Apparel export पर 50% अमेरिकी शुल्क, AEPC ने कहा: छोटी कंपनियों के लिए यह ‘मौत की घंटी’ जैसा

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नई दिल्ली: Apparel export पर 50% अमेरिकी शुल्क लगाने पर AEPC की पहली प्रतिक्रिया: अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर शुल्क (tariff) को दोगुना करके 50% करने के फ़ैसले ने भारत के परिधान निर्यात उद्योग में हलचल मचा दी है। परिधान निर्यातकों के संगठन AEPC (Apparel Export Promotion Council) ने गुरुवार को इस फ़ैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह शुल्क वृद्धि सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए बहुत बुरा है और ख़ासकर उन कंपनियों के लिए जो अमेरिकी बाज़ार पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं, उनके लिए यह ‘मौत की घंटी’ जैसा होगा।

AEPC के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा कि यह घोषणा एक श्रम-प्रधान निर्यात उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है। उन्होंने कहा कि यह उद्योग इस तरह की चुनौती को किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं कर सकता। उन्होंने सरकार से इस संकट से निपटने के लिए तत्काल वित्तीय सहायता की मांग भी की है।

अमेरिकी शुल्क से छोटे निर्यातकों के लिए बढ़ा खतरा

सुधीर सेखरी ने कहा कि यह शुल्क वृद्धि विशेष रूप से छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों को निशाना बनाएगी।
– MSME पर असर: उन्होंने कहा कि जो MSME परिधान उद्योग मुख्य रूप से अमेरिकी बाज़ार पर निर्भर हैं, उन्हें सबसे ज़्यादा नुक़सान होगा। ये कंपनियाँ इतने ऊँचे शुल्क का भार नहीं झेल पाएंगी।
– अनुचित वृद्धि: सेखरी ने कहा, “मुझे यकीन है कि सरकार को भी यह एहसास है कि शुल्क में यह अनुचित वृद्धि सूक्ष्म और मध्यम परिधान उद्योग के लिए मौत की घंटी जैसा होगा।”

यह फ़ैसला छोटे एक्सपोर्टर (exporters) के लिए सीधा ख़तरा है, जो पहले से ही बाज़ार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

श्रम-प्रधान उद्योग के लिए बड़ा झटका

भारत का परिधान उद्योग एक श्रम-प्रधान (labour-intensive) उद्योग है, जिसका मतलब है कि इसमें बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार मिलता है।
– रोजगार पर खतरा: इस उद्योग पर संकट आने से न सिर्फ़ कंपनियाँ प्रभावित होंगी, बल्कि हज़ारों-लाखों लोगों की नौकरियाँ भी खतरे में आ जाएँगी। यह संकट केवल व्यापारिक नहीं है, बल्कि सामाजिक भी है।
– उद्योग नहीं कर सकता बर्दाश्त: सेखरी ने कहा कि इतनी ज़्यादा शुल्क वृद्धि इस उद्योग के लिए आर्थिक रूप से असंभव है और यह पूरी इंडस्ट्री की स्थिरता के लिए बड़ा ख़तरा है।

भारत की अमेरिका में बढ़ती हिस्सेदारी और अब चुनौती

अमेरिका भारतीय तैयार परिधान निर्यात का एक प्रमुख बाज़ार है।
– बाज़ार में हिस्सेदारी: साल 2024 में भारत के कुल परिधान निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 33% था।
– तेज़ी से वृद्धि: सेखरी ने बताया कि अमेरिकी परिधान आयात बाज़ार में भारत की मौजूदगी हाल के वर्षों में काफ़ी बढ़ी है। साल 2020 में भारत की हिस्सेदारी 4.5% थी, जो 2024 तक बढ़कर 5.8% हो गई थी।

यह वृद्धि इस बात का सबूत है कि भारतीय परिधान क्वालिटी और प्रतिस्पर्धा के मामले में आगे बढ़ रहे थे, लेकिन अब यह शुल्क वृद्धि इस प्रगति को रोक सकती है।

सरकार से तत्काल वित्तीय सहायता की मांग

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए AEPC ने भारत सरकार से तुरंत मदद की अपील की है।
– आर्थिक पैकेज की उम्मीद: सेखरी ने कहा कि केवल सरकार की वित्तीय सहायता से ही इस उद्योग को बचाया जा सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार इस संकट को समझेगी और इस उद्योग को सहारा देने के लिए जल्द ही कोई आर्थिक पैकेज या राहत पैकेज देगी।
– भविष्य की सुरक्षा: उनकी मांग है कि सरकार को न सिर्फ़ इस तत्काल संकट से निपटने के लिए, बल्कि भविष्य में ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए भी एक ठोस योजना बनानी चाहिए।

यह शुल्क वृद्धि भारत के निर्यात क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है, और अब गेंद सरकार के पाले में है कि वह इस श्रम-प्रधान उद्योग को बचाने के लिए क्या क़दम उठाती है।

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