लखनऊ: Uttar Pradesh सरकार ने `औद्योगिक निवेश` Industrial Investment को गति देने और इसकी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए `तीन उच्चस्तरीय समितियों` का गठन किया है। इन समितियों का मुख्य उद्देश्य `औद्योगिक इकाइयों` के लिए `भूमि की उपलब्धता`, `दरों को तर्कसंगत` बनाना और `भवन उपनियमों` को सरल बनाना है। उत्तर प्रदेश को `1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था` बनाने की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
Uttar pradesh सरकार द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, यह पहल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विज़न को पूरा करने के लिए एक निर्णायक कदम है। इन समितियों को अपनी रिपोर्ट `15 दिनों` के भीतर सौंपने का निर्देश दिया गया है, जो सरकार की गंभीरता को दिखाता है।
समिति 1: भूमि और भवन नक्शों की अड़चनें दूर होंगी
पहली समिति का गठन उन समस्याओं को दूर करने के लिए किया गया है जो `औद्योगिक विकास प्राधिकरणों` द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में `भवन नक्शों` को पास कराने में आती हैं।
– अध्यक्षता: इस समिति की अध्यक्षता `नियोजन विभाग` के `अपर मुख्य सचिव` करेंगे।
– कार्य: यह समिति दूसरे राज्यों में प्रचलित नियमों का अध्ययन करेगी और अधिसूचित क्षेत्रों को बेहतर तरीक़े से विकसित करने और निवेश के लिए रास्ते खोलने के लिए एक ठोस रणनीति पेश करेगी।
Uttar pradesh सरकार को एक बैठक में यह पता चला कि विभिन्न प्राधिकरणों के पास क़रीब `चार लाख हेक्टेयर` भूमि अधिसूचित है, जिसमें से सिर्फ़ `1.5 लाख हेक्टेयर` का ही मास्टर प्लान (Master Plan) तैयार है। यह समिति बाकी ज़मीन को भी निवेश के लिए तैयार करने में मदद करेगी।
समिति 2: औद्योगिक भूमि की दरें होंगी तर्कसंगत
दूसरी समिति का गठन `औद्योगिक भूमि की दरों` को तर्कसंगत बनाने के लिए किया गया है, ताकि `निवेशक` उत्तर प्रदेश की ओर आकर्षित हों।
– अध्यक्षता: इस समिति की अध्यक्षता `अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग` के `अपर मुख्य सचिव` करेंगे।
– कार्य: यह समिति `कारोबार करने की लागत` (Cost of Doing Business) को कम करने पर काम करेगी। यह पाया गया है कि उत्तर प्रदेश में `औद्योगिक भूमि की दरें` पड़ोसी राज्यों की तुलना में ज़्यादा हैं। उदाहरण के लिए, बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण में ज़मीन की दरें पास के `मध्य प्रदेश के ग्वालियर` से ज़्यादा हो सकती हैं, जिससे निवेशकों को आकर्षित करना मुश्किल होता है।
समिति 3: भवन उपनियम होंगे सरल और पारदर्शी
तीसरी समिति का काम `औद्योगिक विकास प्राधिकरणों` के अक्सर जटिल `भवन उपनियमों` को सरल बनाना है।
– अध्यक्षता: इस समिति की अध्यक्षता `राजस्व विभाग` के `अपर मुख्य सचिव` करेंगे।
– उद्देश्य: इस समिति का उद्देश्य `भवन उपनियमों` को `सरल`, `तर्कसंगत` और `लोगों के लिए आसान` बनाना है। इससे उद्यमी कम ज़मीन में भी अपने उद्योग स्थापित कर सकेंगे, जिससे `निवेश` भी बढ़ेगा और ज़मीन का बेहतर उपयोग हो पाएगा। यह समिति अन्य राज्यों के नियमों का भी अध्ययन करेगी और अपनी सिफ़ारिशें देगी।
इन तीनों समितियों का गठन सरकार की उस दूरदृष्टि को दर्शाता है, जिसके तहत वह उत्तर प्रदेश में `निवेश-अनुकूल माहौल` (Investment-friendly Environment) बनाना चाहती है। इससे न सिर्फ़ `औद्योगिक विकास` को गति मिलेगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी तेज़ी से बढ़ने में मदद मिलेगी।
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