नई दिल्ली: भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र (global manufacturing hub) बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उद्योग निकाय ने कहा है कि देश में व्यापक भूमि सुधारों (land reforms) की ज़रूरत है, जिसमें राज्यों में एक समान स्टांप शुल्क दरें लागू करना भी शामिल है। CII का मानना है कि यह कदम इंफ्रास्ट्रक्चर (infrastructure) के विकास और ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस (ease of doing business) को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन सुधारों को लागू करने के लिए जीएसटी परिषद (GST Council) जैसी एक संस्था का गठन किया जाना चाहिए, ताकि केंद्र और राज्यों के बीच आम सहमति बन सके।
क्यों ज़रूरी हैं भूमि सुधार?
भारत को दुनिया के लिए एक पसंदीदा विनिर्माण गंतव्य (manufacturing destination) बनाने के लिए कई चुनौतियों को दूर करना होगा। इनमें से एक सबसे बड़ी चुनौती ज़मीन से जुड़ी है।
– निवेश में रुकावट: मौजूदा समय में, अलग-अलग राज्यों में ज़मीन से जुड़े क़ानून और प्रक्रियाएँ अलग-अलग हैं, जिससे निवेशकों को अक्सर काफ़ी परेशानी होती है।
– समय और लागत: ज़मीन ख़रीदने, उसके मालिकाना हक़ को साफ़ करने और अन्य क़ानूनी प्रक्रियाओं में बहुत ज़्यादा समय और पैसा लगता है, जिससे प्रोजेक्ट में देरी होती है।
– वैश्विक प्रतिस्पर्धा: चीन और वियतनाम जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को अपनी प्रक्रियाओं को तेज़ और सरल बनाना होगा।
CII के मुख्य सुझाव
CII ने अपनी रिपोर्ट में कुछ ठोस सुझाव दिए हैं, जिनसे इन समस्याओं को हल किया जा सकता है।
– एक समान स्टांप शुल्क: CII ने सभी राज्यों में स्टांप शुल्क दरों को 3-5% की एक समान सीमा तक युक्तिसंगत (rationalize) बनाने का सुझाव दिया है। यह कदम देश भर में बिज़नेस के माहौल को और भी ज़्यादा अनुमानित बनाएगा।
– जीएसटी परिषद जैसी संस्था: ज़मीन सुधार जैसे संवेदनशील विषय पर सभी राज्यों को एक साथ लाना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, CII ने जीएसटी परिषद की तरह ही एक ऐसी संस्था बनाने की सिफ़ारिश की है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल बिठाकर सुधारों पर काम कर सके।
– एकीकृत भूमि प्राधिकरण: CII ने हर राज्य में एक एकीकृत भूमि प्राधिकरण (Integrated Land Authority) स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है, जो ज़मीन से जुड़े सभी मामलों को एक ही जगह से संभालेगा।
– पूर्ण डिजिटलीकरण: जमीनी रिकॉर्ड (land records) और रूपांतरण (conversion) प्रक्रियाओं का पूरी तरह से डिजिटलीकरण (digitization) करने की भी वकालत की गई है, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो और काम तेज़ी से हो सके।
भारत के पास है सुनहरा मौका
इन चुनौतियों के बावजूद, CII का मानना है कि भारत के पास अभी भी एक सुनहरा मौका है।
– स्थिर नीतियां: भारत का स्थिर नीतिगत ढाँचा, मजबूत औद्योगिक क्षमताएं, बड़ा घरेलू बाज़ार और युवा कार्यबल इसे एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाते हैं।
– विश्वसनीय भागीदार: वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (global supply chain) में बदलाव के बीच, भारत एक विश्वसनीय और सक्षम भागीदार के रूप में अपनी साख बना रहा है।
CII की ये सिफ़ारिशें भारत को एक मजबूत विनिर्माण शक्ति बनाने के लिए एक रोडमैप (roadmap) की तरह हैं। इन सुधारों को लागू करके, भारत न सिर्फ़ विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकता है, बल्कि अपने नागरिकों के लिए रोज़गार के नए अवसर भी पैदा कर सकता है।