मुंबई: भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग (Gems and Jewellery industry) में भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अमेरिकी आयात शुल्क (25% import duty) लगाने की घोषणा से हड़कंप मच गया है। उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने इसे एक बड़ा झटका (major setback) बताया है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाला यह क्षेत्र निर्यात पर अत्यधिक निर्भर (highly dependent on exports) है। यह नई व्यापारिक बाधा भारत के इस महत्वपूर्ण सेक्टर के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
अमेरिका: भारत का सबसे बड़ा बाज़ार
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC – Gems and Jewellery Export Promotion Council) के चेयरमैन किरीट भंसाली (Kirit Bhansali) ने इस फैसले पर अपनी चिंता ज़ाहिर की। उन्होंने कहा कि अमेरिका लगभग 10 अरब डॉलर (USD 10 billion) के आयात के साथ भारत का सबसे बड़ा बाज़ार (largest market) है। ऐसे में 25 प्रतिशत शुल्क (25% tariff) के साथ जुर्माना लगाने की घोषणा बेहद चिंताजनक है।
भंसाली ने कहा, “इस तरह का व्यापक शुल्क हमारी निर्यात लागत बढ़ाएगा, आपूर्ति में देरी करेगा और छोटे कारीगरों से लेकर बड़े निर्माताओं तक सभी हितधारकों पर भारी दबाव डालेगा।” यह बयान उद्योग के सभी स्तरों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है, जहाँ लागत बढ़ने से भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता (competitiveness) कम हो जाएगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने सभी भारतीय उत्पादों पर 1 अगस्त से 25 प्रतिशत सीमा शुल्क (25% customs duty) और रूस से कारोबार करने पर जुर्माना लगाने की भी घोषणा की है। यह फैसला भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ी अनिश्चितता पैदा कर रहा है।
उद्योग पर गहरा असर और ‘मेक इन इंडिया’ पर प्रभाव
अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (All India Gems and Jewellery Domestic Council) के चेयरमैन राजेश रोकड़े (Rajesh Rokade) ने कहा कि इस फैसले से न केवल अमेरिका को भारतीय निर्यात प्रभावित होगा, बल्कि अमेरिका को भी इसका असर झेलना पड़ सकता है।
रोकड़े ने कहा, “‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) अभियान के ज़रिए भारत में निवेश की इच्छुक अमेरिकी कंपनियां भी इस कदम से प्रभावित होंगी।” उनका यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि अमेरिकी शुल्कों का असर केवल भारतीय निर्यातकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह अमेरिका की उन कंपनियों को भी प्रभावित करेगा जो भारत में उत्पादन करके वैश्विक बाज़ार में बेचती हैं।
भू-राजनीतिक संकट और व्यापार वार्ता पर नज़र
कामा ज्वेलरी (Kama Jewellery) के प्रबंध निदेशक कॉलिन शाह (Colin Shah) ने बताया कि लंबे समय से रूस-यूक्रेन और पश्चिम एशिया संकट से जूझ रहा रत्न एवं आभूषण क्षेत्र अब अमेरिकी शुल्क के कारण और अधिक दबाव में आ जाएगा। उन्होंने कहा, “आने वाले समय में अमेरिका के साथ कारोबार सुस्त रहने का ही अनुमान है। अगले महीने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार वार्ता (bilateral trade talks) के छठे दौर में ही स्थिति कुछ स्पष्ट हो सकती है।” यह दिखाता है कि उद्योग की उम्मीदें अब केवल राजनीतिक बातचीत और कूटनीतिक समाधान पर टिकी हैं।
रिद्धि सिद्धि बुलियंस (Riddhi Siddhi Bullions) के प्रबंध निदेशक पृथ्वीराज कोठारी (Prithviraj Kothari) ने इस फैसले से छोटे एवं मझोले आकार की इकाइयों (SME – Small and Medium-sized Enterprises) पर सबसे बुरा असर पड़ने की आशंका जताई। उन्होंने कहा कि इससे ऑर्डर रद्द (order cancellations) हो सकते हैं, निर्यात घट सकता है और नौकरियों पर भी खतरा (threat to jobs) मंडरा सकता है।
कोठारी ने सुझाव दिया कि उद्योग को इस संकट से निपटने के लिए तुरंत वैकल्पिक बाज़ारों (alternative markets) की तलाश करनी चाहिए और साथ ही मूल्यवर्धित उत्पादों (value-added products) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह सलाह भारतीय उद्योग के लिए अपनी निर्यात रणनीति में विविधता लाने और नए अवसरों को खोजने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।
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