नई दिल्ली: Helium production : सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी तेल और गैस कंपनी ओएनजीसी (ONGC) की शोध यूनिट ने अब इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL) के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते का मकसद तमिलनाडु में हीलियम उत्पादन Helium production का एक पायलट प्लांट (pilot plant) लगाना है। यह एक ऐसी पहल है, जो हमारे देश को महत्वपूर्ण गैसों के लिए आत्मनिर्भर बनाने में बड़ी मदद करेगी।
Helium प्लांट : कहां बनेगा और कितना लगेगा खर्च?
ओएनजीसी एनर्जी सेंटर ट्रस्ट ONGC ने मंगलवार को एक बयान जारी करके इस समझौते की जानकारी दी। यह प्रोजेक्ट ₹39.42 करोड़ की लागत से पूरा किया जाएगा।
– जगह (Location): यह प्लांट तमिलनाडु के नागपत्तनम जिले में स्थित कूथालम गैस कलेक्शन स्टेशन पर लगाया जाएगा।
– टेक्नोलॉजी (Technology): इसकी सबसे खास बात यह है कि यह प्लांट किसी विदेशी टेक्नोलॉजी पर आधारित नहीं है। इस प्रोजेक्ट में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और भारतीय पेट्रोलियम संस्थान द्वारा विकसित की गई स्वदेशी प्रौद्योगिकी (indigenous technology) का इस्तेमाल किया जाएगा।
– समयसीमा (Timeline): उम्मीद है कि यह पूरा प्रोजेक्ट अगले 18 महीनों में पूरा हो जाएगा।
क्यों इतना महत्वपूर्ण है हीलियम?
हीलियम Helium सिर्फ गुब्बारों को हवा में उड़ाने वाली गैस नहीं है। यह एक अति महत्वपूर्ण गैस है, जिसका इस्तेमाल कई रणनीतिक क्षेत्रों में होता है। फिलहाल भारत अपनी जरूरत पूरी करने के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर है।
– अंतरिक्ष अनुसंधान: रॉकेट और अंतरिक्ष यानों के ईंधन टैंक को दबाव में रखने के लिए हीलियम का इस्तेमाल किया जाता है। यह हमारे स्पेस मिशनों के लिए बेहद अहम है।
– क्रायोजेनिक्स (Cryogenics): यह बेहद कम तापमान (ultra-low temperatures) पर चीजों को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल होता है, जो कई वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए जरूरी है।
– सेमीकंडक्टर और फाइबर ऑप्टिक्स: आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे कि मोबाइल, लैपटॉप और तेज इंटरनेट केबल बनाने में भी हीलियम का उपयोग होता है।
इन सभी क्षेत्रों में बाहरी देशों पर निर्भरता आर्थिक और सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हो सकती है। इसीलिए हीलियम के उत्पादन में आत्मनिर्भर होना देश के लिए बहुत जरूरी है।
आत्मनिर्भर भारत का सपना और स्वदेशी प्रौद्योगिकी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत का जो लक्ष्य रखा गया है, यह पहल उसे और मजबूत बनाएगी। ओएनजीसी और ईआईएल दोनों ही भारत सरकार की कंपनियां हैं। उनका आपसी सहयोग यह दिखाता है कि हमारी सरकारी कंपनियां भी देश के विकास के लिए मिलकर बड़ी और अहम परियोजनाओं पर काम कर रही हैं। स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करना यह भी बताता है कि अब हम अपनी जरूरतें पूरा करने के लिए खुद पर भरोसा कर रहे हैं।
इस प्लांट से क्या होगा? क्षमताओं का पूरा विवरण
यह प्लांट एक घंटे में 750 घन मीटर की दर से प्राकृतिक गैस (natural gas) को प्रोसेस (process) कर सकेगा। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह प्राकृतिक गैस से 99.99% शुद्धता वाली ग्रेड-ए हीलियम निकालने में सक्षम होगा। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर यह प्लांट अपनी क्षमता से 110% तक संचालित हो सकेगा। यह दिखाता है कि इसकी डिजाइन और टेक्नोलॉजी बहुत ही सक्षम और दक्ष है। यह सिर्फ एक प्लांट नहीं, बल्कि उच्च-मूल्य की गैसों के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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