board) ने शहरी गैस खुदरा विक्रेताओं (city gas retailers) को एक बड़ा आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत, कंपनियों को खाना पकाने के लिए घरों में पाइप से आने वाली प्राकृतिक गैस (Piped Natural Gas – PNG) के लिए एक समान कीमत वसूलने का निर्देश दिया गया है, फिर चाहे खपत का स्तर कुछ भी हो। यह कदम उस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है जहाँ एक निश्चित उपयोग सीमा (usage limit) से अधिक गैस इस्तेमाल करने पर उपभोक्ताओं से अधिक कीमत वसूली जाती थी।

 

क्यों ज़रूरी था यह बदलाव? APM गैस और उपभोक्ताओं का अधिकार

सरकार, शहरी गैस खुदरा विक्रेताओं को बाजार मूल्य से कम कीमत (below market price) पर प्राकृतिक गैस आवंटित करती है, जिसे एपीएम गैस (APM Gas – Administered Price Mechanism Gas) कहा जाता है। यह गैस मुख्य रूप से घरों में पाइप से आने वाली प्राकृतिक गैस (PNG) के रूप में बिक्री के लिए उपलब्ध होती है। चूंकि सरकार यह आवंटन बाजार मूल्य से कम पर करती है, इसलिए उम्मीद की जाती है कि शहरी गैस खुदरा विक्रेता इसका लाभ सीधे उपयोगकर्ताओं (users) को देंगे।

घरेलू रसोई (domestic cooking) के लिए इस्तेमाल होने वाली गैस की कीमत बाजार मूल्य से कम होनी चाहिए, जबकि होटल जैसे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (commercial establishments) को आपूर्ति की जाने वाली गैस की कीमत बाजार मूल्य पर होनी चाहिए। यह नीति घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती गैस उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई है।

 

बढ़ती हुई मूल्य निर्धारण संरचना पर पीएनजीआरबी की आपत्ति

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने एक नोटिस में बताया कि यह पाया गया है कि ‘‘कुछ शहरी गैस वितरण (CGD – City Gas Distribution) कंपनियां पीएनजी के घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बढ़ती हुई मूल्य निर्धारण संरचना (escalating pricing structure) लागू कर रही हैं।” इसका मतलब यह था कि यदि उपभोक्ता एक निश्चित मात्रा से अधिक गैस का उपयोग करते थे, तो उन्हें प्रति इकाई (standard cubic meter) अधिक कीमत चुकानी पड़ती थी। पीएनजीआरबी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसी प्रथा गलत है और उपभोक्ताओं के साथ अन्यायपूर्ण है।

नियामक ने कहा कि ऐसी प्रथाएं अनजाने में सब्सिडी वाले प्रशासित मूल्य तंत्र (APM) गैस के अनधिकृत उपयोग (unauthorized use) को बढ़ावा दे सकती हैं। इसका तात्पर्य यह है कि यदि घरेलू उपभोक्ता को अधिक खपत पर अधिक कीमत चुकानी पड़ती है, तो वे कम कीमत वाली गैस का व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं, जिससे सरकार की सब्सिडी का उद्देश्य विफल हो सकता है। नियामक ने हालांकि ऐसी प्रथा में शामिल सीजीडी कंपनियों के नाम नहीं बताए हैं।

 

उपभोक्ताओं को मिलेगा सीधा फायदा: पारदर्शिता और समानता

पीएनजीआरबी के इस आदेश से सीधे तौर पर उन लाखों घरेलू उपभोक्ताओं को फायदा होगा जो पाइप वाली रसोई गैस का इस्तेमाल करते हैं। इस कदम से:

* समानता: सभी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए खपत के स्तर की परवाह किए बिना एक समान कीमत (uniform price) सुनिश्चित होगी।

* पारदर्शिता: मूल्य निर्धारण संरचना में अधिक पारदर्शिता आएगी, जिससे उपभोक्ताओं को अपने गैस बिल को समझने में आसानी होगी।

* बिल में कमी: जो परिवार पहले अधिक गैस खपत के कारण उच्च दर चुकाते थे, अब उन्हें कम बिल का लाभ मिलेगा।

* अनैतिक प्रथाओं पर अंकुश: यह आदेश उन कंपनियों को रोकेगा जो रियायती APM गैस का लाभ उठाते हुए उपभोक्ताओं से अधिक शुल्क वसूल रही थीं।

यह कदम सरकार के उस बड़े लक्ष्य का हिस्सा है जहाँ वह उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना चाहती है और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सब्सिडी का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंचे।

 

आगे क्या? कंपनियों और उपभोक्ताओं पर प्रभाव

इस आदेश का शहरी गैस वितरण कंपनियों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। उन्हें अपनी मूल्य निर्धारण नीतियों (pricing policies) को संशोधित करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे पीएनजीआरबी के निर्देशों का पालन करें। जो कंपनियां पहले से बढ़ती हुई मूल्य निर्धारण संरचना का उपयोग कर रही थीं, उन्हें अब अपनी राजस्व रणनीति (revenue strategy) पर फिर से विचार करना होगा।

दूसरी ओर, उपभोक्ताओं के लिए यह एक बड़ी राहत है। वे अब बिना किसी अतिरिक्त लागत की चिंता किए अपनी ज़रूरत के अनुसार पीएनजी का उपयोग कर सकेंगे। यह कदम शहरी गैस वितरण प्रणाली में विश्वास को भी मजबूत करेगा।

यह आदेश भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में नियामक के सक्रिय रुख को भी दर्शाता है, जहाँ उपभोक्ताओं के अधिकारों और बाजार की निष्पक्षता को प्राथमिकता दी जा रही है।

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