Sunday, August 10, 2025

Arvind Panagariya ने ट्रंप के ‘Dead Economy’ वाले बयान को नकारा, कहा- 7% की दर से बढ़ रहा India

नई दिल्ली: सोलहवें वित्त आयोग के चेयरमैन Arvind Panagariya ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को सिरे से ख़ारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘मृत अर्थव्यवस्था’ (dead economy) बताया था। पनगढ़िया ने मज़बूती से पलटवार करते हुए कहा कि अगर अर्थव्यवस्था मृत होती, तो वह 7% से ज़्यादा की दर से नहीं बढ़ती।

पनगढ़िया ने दिल्ली में आयोजित ‘बिजनेस टुडे इंडिया@100’ कार्यक्रम में कहा, “मुझे नहीं पता ‘मृत अर्थव्यवस्था’ की परिभाषा क्या है, लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था 7% से अधिक की दर से बढ़ रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि डॉलर (dollar) के लिहाज़ से तो यह विकास दर (growth rate) इससे भी ज़्यादा है। पनगढ़िया ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “हो सकता है कि मृत शरीर में भी कुछ हलचल होती हो।”

यह बयान डोनाल्ड ट्रंप की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था’ बताते हुए कहा था, “मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को साथ लेकर डूब सकते हैं।” इसके बाद ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर लगने वाले आयात शुल्क को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया था।

पीयूष गोयल ने भी संसद में दिया था करारा जवाब

पनगढ़िया के इस बयान से पहले, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी संसद में भारत की आर्थिक मज़बूती पर ज़ोर दिया था।

– सबसे तेज़ विकास: गोयल ने कहा था कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ गति से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है। भारत वैश्विक वृद्धि में लगभग 16% का योगदान दे रहा है, और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

– ‘फ्रैजाइल फाइव’ से टॉप फाइव तक: उन्होंने यह भी याद दिलाया कि एक दशक से कुछ ज़्यादा समय में ही भारत ‘फ्रेजाइल फाइव’ (Fragile Five) जैसे कमज़ोर देशों के समूह से निकलकर दुनिया की शीर्ष पाँच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है। गोयल ने इसका श्रेय सरकार के सुधारों, किसानों, लघु एवं मझोले उद्यमों (SMEs) और उद्यमियों के प्रयासों को दिया।

व्यापार संरक्षणवाद पर पनगढ़िया का स्पष्टीकरण

जब पनगढ़िया से भारत में बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद (trade protectionism) के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इस पर भी अपनी राय रखी।

– कुछ कदम संरक्षणवादी: उन्होंने माना कि कुछ कदम संरक्षणवादी हो सकते हैं, लेकिन देश ‘काफी हद तक खुला’ है।

– संतुलित दृष्टिकोण: यह दर्शाता है कि जहाँ एक तरफ़ भारत अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए ज़रूरी क़दम उठा रहा है, वहीं दूसरी ओर वह व्यापार के लिए खुलेपन की नीति को भी अपनाए हुए है।

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