Thursday, July 31, 2025

Satcom Spectrum Allocation Rules दो महीने के भीतर : भारत में सैटेलाइट इंटरनेट का रास्ता साफ!

नई दिल्ली: भारत में उपग्रह संचार सेवाओं (satellite communication services) के लिए spectrum allocation के नियम अगले दो महीने के भीतर लागू हो सकते हैं। एक सरकारी अधिकारी ने सोमवार, 28 जुलाई 2025 को यह जानकारी दी, जिससे देश में सैटेलाइट इंटरनेट (satellite internet) और अन्य सैटकॉम सेवाओं के लिए रास्ता साफ होने की उम्मीद है। यह कदम भारत के डिजिटल कनेक्टिविटी लक्ष्यों को प्राप्त करने और दूरदराज के क्षेत्रों तक इंटरनेट पहुंचाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

Satcom Spectrum सैटकॉम कंपनियों को मिलेगा रास्ता

स्पेक्ट्रम आवंटन नियम लागू होने के बाद, कई बड़ी सैटकॉम कंपनियों को भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की अनुमति मिल जाएगी। इनमें शामिल हैं:

* एलन मस्क (Elon Musk) के नेतृत्व वाली स्टारलिंक (Starlink)
* भारती समूह (Bharti Group) समर्थित यूटेलसैट वनवेब (Eutelsat OneWeb)
* और जियो एसईएस (Jio SES)

ये कंपनियां भारत में रेडियोवेव (radiowaves) के लिए आवेदन कर सकेंगी और अपनी उपग्रह-आधारित इंटरनेट और संचार सेवाएं शुरू कर सकेंगी। अधिकारी ने कहा, “स्पेक्ट्रम आवंटन के नियम दो महीने में तय होने की संभावना है। उसके बाद, यह सैटकॉम कंपनियों पर होगा कि वे कब अपनी सेवाएं शुरू करना चाहती हैं।”

Satcom Spectrum बिना नीलामी के 

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI – Telecom Regulatory Authority of India) ने सरकार से सिफारिश की है कि सैटकॉम सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम को बिना नीलामी के (without auction) और एक प्रशासनिक प्रक्रिया (administrative process) के ज़रिए आवंटित किया जाना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण सिफारिश है, क्योंकि स्पेक्ट्रम की नीलामी अक्सर कंपनियों के लिए महंगी साबित होती है और प्रवेश बाधाओं को बढ़ाती है।

हालांकि, इस कदम का शुरुआत में दूरसंचार परिचालकों रिलायंस जियो (Reliance Jio) और भारती एयरटेल (Bharti Airtel) ने भारी विरोध किया था। इन कंपनियों का तर्क था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी होनी चाहिए ताकि सभी खिलाड़ियों को समान अवसर मिलें और सरकार को राजस्व भी मिले। इसके बावजूद, ट्राई ने प्रशासनिक आवंटन की सिफारिश की है, संभवतः सैटकॉम सेवाओं की विशिष्ट प्रकृति और दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के उनके उद्देश्य को देखते हुए।

Satcom Spectrum की अवधि और विस्तार

नियामक ने यह भी सुझाव दिया है कि सैटकॉम सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम पांच साल के लिए (for five years) दिए जा सकते हैं और बाज़ार की स्थितियों को देखते हुए इसे दो साल तक बढ़ाया (extended for two years) जा सकता है। यह कंपनियों को अपनी सेवाओं को स्थापित करने और बाज़ार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करेगा।

Satcom Spectrum सेवाओं का महत्व

भारत जैसे विशाल और भौगोलिक रूप से विविध देश के लिए सैटकॉम सेवाएं बेहद महत्वपूर्ण हैं। ये सेवाएं उन क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान कर सकती हैं जहां पारंपरिक स्थलीय नेटवर्क (terrestrial networks) जैसे फाइबर ऑप्टिक या मोबाइल टावरों की पहुंच मुश्किल या महंगी होती है। इनमें दूरदराज के ग्रामीण इलाके, पहाड़ी क्षेत्र, रेगिस्तान और समुद्री क्षेत्र शामिल हैं।

सैटकॉम सेवाएं आपदा प्रबंधन (disaster management), ग्रामीण शिक्षा (rural education), टेलीमेडिसिन (telemedicine) और कृषि (agriculture) जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। यह भारत के डिजिटल इंडिया (Digital India) अभियान को गति देगा और देश के हर कोने तक इंटरनेट पहुंचाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।

Satcom Spectrum डिजिटल कनेक्टिविटी में नया अध्याय

सैटकॉम स्पेक्ट्रम आवंटन नियमों का आगामी कार्यान्वयन भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए एक नया अध्याय खोलेगा। यह न केवल उपग्रह इंटरनेट सेवाओं के लिए बाज़ार खोलेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि देश के सबसे दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों को भी डिजिटल क्रांति का लाभ मिल सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये कंपनियां भारत में अपनी सेवाओं को कैसे विकसित करती हैं और वे देश के डिजिटल परिदृश्य को कैसे बदलती हैं।

 

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