मुंबई: Indian Rupee में बुधवार, 30 जुलाई 2025 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89 पैसे की भारी गिरावट दर्ज की गई। यह तीन साल से अधिक समय में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है, जिसके बाद रुपया 87.80 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर (all-time low) पर बंद हुआ। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा 1 अगस्त की समयसीमा से पहले व्यापार समझौते के अभाव में भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा है, जिसने बाज़ार में बड़ी अनिश्चितता पैदा कर दी है।
Rupee की गिरावट के प्रमुख कारण
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने रुपये पर दबाव के कई कारण बताए:
– अमेरिका का नया शुल्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की कि 1 अगस्त से भारत से आने वाले सभी सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा। इस घोषणा ने सीधे तौर पर रुपये पर नकारात्मक प्रभाव डाला, क्योंकि इससे भारतीय निर्यात प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई।
– मासांत की डॉलर मांग: आयातकों की ओर से महीने के अंत में डॉलर की बढ़ी हुई मांग ने रुपये को और कमज़ोर किया। कंपनियां अक्सर अपने अंतरराष्ट्रीय भुगतानों के लिए डॉलर की बड़ी मात्रा में खरीदारी करती हैं, जिससे घरेलू मुद्रा पर दबाव पड़ता है।
– विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी: विदेशी पूंजी (Foreign Capital) का भारतीय बाज़ार से बाहर निकलना भी रुपये की गिरावट का एक प्रमुख कारण रहा। शेयर बाज़ार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) पूंजी बाज़ार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने बुधवार को शुद्ध रूप से ₹850.04 करोड़ के शेयर बेचे।
– वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें: कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भी रुपये पर दबाव डाल रही हैं, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है।
Rupee की ट्रेडिंग का हाल और ऐतिहासिक गिरावट
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाज़ार में रुपया, डॉलर के मुकाबले 87.10 पर खुला। कारोबार के दौरान यह डॉलर के मुकाबले 87.05 के निचले स्तर पर पहुंचा और अंत में 87.80 प्रति डॉलर के अब तक के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। यह पिछले बंद भाव से 89 पैसे की बड़ी गिरावट है।
यह 24 फरवरी, 2022 के बाद से रुपये की सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट थी, जब डॉलर के मुकाबले रुपये में 99 पैसे की गिरावट आई थी। इससे पहले मंगलवार को भी रुपया चार महीने से भी अधिक के निचले स्तर पर आ गया था, जब यह 21 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.91 पर बंद हुआ था।
Rupee को लेकर विशेषज्ञों की राय
मिराए एसेट शेयरखान (Mirae Asset Sharekhan) के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी (Anuj Choudhary) ने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता के बीच हमें रुपये में और गिरावट की आशंका है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और विदेशी पूंजी की निकासी भी रुपये को दबाव में रख सकती है।”
उन्होंने यह भी बताया कि इस सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिज़र्व और बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले निवेशक बाज़ार से दूर रहे। चौधरी ने कहा, “व्यापारी 2025 की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP), एडीपी गैर-कृषि रोजगार और अमेरिका से आने वाले घरेलू बिक्री के आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं। अमेरिकी FOMC बैठक और बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले निवेशक सतर्क रह सकते हैं।” उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि डॉलर-रुपये की हाजिर कीमत 87-87.90 के दायरे में रहने की उम्मीद है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज (HDFC Securities) के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार (Dilip Parmar) ने भी रुपये में तेज़ी से गिरावट के लिए मासांत की बढ़ती डॉलर मांग और विदेशी कोषों की धन निकासी को जिम्मेदार ठहराया।
Rupee और अन्य बाज़ार संकेतक
घरेलू शेयर बाज़ारों में, बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 143.91 अंक की बढ़त के साथ 81,481.86 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी (Nifty) 33.95 अंक चढ़कर 24,855.05 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाज़ारों में मामूली तेज़ी के बावजूद, रुपये पर दबाव बना रहा।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.46 प्रतिशत की बढ़त के साथ 70.36 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। इसके अलावा, ट्रंप की घोषणा में रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने को लेकर भी जुर्माने की बात शामिल थी, जिससे वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव भी बढ़ा।