नई दिल्ली: India-UK FTA के बीच हाल ही में हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA – Free Trade Agreement) के पहले साल में भारत को सीमा शुल्क राजस्व (customs revenue) में बड़ा नुकसान होने का अनुमान है। एक आर्थिक शोध संस्थान, ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (GTRI – Global Trade Research Initiative) द्वारा सोमवार, 28 जुलाई 2025 को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को पहले साल में करीब ₹4,060 करोड़ का राजस्व नुकसान हो सकता है। यह नुकसान इसलिए होगा क्योंकि इस समझौते के तहत विभिन्न वस्तुओं पर शुल्क कम या पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है।
India-UK FTA राजस्व नुकसान का आकलन
GTRI की यह गणना ब्रिटेन से वर्तमान आयात आंकड़ों (current import data) पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्व का यह घाटा समय के साथ बढ़ेगा। 10वें वर्ष तक, जैसे-जैसे शुल्क उन्मूलन (tariff elimination) चरणबद्ध तरीके से व्यापक रूप से लागू होगा, वित्त वर्ष 2024-25 के व्यापार की मात्रा के आधार पर वार्षिक घाटा बढ़कर ₹6,345 करोड़ या लगभग 57.4 करोड़ ब्रिटिश पाउंड तक पहुंचने का अनुमान है। यह आंकड़ा बताता है कि यह समझौता भारत के लिए शुरुआती तौर पर एक महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ बन सकता है।
GTRI ने कहा कि 24 जुलाई, 2025 को हस्ताक्षरित भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों के सीमा शुल्क राजस्व में कमी आएगी, क्योंकि विभिन्न वस्तुओं पर शुल्क कम या समाप्त कर दिया गया है।
India-UK FTA आयात और शुल्क कटौती की रणनीति
भारत ने 2024-25 में ब्रिटेन से 8.6 अरब अमेरिकी डॉलर (8.6 billion USD) मूल्य की वस्तुओं का आयात किया। इन आयात में औद्योगिक उत्पादों का बड़ा हिस्सा शामिल है और इन पर 9.2 प्रतिशत का भारित औसत शुल्क (weighted average duty) था।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपनी शुल्क कटौती में रणनीतिक रूप से कृषि उत्पादों को बाहर रखा है। व्हिस्की और जिन (Whisky and Gin) जैसी वस्तुओं को छोड़कर, अधिकतर कृषि उत्पादों, जिन पर 64.3 प्रतिशत का औसत शुल्क लगता है, को शुल्क कटौती से बाहर रखा गया है। यह कदम भारत के कृषि क्षेत्र के हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
इसमें यह भी कहा गया है कि भारत ने ब्रिटेन से आयातित वस्तुओं के मूल्य के 64 प्रतिशत पर शुल्क को लागू होते ही तुरंत समाप्त करने (immediate tariff elimination) की प्रतिबद्धता जताई है। कुल मिलाकर, भारत 85 प्रतिशत शुल्क श्रेणियों (tariff lines) पर शुल्क समाप्त कर देगा और पांच प्रतिशत शुल्क श्रेणियों (product categories) पर इसे कम करेगा।
GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव (Ajay Srivastava) ने कहा, “इन कारकों के आधार पर, समझौते के पहले वर्ष में भारत का अनुमानित राजस्व नुकसान ₹4,060 करोड़ है।”
India-UK FTA ब्रिटेन को होने वाला राजस्व नुकसान
GTRI की रिपोर्ट में ब्रिटेन को होने वाले संभावित राजस्व नुकसान का भी आकलन किया गया है। अजय श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में ब्रिटेन ने भारत से 14.5 अरब अमेरिकी डॉलर (14.5 billion USD) मूल्य की वस्तुओं का आयात किया, जिस पर भारित औसत आयात शुल्क 3.3 प्रतिशत था।
व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (CETA – Comprehensive Economic and Trade Agreement) के तहत ब्रिटेन ने 99 प्रतिशत भारतीय उत्पादों पर शुल्क हटाने को लेकर सहमति व्यक्त की है। रिपोर्ट में कहा गया है, “इससे ब्रिटेन को 37.5 करोड़ ब्रिटिश पाउंड (या 47.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर या ₹3,884 करोड़) का अनुमानित वार्षिक राजस्व नुकसान होगा, जो वित्त वर्ष 2024-25 के व्यापार आंकड़ों पर आधारित है। जैसे-जैसे ब्रिटेन को भारतीय निर्यात बढ़ेगा, समय के साथ राजकोषीय प्रभाव बढ़ने का अनुमान है।”
India-UK FTA समझौते का कार्यान्वयन और आगे की राह
इस समझौते को लागू होने में करीब एक वर्ष का समय लग सकता है क्योंकि इसके लिए ब्रिटेन की संसद से मंजूरी (approval) की आवश्यकता होगी। इस एक साल की अवधि में, दोनों देशों के पास समझौते के प्रावधानों को अंतिम रूप देने और कार्यान्वयन के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करने का समय होगा।
FTA का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है। जबकि शुरुआती राजस्व नुकसान एक चिंता का विषय हो सकता है, सरकार का तर्क है कि दीर्घकालिक आर्थिक लाभ, जैसे निर्यात में वृद्धि, निवेश आकर्षित करना और आर्थिक एकीकरण, इस नुकसान से कहीं अधिक होंगे।