Thursday, July 31, 2025

Indiabulls Case में CBI को कोई अनियमितता नहीं मिली: जानें जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट कैसे रखा पक्ष

नई दिल्ली: Indiabulls Case में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI – Central Bureau of Investigation) ने हाथ खड़े कर दिए हैं। जांच एजेंसी ने बुधवार, 30 जुलाई 2025 को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। सीबीआई ने कहा कि वह इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (Indiabulls Housing Finance Limited), जो अब सम्मान कैपिटल लिमिटेड (Samman Capital Limited) के नाम से जानी जाती है, में किसी तरह की अनियमितता की जांच नहीं कर रहा है। जांच एजेंसी ने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनी से कॉरपोरेट इकाइयों को दिए गए कर्जों में कोई गड़बड़ी नहीं मिली (no irregularities found) है।

Indiabulls Case CBI का सुप्रीम कोर्ट में स्पष्टीकरण

न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Surya Kant) और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची (J.B. Pardiwala) की पीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू (S.V. Raju) ने कहा कि जांच एजेंसी को इंडियाबुल्स की तरफ से संदेहास्पद ऋणों (suspicious loans) के आवंटन के आरोपों में कुछ नहीं मिला है। यह सीबीआई की तरफ से एक क्लीन चिट की तरह है, जो कंपनी के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है।

Indiabulls के प्रवर्तकों का पक्ष

कंपनी के प्रवर्तकों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं हरीश साल्वे (Harish Salve) और मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने संदेहास्पद ऋण आवंटन के आरोपों को काल्पनिक (concocted) बताते हुए कहा कि याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन ‘सिटिजंस व्हिसलब्लोअर फोरम’ (Citizens Whistleblower Forum) ने पहले ही कई याचिकाएं वापस ले ली हैं। यह इस बात पर जोर देता है कि आरोपों की बुनियाद कमज़ोर है।

हालांकि, पीठ ने कहा कि आरोपों के सही या गलत होने के बारे में पड़ताल की जाएगी (will be investigated)। मामले की सुनवाई समय के अभाव की वजह से स्थगित कर दी गई। इससे पहले 21 जुलाई को शीर्ष अदालत ने नोटिस भेजे जाने के बावजूद सीबीआई की गैर-मौजूदगी को लेकर नाराजगी जताई थी, जिससे यह मामला और भी सुर्खियों में आ गया था।

ED और SEBI ने पहले अनियमितताओं की ओर किया था इशारा

इस मामले में यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED – Enforcement Directorate) ने पहले कहा था कि वह जांच कर रहा है और कुछ अनियमितताओं (some irregularities) की बात सामने आई है। वहीं, बाज़ार नियामक सेबी (SEBI – Securities and Exchange Board of India) और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) ने भी गड़बड़ियों की ओर इशारा किया था।

ऐसे में, सीबीआई का यह नवीनतम बयान, जिसमें किसी भी अनियमितता से इनकार किया गया है, अन्य जांच एजेंसियों की टिप्पणियों से अलग है। यह स्थिति इस मामले को और अधिक जटिल बनाती है और यह देखना बाकी है कि विभिन्न एजेंसियों के निष्कर्षों का समन्वय कैसे होता है।

इंडियाबुल्स के लिए राहत, लेकिन आगे क्या?

सीबीआई का यह बयान इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के लिए एक बड़ी राहत है, खासकर जब कंपनी अपने कॉर्पोरेट ढांचे में बदलाव कर रही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरोपों की पड़ताल जारी रखने और ईडी व सेबी जैसी अन्य एजेंसियों के पिछले बयानों को देखते हुए, यह मामला अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। भारतीय वित्तीय बाज़ार में पारदर्शिता और नियामक अनुपालन हमेशा एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है, और इस मामले का अंतिम परिणाम भारत में कॉरपोरेट गवर्नेंस और नियामक निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करेगा।

 

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