नई दिल्ली: Moody Ratings :अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा भारत से आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा के बाद अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स (Moody’s Ratings) ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। सोमवार, 4 अगस्त 2025 को मूडीज ने कहा कि अमेरिकी बाज़ार तक सीमित पहुँच से भारत के विनिर्माण क्षेत्र (manufacturing sector) में विकास की संभावनाएं कम हो सकती हैं, लेकिन देश की घरेलू मांग (domestic demand) इन बाहरी दबावों के बावजूद मज़बूत बनी रहेगी।
Moody Ratings : भारत के लिए दोहरी चुनौती
ट्रंप सरकार का यह नया शुल्क 7 अगस्त से लागू होगा और यह अमेरिका में मौजूदा मानक आयात शुल्क के अतिरिक्त होगा। इसके अलावा, ट्रंप ने रूस से आयात करने के लिए भारत पर ‘जुर्माना’ (penalty) लगाने की भी धमकी दी है, हालाँकि यह कितना होगा, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी गई है।
मूडीज रेटिंग्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष क्रिश्चियन डी गुज़मैन (Christian de Guzman) ने कहा कि भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए ये संशोधित शुल्क एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अन्य प्रमुख निर्यातकों की तुलना में बहुत ज़्यादा हैं। उन्होंने कहा, “विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक सीमित पहुँच से भारत के विनिर्माण क्षेत्र, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उच्च मूल्यवर्धित क्षेत्रों (high-value-added sectors), के लिए बढ़ने की संभावना कम होगी।”
भारत के लिए ‘चीन प्लस वन’ का अवसर ख़तरे में
मूडीज ने यह भी कहा कि भारत उन देशों में से एक है, जो चीन से व्यापार और निवेश अपने यहाँ लाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, जिसे ‘चीन प्लस वन’ (China plus one) रणनीति भी कहते हैं। ऐसे में, अन्य देशों की तुलना में भारत पर ऊँचे शुल्क लगाए जाने से उसे नुक़सान हो रहा है। यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अमेरिका उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024 में भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 18 प्रतिशत था।
भारत और अमेरिका इस समय एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (bilateral trade agreement) पर भी बातचीत कर रहे हैं, लेकिन ट्रंप के इस फ़ैसले से इन वार्ताओं पर भी असर पड़ सकता है।
घरेलू मांग रहेगी मज़बूत: मूडीज
हालाँकि, मूडीज ने एक सकारात्मक बात भी कही है। गुज़मैन ने कहा, “हमें उम्मीद है कि घरेलू मांग इन बाहरी दबावों के प्रति मज़बूत बनी रहेगी, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विदेश व्यापार पर कम निर्भर है।” यह भारत के लिए एक राहत भरी ख़बर है, क्योंकि एक मज़बूत घरेलू बाज़ार बाहरी झटकों से निपटने में मदद कर सकता है।
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