नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अवैध Pub Bars को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने शहर में कथित तौर पर अवैध रूप से संचालित (illegally operating) हो रहे और बिना उचित लाइसेंस (proper license) के शराब परोसने वाले बार, पब, क्लब और रेस्तरां के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में बुधवार, 30 जुलाई 2025 को जवाब मांगा है। यह दिल्ली में शराब बिक्री और मनोरंजन स्थलों के विनियमन (regulation) को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर जब अवैध संचालन से सरकार को भारी राजस्व नुकसान (revenue loss) हो रहा है।
Pub Bars अदालत ने जारी किए नोटिस और मांगा विवरण
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय (Devendra Kumar Upadhyaya) और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला (Tushar Rao Gedela) की पीठ ने दिल्ली सरकार और शहर की पुलिस को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने उन्हें ऐसे बार, पब और रेस्तरां का विवरण देते हुए जवाब दाखिल करने (file a detailed response) का निर्देश दिया है।
पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा, “प्रतिवादियों के हलफनामे में याचिका में उल्लिखित बार, पब और रेस्तरां द्वारा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन पाए जाने पर उनके खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण भी शामिल होना चाहिए।” यह दिखाता है कि अदालत केवल आरोपों पर ध्यान नहीं देगी, बल्कि यह भी जानना चाहेगी कि उन आरोपों पर क्या कार्रवाई की गई है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 अगस्त, 2025 की तारीख तय की है।
Pub Bars याचिकाकर्ता का दावा और राजस्व नुकसान का मुद्दा
यह याचिका महताब खान (Mehtab Khan) नाम के याचिकाकर्ता ने दायर की है। उन्होंने दावा किया है कि दिल्ली शहर में कई रेस्तरां, क्लब, पब और बार बिना एल-16 लाइसेंस (without L-16 license) के अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। यह एक गंभीर आरोप है, क्योंकि एल-16 लाइसेंस दिल्ली में शराब परोसने के लिए अनिवार्य है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि इन अवैध संचालनों से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। जब प्रतिष्ठान बिना लाइसेंस के काम करते हैं, तो वे संबंधित शुल्क और करों का भुगतान नहीं करते, जिससे सरकारी खजाने को सीधा नुकसान होता है। इसके अलावा, अवैध प्रतिष्ठान अक्सर सुरक्षा और नियामक मानकों का पालन नहीं करते, जिससे ग्राहकों के लिए भी जोखिम पैदा होता है।
Pub Bars अवैध शराब बिक्री और उसके प्रभाव
दिल्ली में बिना लाइसेंस के शराब परोसने वाले प्रतिष्ठानों का संचालन एक गंभीर समस्या है। इससे न केवल सरकारी राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि यह अवैध शराब व्यापार (illicit liquor trade) को बढ़ावा देता है, जिससे स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी जोखिम भी बढ़ जाते हैं। ऐसे प्रतिष्ठानों में अक्सर अन्य अवैध गतिविधियां भी हो सकती हैं, और वे कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट का यह कदम शहर में शराब बिक्री के विनियमन को मजबूत करने और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह उम्मीद की जाती है कि पुलिस और दिल्ली सरकार इस मामले में विस्तृत और संतोषजनक जवाब दाखिल करेंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल वैध लाइसेंस वाले प्रतिष्ठान ही संचालित हों।
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