इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund या IMF) ने एक और बड़ी शर्त रखी है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार से अपने केंद्रीय बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (State Bank of Pakistan या SBP) के निदेशक मंडल (board of directors) से वित्त सचिव को तुरंत हटाने के लिए कहा है। यह कदम केंद्रीय बैंक की आजादी और मजबूती के लिए बहुत अहम माना जा रहा है। पाकिस्तान को अपने कर्ज कार्यक्रम के तहत लगभग एक अरब डॉलर की किस्त तभी मिल सकती है, जब वह आईएमएफ की इन शर्तों को पूरा करेगा।
IMF की 3 बड़ी शर्तें: क्या हैं प्रमुख मांगें?
आईएमएफ का उद्देश्य पाकिस्तान Pakistan के केंद्रीय बैंक को पूरी तरह से राजनीतिक दबाव से मुक्त करना है। इसके लिए आईएमएफ ने तीन प्रमुख सुधारों का सुझाव दिया है:
1. वित्त सचिव की छुट्टी: आईएमएफ चाहता है कि एसबीपी के बोर्ड से वित्त सचिव को पूरी तरह से हटा दिया जाए। आईएमएफ का मानना है कि जब कोई सरकारी अधिकारी केंद्रीय बैंक के बोर्ड में होता है, तो वह सरकार के हितों के लिए नीतिगत फैसलों को प्रभावित कर सकता है, जो आर्थिक स्थिरता के लिए अच्छा नहीं है।
2. खाली पदों को भरना: वर्तमान में, एसबीपी में तीन डिप्टी गवर्नर के पदों में से दो पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। आईएमएफ ने कहा है कि इन रिक्तियों को तुरंत भरा जाना चाहिए, क्योंकि इनकी वजह से नीतिगत फैसलों में देरी होती है और बैंक ठीक से काम नहीं कर पाता है।
3. कानून में बदलाव: आईएमएफ ने बैंकिंग कंपनियां अध्यादेश, 1962 में संशोधन (amendment) करने की भी बात कही है। इसका मकसद संघीय सरकार को वाणिज्यिक बैंकों का निरीक्षण करने के अधिकार से वंचित करना है। यह कदम भी पूरी बैंकिंग व्यवस्था में स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है।
यह पहली बार नहीं: पहले भी कर चुका है IMF मांग
यह पहला मौका नहीं है जब आईएमएफ ने पाकिस्तान Pakistan से यह मांग की है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, यह दूसरी बार है जब आईएमएफ ने वित्त सचिव को एसबीपी के बोर्ड से हटाने की बात कही है।
साल 2022 में भी, आईएमएफ के दबाव के चलते, पाकिस्तान सरकार ने एसबीपी को पूरी स्वायत्तता (full autonomy) देने के साथ वित्त सचिव के मतदान अधिकार (voting rights) समाप्त कर दिए थे। हालांकि, वह अभी भी बोर्ड के सदस्य बने हुए हैं। आईएमएफ अब चाहता है कि उनकी मौजूदगी भी पूरी तरह से खत्म हो जाए।
पाकिस्तान पर IMF का दबाव और $1 अरब डॉलर की किस्त
पाकिस्तान Pakistan इस समय आईएमएफ के $7 अरब डॉलर के कर्ज कार्यक्रम को लागू कर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था भारी दबाव में है और उसे पैसे की सख्त जरूरत है। आईएमएफ से मिलने वाली लगभग $1 अरब डॉलर की किस्त (installment) देश के लिए बहुत अहम है।
आईएमएफ का अगला समीक्षा मिशन सितंबर के तीसरे सप्ताह में पाकिस्तान आने की संभावना है। यह मिशन इन शर्तों की प्रगति की समीक्षा करेगा और उसके बाद ही अगली किस्त जारी करने का फैसला होगा। इससे साफ पता चलता है कि पाकिस्तान सरकार के पास इन सुधारों को लागू करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
क्यों जरूरी है केंद्रीय बैंक की आजादी?
एक आजाद केंद्रीय बैंक किसी भी देश की आर्थिक स्थिरता के लिए रीढ़ की हड्डी होता है। अगर केंद्रीय बैंक सरकार के दबाव में काम करता है, तो वह गलत नीतिगत फैसले ले सकता है। उदाहरण के लिए, सरकार चुनावों से पहले ब्याज दरों को कम करने का दबाव डाल सकती है ताकि लोगों को आसान लोन मिले, लेकिन इससे देश में महंगाई (inflation) और बढ़ सकती है।
एक स्वतंत्र केंद्रीय बैंक बिना किसी राजनीतिक विचार के फैसला लेता है, जिससे महंगाई नियंत्रण में रहती है और देश की मुद्रा का मूल्य भी स्थिर रहता है। यही कारण है कि आईएमएफ लगातार पाकिस्तान पर अपने केंद्रीय बैंक को पूरी आजादी देने के लिए दबाव डाल रहा है।
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