मुंबई: भारत और ब्रिटेन के बीच हुए ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (India-UK FTA) से भारतीय रत्न एवं आभूषण क्षेत्र (Gems and Jewellery Sector) को बड़ी सौगात मिली है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (Gems and Jewellery Export Promotion Council – GJEPC) ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि यह समझौता इस क्षेत्र के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा और अगले तीन साल में भारत का रत्न एवं आभूषण निर्यात बढ़कर $2.5 अरब (2.5 billion dollars) तक पहुंच सकता है।
India-UK FTA ऐतिहासिक समझौता और GJEPC की उम्मीदें
आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (Comprehensive Economic and Trade Agreement – CETA) कहे जाने वाले इस समझौते पर बृहस्पतिवार को लंदन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और उनके ब्रिटिश समकक्ष केअर स्टार्मर (Keir Starmer) की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
GJEPC के चेयरमैन किरीट भंसाली (Kirit Bhansali) ने एक बयान में कहा, “यह ऐतिहासिक समझौता रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए नए रोमांचक अवसरों के द्वार खोलता है।” उन्होंने बताया कि वर्तमान में, ब्रिटेन को भारत का रत्न एवं आभूषण निर्यात $94.1 करोड़ (941 million dollars) का है। भंसाली ने उम्मीद जताई कि शुल्क रियायतों (tariff concessions) के साथ, यह आंकड़ा अगले तीन वर्षों में बढ़कर $2.5 अरब (2.5 billion dollars) तक पहुंचने की संभावना है।
India-UK FTA समग्र द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि का लक्ष्य
किरीट भंसाली ने यह भी कहा कि इस वृद्धि से क्षेत्र के समग्र द्विपक्षीय व्यापार (bilateral trade) को अनुमानित $7 अरब (7 billion dollars) तक बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह दिखाता है कि सिर्फ निर्यात ही नहीं, बल्कि कुल व्यापार प्रवाह में भी significant growth देखने को मिल सकती है।
भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग के लिए FTA के मायने
भारत दुनिया में रत्न एवं आभूषण का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक है। यह क्षेत्र भारत के कुल निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है और लाखों लोगों को रोज़गार प्रदान करता है। ब्रिटेन के साथ एफटीए इस क्षेत्र के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित होगा:
* बाजार पहुंच में वृद्धि: एफटीए के तहत मिलने वाली शुल्क रियायतों से भारतीय रत्न और आभूषण उत्पाद ब्रिटेन के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। इससे ब्रिटिश उपभोक्ताओं के लिए भारतीय आभूषण अधिक आकर्षक बनेंगे।
* उच्च मूल्य वाले उत्पादों पर फोकस: यह समझौता भारत को उच्च मूल्य वाले, डिज़ाइनर और ब्रांडेड आभूषणों को ब्रिटेन के बाजार में निर्यात करने का अवसर देगा, जिससे निर्यात से होने वाली आय बढ़ेगी।
* रोज़गार सृजन: निर्यात में वृद्धि से भारत में रत्न एवं आभूषण निर्माण इकाइयों में उत्पादन बढ़ेगा, जिससे नए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे, खासकर कारीगरों और कुशल श्रमिकों के लिए।
* वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मजबूती: एफटीए भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (global supply chains) के साथ और अधिक मजबूती से जोड़ेगा।
* विनिर्माण क्षमता का विस्तार: निर्यात के अवसरों को भुनाने के लिए भारतीय कंपनियों को अपनी विनिर्माण क्षमताओं का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
