नई दिल्ली: FTA के बीच वैश्विक व्यापार परिदृश्य (global trade scenario) में आ रहे बड़े बदलावों के बीच, भारत के लिए एक बड़ा मौका सामने आया है। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) के भारत प्रमुख राहुल जैन ने कहा है कि यूरोपीय संघ (EU) के साथ भारत का प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) देश को 875 अरब डॉलर के बाज़ार तक पहुँच दे सकता है। यह कदम भारत को चीन और आसियान देशों से होने वाले आयात में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद कर सकता है।
राहुल जैन ने यह भी बताया कि हाल ही में भारत और ब्रिटेन के बीच एक ऐतिहासिक FTA पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिससे ब्रिटिश व्हिस्की (whisky), कार (car) और कई अन्य वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क (duty) में कमी आएगी। इस समझौते से 99% भारतीय निर्यातकों को लाभ होने की उम्मीद है, और यह द्विपक्षीय व्यापार में सालाना लगभग 34 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि करेगा।
क्यों है FTA का यह सही समय?
राहुल जैन के अनुसार, आज का वैश्विक व्यापार परिवेश एक ढांचागत बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
– भू-राजनीति और आर्थिक राष्ट्रवाद: अब व्यापार सिर्फ लागत-दक्षता (cost-efficiency) और तुलनात्मक लाभ (comparative advantage) पर आधारित नहीं है। भू-राजनीति (geopolitics) और आर्थिक राष्ट्रवाद (economic nationalism) भी समान रूप से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं।
– अमेरिकी संरक्षणवाद: अमेरिका द्वारा हाल ही में भारतीय निर्यातों पर 50% तक शुल्क लगाने की घोषणा से यह बदलाव और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसे में ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों तक तरजीही पहुंच (preferential access) मिलना एक तरह का सुरक्षा कवच (safety shield) प्रदान करेगा, खासकर उन श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए, जो अमेरिकी संरक्षणवाद से प्रभावित हो सकते हैं।
भारत की ताकत: PLI और बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग
जैन ने कहा कि भारत अपनी रणनीतिक स्थिति, विशाल घरेलू उपभोग आधार, अनुकूल जनसांख्यिकी और विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली नीतियों के कारण एक विशिष्ट स्थिति में है।
– PLI योजनाओं की सफलता: उन्होंने भारत की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं की सफलता पर प्रकाश डाला। 2020 के बाद से इन योजनाओं ने 20.3 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश आकर्षित किया है, जिससे घरेलू उत्पादन में 191 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है और लगभग 10 लाख नई नौकरियां पैदा हुई हैं।
– आईफोन का उदाहरण: इसका एक बड़ा उदाहरण आईफोन (iPhone) का उत्पादन है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत वैश्विक आईफोन का लगभग 20% उत्पादन कर रहा है, जिसका लक्ष्य 2026-27 तक 32% तक पहुँचना है।
चीन+1 रणनीति: भारत के लिए बड़ा मौका
वैश्विक स्तर पर कंपनियाँ अपनी सप्लाई चेन (supply chain) को चीन से बाहर विविधतापूर्ण बना रही हैं, जिसे ‘चीन+1 रणनीति’ कहा जाता है।
– प्रतिस्पर्धा में मौका: यह भारत को सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक और दुर्लभ खनिजों जैसे उभरते क्षेत्रों में चीन और आसियान देशों के साथ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने का एक प्रमुख अवसर प्रदान करता है।
– गुणवत्ता पर ज़ोर: हालाँकि, इस मौके को भुनाने के लिए भारतीय निर्यातकों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता (quality) में सुधार लाने और कड़े पर्यावरणीय मानकों (environmental standards) को पूरा करने में निवेश करना होगा। खासकर यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) जैसी व्यवस्थाओं के तहत यह बहुत ज़रूरी है।
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