नई दिल्ली: देश की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा नदियों को जोड़ने की परियोजना Ken Betwa project (Ken-Betwa River Interlinking Project) के लिए मध्यप्रदेश में 17,000 से ज़्यादा पेड़ काटे जाएंगे। इनमें से एक बड़ा हिस्सा, 12,000 से ज़्यादा पेड़, प्रसिद्ध पन्ना टाइगर रिज़र्व (Panna Tiger Reserve) के अंदर काटे जाएंगे। जल शक्ति मंत्रालय ने सोमवार, 28 जुलाई 2025 को राज्यसभा में यह जानकारी दी। यह परियोजना एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा पहल है, लेकिन इसके पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर चिंताएं भी उठाई जा रही हैं।
Ken Betwa project कटाई और संबंधित विभागों का रुख
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी (Raj Bhushan Choudhary) ने एक सवाल के लिखित जवाब में उच्च सदन को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने स्पष्ट किया है कि पेड़ों को काटे जाने के फैसले के खिलाफ संबंधित परियोजना प्राधिकरण (project authority), जिला प्रशासन (district administration) और वन विभाग (forest department) की ओर से कोई विरोध दर्ज नहीं किया गया है। यह दर्शाता है कि परियोजना के पर्यावरणीय पहलुओं पर संबंधित सरकारी विभागों के बीच एक निश्चित स्तर की सहमति है।
मंत्री ने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP – National Perspective Plan) के तहत एकमात्र योजना है जो वर्तमान में कार्यान्वयन चरण (implementation phase) में पहुंच गई है। यह परियोजना देश में जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और सूखे से प्रभावित क्षेत्रों को पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
Ken Betwa projectदौधन बांध और पन्ना टाइगर रिजर्व पर प्रभाव
मंत्री ने विस्तार से बताया, “मध्यप्रदेश राज्य में केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) के अंतर्गत, दौधन बांध (Daudhan Dam) और उससे जुड़े बुनियादी ढांचे (associated infrastructure) के निर्माण कार्य को सुगम बनाने के लिए लगभग 17,101 पेड़ों की कटाई के लिए पहचान की गई है। इनमें से 12,404 पेड़ पन्ना टाइगर रिजर्व वन में काटे गए हैं।”
यह आंकड़ा पर्यावरणविदों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि पन्ना टाइगर रिज़र्व बाघों और अन्य वन्यजीवों का एक महत्वपूर्ण पर्यावास (habitat) है। पेड़ों की इतनी बड़ी संख्या में कटाई से इस संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन महत्वपूर्ण हो जाता है।
Ken Betwa project प्रभावित परिवार और पुनर्वास योजना
इस परियोजना से कुल 7,193 परिवारों के प्रभावित (affected families) होने का अनुमान है। कानून के अनुसार, भूमि अधिग्रहण (land acquisition) और पुनर्वास (resettlement and rehabilitation) के लिए मध्यप्रदेश तथा उत्तर प्रदेश सरकारें ज़िम्मेदार हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा मिले और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पर्याप्त पुनर्वास सुविधाएँ प्रदान की जाएँ।
मध्यप्रदेश सरकार ने सितंबर 2023 में एक विशेष मुआवज़ा और पुनर्वास पैकेज (special compensation and rehabilitation package) को मंज़ूरी दी थी। यह पैकेज प्रभावित लोगों के हितों की रक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन इसका प्रभावी कार्यान्वयन एक चुनौती बनी रहेगी।
Ken Betwa project परियोजना का उद्देश्य और चुनौतियाँ
केन-बेतवा लिंक परियोजना का मुख्य उद्देश्य केन नदी के अधिशेष जल को बेतवा नदी में स्थानांतरित करना है ताकि बुंदेलखंड क्षेत्र के सूखे से प्रभावित इलाकों में पानी पहुंचाया जा सके। इससे सिंचाई, पेयजल और बिजली उत्पादन में मदद मिलेगी। हालांकि, इस परियोजना को लेकर पर्यावरणविदों और संरक्षणवादियों ने लगातार चिंताएं व्यक्त की हैं, विशेष रूप से पन्ना टाइगर रिज़र्व पर इसके प्रभाव को लेकर।
जल सुरक्षा और पर्यावरणीय संरक्षण के बीच संतुलन बनाना हमेशा एक चुनौती रही है। सरकार का दावा है कि परियोजना के लाभ इसके पर्यावरणीय लागतों से अधिक हैं, जबकि आलोचकों का तर्क है कि दीर्घकालिक पर्यावरणीय क्षति अपरिवर्तनीय हो सकती है।