नई दिल्ली: SBI Report on India-US Trade Agreement: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक हालिया शोध रिपोर्ट ने भारत सरकार को अमेरिका के साथ चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में एक महत्वपूर्ण सलाह दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने किसानों के हितों को वैश्विक कंपनियों के संभावित शोषणकारी तरीकों से बचाकर रखना चाहिए। यह सलाह ऐसे समय में आई है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता कई मुद्दों पर अटका हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बिना किसी बड़े निवेश या भारतीय कृषि बाज़ार के बुनियादी ढांचे में योगदान दिए ही, बाज़ार में हिस्सेदारी हासिल करना चाह सकती हैं।
क्यों ज़रूरी है किसानों की सुरक्षा?
SBI report इस बात पर ज़ोर देती है कि भारत को रणनीतिक रूप से अपनी संप्रभुता की रक्षा करनी चाहिए।
– अस्थायी निवेश: कुछ कंपनियाँ कृषि बाज़ार के स्थायी बुनियादी ढांचे में निवेश करने, कृषि मूल्य-शृंखला के वित्त पोषण में हिस्सेदारी करने या किसानों के कल्याणकारी कार्यक्रमों में भाग लेने के बजाय सिर्फ़ अपना फ़ायदा देखना चाहती हैं।
– शोषण से बचाव: रिपोर्ट कहती है, “भारत को अपने किसानों को कुछ चुनिंदा वैश्विक समूहों के संभावित शोषण से बचाना जारी रखना चाहिए।”
यह सलाह दर्शाती है कि भारत को किसी भी ट्रेड डील पर हस्ताक्षर करते समय दूरदर्शिता दिखानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे देश के करोड़ों किसानों की आजीविका पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।
व्यापार समझौते में फंसा पेंच और ट्रंप के नए टैरिफ
यह रिपोर्ट भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है।
– अमेरिकी मांगें: अमेरिका लगातार मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम, एथेनॉल और डेयरी उत्पादों पर आयात शुल्क (import duty) घटाने की मांग कर रहा है, लेकिन भारत अपने कृषि बाज़ार को बचाने के लिए इसके लिए तैयार नहीं है।
– डोनाल्ड ट्रंप का कदम: इसी गतिरोध के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाकर 50% कर दिया है। इसमें से 25% शुल्क रूस से तेल ख़रीद जारी रखने पर जुर्माने के तौर पर लगाया गया है।
रूसी तेल ख़रीद बंद करने का वित्तीय बोझ
एसबीआई की रिपोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण जानकारी दी है।
– बढ़ता आयात बिल: रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत ने वित्त वर्ष 2025-26 में रूस से कच्चे तेल का आयात बंद कर दिया, तो देश का ईंधन आयात बिल 9 अरब डॉलर बढ़ सकता है।
– भविष्य की चुनौती: यह बढ़ोतरी अगले वित्त वर्ष में 11.7 अरब डॉलर तक जा सकती है।
यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत को एक जटिल संतुलन बनाना है, जहाँ उसे अपने किसानों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ अपनी ऊर्जा सुरक्षा को भी बनाए रखना है। एसबीआई की यह रिपोर्ट भारत सरकार के लिए एक चेतावनी की तरह है कि उसे अंतर्राष्ट्रीय दबावों के सामने झुकने के बजाय अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
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